Jharkhand Ropeway Incident : फंसे लोगों ने प्यास बुझाने के लिए बोतल में जमा किया था यूरिन, रोपवे हादसे की दर्दनाक दास्तां

Jharkhand Ropeway Incident : रात और एक दिन तीन बाई चार फीट की ट्रॉली में लगभग 25000 फीट की ऊंचाई में फंसने वालों की मनोदशा ऐसे थी कि जब उन्हें सोमवार दोपहर तक पानी नहीं मिला तो उन्होंने अपने मूत्र तक बोतल में जमा कर दिया था...

Update: 2022-04-13 06:37 GMT

फंसे लोगों ने प्यास बुझाने के लिए बोतल में जमा किया था यूरिन, रोपवे हादसे की दर्दनाक दास्तां

Jharkhand Ropeway Incident : झारखंड (Jharkhand) के देवघर (Deoghar) में हुए रोपवे हादसे (Ropeway Incident) की यादें लोगों के लिए भुला पाना मुश्किल है। झारखंड रोपवे हादसे (Jharkhand Ropeway Incident) के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन (Jharkhand Ropeway Rescue Operation ) तीसरे दिन यानी 45 घंटे बाद खत्म हो गया। तीन दिन के रेस्क्यू ऑपरेशन में 48 लोगों को सुरक्षित निकाला गया, जबकि रेस्क्यू के दौरान दो लोगों की मौत हुई। बीते मंगलवार को सुबह छह बजे सेना का रेस्क्यू शुरू हुआ था। हेलीकाप्टर के अंतिम रेस्क्यू ऑपरेशन एक बजे खत्म किया गया। बता दें की रेस्क्यू ऑपरेशन सोमवार शाम पांच बजे शुरू हुआ था और यह 45 घंटे तक चलाया गया। मंगलवार को तीसरे दिन सात घंटे के करीब रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू चला था।

लोगों ने पीने के लिए जमा किया था यूरिन

दैनिक भास्कर में छपी खबर के अनुसार एक रात और एक दिन तीन बाई चार फीट की ट्रॉली में लगभग 25000 फीट की ऊंचाई में फंसने वालों की मनोदशा ऐसे थी कि जब उन्हें सोमवार दोपहर तक पानी नहीं मिला तो उन्होंने अपने मूत्र तक बोतल में जमा कर दिया था। ट्रॉली में फंसे विनय कुमार का कहना है कि जम सोमवार को दोपहर तक पानी नहीं मिला तो लगा कि अब प्यास ही मर जाएंगे। इसलिए उन्होंने अपने मूत्र को बोतल में जमा कर लिया। इसी तरह उनके परिवार के अन्य लोगों ने भी जमा किए। हलांकि थोड़ी देर में पानी पहुंच गया।

वहीं देवघर के झोसामढ़ी के छठी लाल, जिन्हें अंत में रेस्क्यू किया गया था। उन्होंने बताया कि पहली रात जो बीती थी व्ही सबसे भयानक थी। उनका पूरा परिवार फंसा हुआ था। उन्होंने कहा कि 'कुछ पता नहीं चल रहा था क्या होगा। मेरे दो पोते थे, जिनको लेकर मैं चिंतित था लेकिन मंगलवार को जम मैंने अपने पोटो का रेस्क्यू करते देखा तो मुझे राहत मिली, हालांकि मेरी आखों के सामने मेरी पत्नी गिर गई, जिसका मुझे अफसोस है। मेरी तरह अन्य लोग भी थे, उन्होंने काफी प्रोत्साहित किया। हम सभी एक दूसरे का हौसला बढ़ा रहे थे। यही वजह है कि हम इतनी विकट परिस्थिति में अपना हौसला बनाए रखे।'

ऐसे चला रेस्क्यू ऑपरेशन

बता दें कि एयरफोर्स के 60, सेना के 48 और आईटीबीपी के 48 जवानों ने हेलीकाप्टर से 1500 फीट ऊंचाई पर पहुंचकर रोपवे की तीन ट्रॉलियों में फंसे 15 लोगों को निकाल लिया। रस्क्यू के दौरान एक जवान के पैर पर चोट लग गई। 45 घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन में कुल 12 लोग घायल हुए, जबकि तीन लोगों की मौत हुई।

पहले दिन ट्रॉली के पहाड़ से टकरा जाने से एक की मौत हुई थी, जबकि सोमवार को एक व्यक्ति रेस्क्यू के दौरान खाई में गिर गया, जिससे उसकी मौत हो गई। इससे पहले सोमवार को सेना को रेस्क्यू करने में खासी दिक्कत आई, जिस कारण सेना ने रणनीति बनाकर फिर से बचाव कार्य शुरू किया।

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