झारखण्ड में इलाज के दौरान कोरोना संक्रमित महिला की मौत, परिजनों ने नर्स को पीटकर महिला डॉक्टर के फाड़े कपड़े
नर्स के साथ मारपीट और महिला चिकित्सक के कपड़े फाड़ने के बाद परिजन गालियां देते हुए बड़े आराम से कैंपस से निकल गए। इस दौरान वहां पर तैनात पुलिसकर्मी मूकदर्शक बनकर देखते रहे। इतना ही नहीं कुछ पुलिसकर्मी मारपीट करने वालों को ठीक से बाहर निकलने की सलाह भी दे रहे थे....
जनज्वार। झारखण्ड के पलामू स्थित मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उचित इलाज ना मिलने को लेकर तीमारदारों का गुस्सा आज सातवें आसमान पर जा पहुँचा। यहां एमआरएमसीएच के जीएनएम कॉलेज परिसर में संचालित आइसोलेशन वार्ड कमरा नंबर 2 में बैरिया निवासी बुजुर्ग की आज गुरूवार मौत हो गई। 65 वर्षीय बुजुर्ग गौरी देवी कोरोना संक्रमित थीं। मौत के बाद गौरा देवी के परिजन उग्र हो गए और ड्यूटी नर्स रेखा कुमारी के साथ मारपीट कर दी।
मृतक गौरी देवी के परिजनों ने महिला चिकित्सक गीतांजली नीलम की पिटाई के बाद कपड़े तक फाड़ दिए। परिजनों का आरोप था कि ठीक से इलाज नहीं करने से उसकी मौत हो गई। महिला की मौत के बाद गुरुवार 6 मई की सुबह करीब साढ़े 9 बजे हुई मारपीट में नर्स रेखा को काफी चोट आई है। घटना के बाद कुछ देर के लिए चिकित्सक और कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी। डॉक्टर सुमित ने बताया कि मारपीट करने वाले सात से आठ लोग थे।
नर्स के साथ मारपीट और महिला चिकित्सक के कपड़े फाड़ने के बाद परिजन गालियां देते हुए बड़े आराम से कैंपस से निकल गए। इस दौरान वहां पर तैनात पुलिसकर्मी मूकदर्शक बनकर देखते रहे। इतना ही नहीं कुछ पुलिसकर्मी मारपीट करने वालों को ठीक से बाहर निकलने की सलाह भी दे रहे थे। घटना के बाद गुस्साए कर्मियों और चिकित्सकों को डीडीसी शेखर जमुआर और प्रभारी सिविल सर्जन डॉ अनील श्रीवास्तव ने समझाया जिसके बाद करीब साढ़े 11 बजे से सभी चिकित्सक और कर्मी अपने-अपने काम पर लौटे।
मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज में कोरोना वॉरिर्यस चिकित्सक गीताजंलि व सुमित ने बताया कि फिलहाल, जिले में विचित्र स्थिति बन गई है। चिकित्सकों ने कहा कि बाहर के चिकित्सक मरीजों से इलाज के नाम पर पैसे की लूटखसोट कर रहे हैं। मरीज का ऑक्सीजन लेवल कम हो अथवा स्थिति गंभीर हो जाती है तो अस्पताल भेज देते हैं। मरीजों को बाहर के चिकित्सक ये तक समझाकर यहां भेज रहे हैं कि वहां पर ही वे देखने आएंगे। चिकित्सकों ने कहा कि बाहर के डॉक्टर जब तक मरीज के पास पैसा है इलाज कर रहे हैं और जब मरीज के पास पैसा खत्म हो जाता है तो इलाज करने के बजाए हाथ खड़े कर अस्पताल में भेज देते हैं।
चिकित्सकों का कहना है कि अस्पताल में कभी ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी हो रही है तो कभी रेगुलेटर का अभाव है। इसमें चिकित्सक और स्टाफ क्या करेंगे? जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग में टॉप लेवल पर बैठे लोगों की व्यवस्था करनी है। इसमें मरीजों के परिजनों का कोप भाजन का शिकार चिकित्सक और स्टाफ हो रहे हैं। इसी तरह की स्थिति बनी रहेगी तो मरीजों का इलाज कैसे कर पाएंगे। चिकित्सकों ने कहा कि तीन शिफ्ट में दो डॉक्टर व चार नर्स ड्यूटी कर रहे हैं। आइसोलेशन वार्ड में मरीजों की संख्या 100 हो गई है। जिससे परेशानी और बढ़ गई है।