जामताड़ाः भगवान ने रखा जिंदा, लेकिन सरकारी बाबूओं ने बता दिया मृत, 3 साल से सरकारी योजनाओं से वंचित महिला
पहले पति की मौत ने जहां दुख का पहाड़ ढाह दिया, वहीं सरकारी बाबूओं की लापरवाही ने जिंदा से बना दिया मृत, अब खुद को जीवित साबित करने के लिए दफ्तरों के चक्कर काट रही झारखड़ के जामताड़ा की एक महिला
जनज्वार जामताड़ा। भगवान ने जिसे जिंदा रखा है, झारखंड के सरकारी बाबूओं की नजर में वो मर चुकी है। और सरकारी दस्तावेज में उसे मृत बता दिया गया। सिस्टम की लापरवाही का नतीजा ये है कि महिला तीन सालों से सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित है। और खुद को जीवित साबित करने और योजना का लाभ लेने के लिए दफ्तरों के चक्कर काट रही है।
ये पूरा मामला झारखंड के जामताड़ा का। जहां स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के कारण जिंदा महिला को मृत घोषित कर उसका मृत्यु प्रमाण पत्र बना दिया गया। जामताड़ा के करमाटांड़ प्रखंड के शीतलपुर गांव की चंद्रमा देवी अब खुद को जिंदा साबित करने के लिए कोर्ट की शरण में पहुंची है।
पति की जगह चंद्रमा देवी का बना दिया मृत्य प्रमाण पत्र
मिली जानकारी के मुताबिक, चंद्रमा देवी के पति की मौत साल 2019 में हो गयी। जिसके बाद उन्होंने पंचायत सचिवालय में मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आदन दिया। काफी चक्कर लगाने के बाद एक साल बाद जब मृत्यु प्रमाण पत्र बना, तो चंद्रमा देवी के पति की जगह डेथ सर्टिफिकेट में चंद्रमा देवी का नाम था। सरकारी बाबूओं की लापरवाही ने सरकारी कागजों में जीवित चंद्रमा देवी को ही मृत बता दिया। जिसके बाद से महिला लगातार सरकारी दफ्तर में जाकर अपने जिंदा होने का सबूत दे रही है। लेकिन कार्रवाई नहीं की गयी।
अब इस मामले को लेकर दो जुलाई को पीड़ित महिला ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। महिला के वकील नंदन कुमार सिन्हा ने कहा कि सरकारी बाबू के लापरवाही का खामियाजा चंद्रमा देवी तीन सालों से भुगत रही हैं। अब न्यायालय ही इनके पास एकमात्र सहारा बचा हुआ है। उन्होंने कहा कि कोर्ट में मुकदमा दायर कर महिला के जिंदा होने का प्रमाण पत्र दिलवाया जायेगा, ताकि इन्हें इंसाफ मिल सके। इधर पीड़ित महिला कहती हैं कि मैं जिंदा हूं, इसे साबित करने के लिए तीन सालों से प्रयास कर रही हूं लेकिन सरकारी दफ्तर के लोग मुझे जिंदा मानने को तैयार ही नहीं है।
विधवा पेंशन के लाभ से वंचित महिला
पति की मौत के बाद पहले से ही परेशानी झेल रही चंद्रमा देवी सिस्टम की लापरवाही के कारण सरकारी योजनाओं के लाभ से भी वंचित है। परेशानी ये हो रही है कि तीन साल पहले पति की मौत होने के बाद भी इन्हें विधवा पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। कई बार इसके लिए वो सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट चुकी है, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। थक हार कर चंद्रमा देवी ने न्यायालय की शरण ली है।