Journalist Kishor Ram : जेल में बंद 'जनज्वार' के पत्रकार किशोर राम के समर्थन में आए पत्रकार, राजनीतिक व सामाजिक कार्यकर्ता, जिलाधिकारी से की ये मांग

Journalist Kishor Ram : पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के प्रतिनिधिमंडल ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए खतरा बताते हुए कहा कि इन परिस्थितियों में भविष्य में पत्रकारों के लिए किसी भी माध्यम से पत्रकारिता करना सुरक्षित नहीं रह जाएगा....;

Update: 2022-02-25 14:29 GMT
Journalist Kishor Ram : जेल में बंद जनज्वार के पत्रकार किशोर राम के समर्थन में आए पत्रकार, राजनीतिक व सामाजिक कार्यकर्ता, जिलाधिकारी से की ये मांग

(पत्रकार किशोर राम के खिलाफ पिथौरागढ़ पुलिस ने दर्ज किया है मुकदमा)

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Journalist Kishor Ram : पिथौरागढ़ में रेप और हत्या के दो अलग-अलग मामलों को उठाने वाले 'जनज्वार' के पत्रकार किशोर राम (Kishor Ram) के समर्थन में अब पत्रकार, राजनीतिक व सामाजिक कार्यकर्ता और प्रबुद्धजन भी उतरे हैं। उन्होंने जिलाधिकारी से किशोर राम के खिलाफ दर्ज मामलों को शीघ्र वापस लेने की मांग की है।

किशोर राम  पर मुकदमा दर्ज किए जाने के संबंध में शुक्रवार को एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी से मुलाकात की और इस कार्यवाही को प्रेस की स्वतंत्रता के लिए खतरा बताया है। जिलाधिकारी को सौंपे ज्ञापन में उन्होंने कहा कि पिथौरागढ़ पुलिस ने गत 22 फरवरी को जनज्वार से जुड़े पत्रकार किशोर कुमार पर दर्ज किा गया मुकदमा पूरी तरह से गलतहै।

किशोर पर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने का आरोप पुलिस ने लगाया है जबकि यूट्यूब और फेसबुक पर जारी किए गए उनके वीडियो को देखने से ऐसा कुछ भी प्रतीत नहीं होता है। पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि जनपक्षीय पत्रकारिता कर रहे पत्रकार का पुलिस द्वारा उत्पीड़न किया गया है। 

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पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के प्रतिनिधिमंडल ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए खतरा बताते हुए कहा कि इन परिस्थितियों में भविष्य में पत्रकारों के लिए किसी भी माध्यम से पत्रकारिता करना सुरक्षित नहीं रह जाएगा। उन्होंने जिलाधिकारी से किशोर के खिलाप दर्ज मुकदमे वापस लिए जाने की मांग की है। 

वहीं भाकपा माले के जिला संयोजक गोविंद कफलिया, यूथ कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता चंचल बोरा, सामाजिक कार्यकर्ता और छात्र किशन कुमार, विनोद उप्रेती, दीपक तिरूवा, विशाल, नीरज, सूरज, आशीष आदि ने इसे मानवाधिकार का उल्लंघन औऱ प्रेस की आजादी पर हमला बताया है औऱ किशोर राम को तुरंत रिहा करने की मांग की है। 

इसके अलावा जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने पीड़ित परिवार की आवाज उठाने वाले पत्रकार के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की आलोचना करते हुए इसे हिटलरशाही करार दिया और चेतावनी दी है कि चौबीस घंटे के बीतर पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई न होने पर पुलिस अधीक्षक कार्यालय पर धरना प्रदर्शन की चेतावनी दी है। 

क्या था मामला

बता दें कि पुलिस जिन दो वीडियोज के आधार पर पत्रकार किशोर राम के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है, वो दोनों अलग-अलग मामले हैं। एक मामला दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले युवक की हत्या का तो दूसरा दलित लड़की के साथ कथित तौर पर रेप का मामला। इन दोनों मामलों को जानते हैं। पहला- 13 फरवरी को पिथौरागढ़ के डीडीहाट ब्लॉक के गांव तल्ली भैसोढ़ी में दलित युवक रामी राम की हत्या को लेकर किशोर राम उसी गांव के लोगों और मृतक के रिश्तेदारों से बात करने और घटना के बारे में जानकारी लेने के लिए पहुंचे थे। इस दौरान गांव के लोगों और उनके रिश्तेदारों ने घटना के बारे में पूरी कहानी बताई थी।

परिजनों ने आरोप लगाया था कि 13 फरवरी को रामी राम को राजेंद्र सिंह देउपा ने फोन करके बुलाया था। रिश्तेदारों ने गोकुल सिंह देउपा पर रामी राम की हत्या का आरोप लगाया था। उनके मुताबिक रामी राम की पत्थरों से कुचलकर हत्या की गई थी। इस दौरान रामी राम की पत्नी ने भी आरोप लगाया था कि उनका पति कांग्रेस का समर्थक था इसलिए भाजपा से जुड़े लोगों ने उसे मौत के घाट उतार दिया।

जबकि दूसरा वीडियो एक नाबालिग दलित बेटी के साथ दुष्कर्म से जुड़ा था। किशोर राम ने इस मामले में भी पीड़ित परिवार का पक्ष जानने की कोशिश की थी। इस दौरान लड़की के पिता ने बताया था कि यह घटना 18 जनवरी की रात की है। जिसमें दो लड़के गौरव बिष्ट और किशन नाम डीजे वाले के साथ गए थे, जिन्होंने मेरी मेरी दो नाबालिग बेटियों को कार में घुमाने के बहाने अपने चंगुल में फंसाया। इसके बाद पूरी रात इन्होंने हवस का शिकार बनाकर टनकपुर-पिथौरागढ़ हाईवे पर छोड़ दिया। रात के पता नहीं कितने बजे रहे होंगे। उसके बाद एक ट्रक ड्राइवर ने हमारी बेटियों को तप्पड़ नामक जगह पर छोड़ा। फिर उसके मोबाइल से फोन कर मेरे घर को जानकारी दी गई। उसके बाद मैंने प्रशासन के लिए कार्रवाई के लिए कहा तो प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की। अभी मैं स्वयं यहां आया हूं तो मेरे साथ भी ऐसे व्यवहार किया जाता है कि जैसे मैंने कोई जुर्म किया हो।

इस मामले में एफआईआर दर्ज हुई या नहीं, यह पूछने पर उन्होंने बताया था कि मुझे 16 तारीख को डीएम साहब ने मुझे आश्वासन दिया था कि तहसीलदार साहब के पास जाओ। लेकिन तहसीलदार साहब मुझे बिना बताए एसडीएम साहब के पास लेकर गए। उनके साथ वार्तालाप हुई तो वो मेरे साथ ऐसे पेश हुए जैसे मैं कोई आरोपी हूं। मेरे से इस तरह का सवाल जवाब कर रहे हैं कि जो तुमने जो बलात्कार का आरोप लगा रखा है पुष्टि नहीं होगी तो जेल जाना पड़ेगा। लड़के की ओर से भी दबाव बनाया जा रहा है। लड़की के पिता ने यह भी चेतावनी दी थी कि इस मामले में अगर कार्रवाई नहीं होती है तो मैं डीएम कार्यालय के सामने आत्महत्या करूंगा।

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