Journalist Kishor Ram की गिरफ्तारी पर Editors Guild Of India ने जताई गहरी चिंता, तत्काल रिहाई की मांग

Journalist Kishor Ram की गिरफ्तारी पर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने चिंता जाहिर की है और प्रशासन से तत्काल उनको रिहा करने की मांग की है...

Update: 2022-03-03 13:55 GMT

(पत्रकार किशोर राम की गिरफ्तारी पर EGI ने जताई चिंता)

Journalist Kishor Ram : 'जनज्वार' से जुड़े पत्रकार किशोर राम उर्फ किशोर ह्यूमन की गिरफ्तारी पर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (Editors Guild Of India) ने चिंता जाहिर की है। एडिटर्स गिल्ड ने लिखा 'जनज्वार' न्यूज पोर्टल के लिए काम करने वाले पत्रकार किशोर राम की गिरफ्तारी से एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया काफी परेशान है। एडिटर्स गिल्ड तत्काल उनकी रिहाई की मांग करता है और राज्य प्रशासन से पत्रकार के रिपोर्ट करने के अधिकार के खिलाफ दंड कानूनों को एक उपकरण की तरह इस्तेमाल न करने का आग्रह करता है। एडिटर्स गिल्ड ने बयान जारी किया है। 

गिल्ड ने अपने बयान में लिखा- उत्तराखंड पुलिस (Uttarakhand Police) द्वारा 24 फरवरी 2022 को पिथौरागढ़ से 'जनज्वार' पोर्टल के लिए कार्यरत पत्रकार किशोर राम की गिरफ्तारी से एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया गहराई से व्यथित है। राम को जातियों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप में आईपीसी की धारा 153-ए के तहत गिरफ्तार किया गया है। यह बहुत चिंताजनक है। राम कुछ समय से हाशिए पर पड़े वर्गों और निचली जातियों से संबंधित मुद्दों पर रिपोर्टिंग कर रहे थे।

गिल्ड ने आगे लिखा- ताजा मामलों में उनके खिलाफ दो अलग-अलग घटनाओं की रिपोर्टिंग के लिए एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी जिसमें एक 13 फरवरी को दलित युवक की मौत से संबंधित और दूसरी 18 फरवरी को दो नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार पर रिपोर्टिंग के संबंध में। दोनों ही मामलों में राम ने परिवार के सदस्यों समेत पीड़ितों को जानने वालों का इंटरव्यू लिया था और वीडियो को वेबसाइट पर अपलोड किया था। 

'पुलिस ने अपनी शिकायत में राम पर परिवार के सदस्यों से लोगों की जाति पूछने और उच्च जाति के लोगों द्वारा अनुसूचित जाति के लोगों की हत्या के बारे में बोलने का आरोप लगाया है।'

'यह अत्यंत दुखद है कि जाति आधारित अपराधों की रिपोर्टिंग मात्र को गिरफ्तारी के आधार के रूप में उद्धृत किया जा रहा है। एडिटर्स गिल्ड किशोर राम की तत्काल रिहाई की मांग करता है और राज्य प्रशासन और कानून लागू करने वाली एजेंसियों से सामाजिक और जाति आधारित मुद्दों पर रिपोर्ट करने के पत्रकारों के खिलाफ धमकी के उपकरण के रूप में दंड कानूनों का उपयोग नहीं करने का आग्रह करता है।'

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