पत्रकार मनीष सोनी ने कहा- मुझे झूठे प्रकरण में फंसाने का प्रयास कर रही सरगुजा पुलिस

मनीष कुमार सोनी ने कहा कि सरगुजा पुलिस द्वारा उन्हें दुर्भावनापूर्ण तरीके से झूठे प्रकरण में फंसाने का प्रयास कर रही है और उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है, उन्होंने कहा कि सरगुजा का पुलिस विभाग बीते एक वर्ष से उनपर झूठा प्रकरण बनाने की फिराक में है......

Update: 2020-08-18 11:29 GMT

सरगुजा। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले की पुलिस ने इस वर्ष मार्च में सोशल मीडिया में कथित आपत्तिजनक पोस्ट डालने के आरोप में पत्रकार मनीष कुमार सोनी के खिलाफ मामला दर्ज किया है। सरगुजा क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक रतन लाल डांगी ने सोमवार को बताया कि पुलिस ने उक्त मामले में रविवार 16 अगस्त को मनीष कुमार सोनी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।

पुलिस अधिकारी ने कहा कि सोनी ने इस वर्ष मार्च में फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा था। इसके बाद पार्षद आलोक दुबे ने सोनी के खिलाफ पुलिस में शिकायत की थी। मामले की जांच के बाद सोनी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया। डांगी ने कहा कि इस मामले में अभी गिरफ्तारी नहीं हुई है तथा मामले की जांच की जा रही है। 

वहीं दूसरी ओर पत्रकार मनीष कुमार ने कहा कि सरगुजा पुलिस द्वारा उन्हें दुर्भावनापूर्ण तरीके से झूठे प्रकरण में फंसाने का प्रयास कर रही है और उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरगुजा का पुलिस विभाग बीते एक वर्ष से उनपर झूठा प्रकरण बनाने की फिराक में है। 

मनीष ने कहा, '22 जुलाई 2019 को पंकज बेक नाम के एक आदिवासी युवक की पुलिस अभिरक्षा में मृत्यु हुई थी जिस पर मेरे द्वारा निरंतर रिपोर्टिंग किया जा रहा है, जिसमें मैंने और कुछ अन्य पत्रकारों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने गम्भीर प्रश्न उठाये थे, उक्त मृत्यु अत्यन्त संदेहास्पद हुई थी और पुलिस द्वारा थर्ड डिग्री टॉर्चर करने के कारण प्रतीत होती है, इसलिए मेरे द्वारा उठाये गए प्रश्न पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने में सहायक रहे हैं। यही कारण है कि उक्त घटना के आरोपी पुलिसकर्मी एवं उनके सहयोगी मुझसे विशेष दुर्भावना रखते हैं।'

मनीष कुमार सोनी ने नया रायपुर और सरगुजा के पुलिस महानिदेशक को लिखे शिकायत पत्र में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मैने पिछले एक वर्ष में समय-समय पर आपके कार्यालय सहित, पुलिस महानिदेशक छत्तीसगढ़ रायपुर, गृह-मंत्रालय एवं अन्य सक्षम स्थानों पर की गई थी जिसपर वर्तमान में गृह मंत्रालय से जांच भी लंबित है और मेरा ब्यान भी पुलिस अधीक्षक कार्यालय द्वारा दर्ज किया गया है।

मनीष कुमार ने कहा कि रविवार 22 मार्च 2020 को सम्पूर्ण देश में प्रधानमंत्री के द्वारा पहला एवं पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की गई थी परन्तु उसी तारीख की रात को अंबिकापुर स्थानीय ग्रैंड बसंत में गद्दी पारा निवासी अब्दुल रशीद सिद्दीकी के बेटे इरफान सिद्दीकी की शादी का रिसेप्शन था जिसमें आलोक दुबे ने भी सिरकत की थी जो भाजपा पार्षद हैं।

'उक्त घटना के कारण होटल संचालक, इरफान सिद्दीकी एवं अन्य के विरुद्ध महामारी अधिनियम के अंतर्गत 188, 269, 270 का अपराध अम्बिकापुर कोतवाली में 22 मार्च 2020 को दर्ज किया गया था। उक्त पार्टी में शिरकत किये हुए लोगों की सूची, पार्टी के मेजबान इरफान सिद्दीकी के द्वारा अम्बिकापुर के अनुविभागीय दण्डाधिकारी को उपलब्ध कराया गया था जिसके तीसरे नंबर पर शिकायतकर्ता आलोक दुबे का नाम स्पष्ट लिखा हुआ है।

'उक्त घटनाक्रम से सम्बंधित समाचार भी विभिन्न अखबारों एवं न्यूज़ पोर्टल पर प्रकाशित हुआ था जिसमें लल्लूराम न्यूज़ पोर्टल के एक लिंक को मेरे फेसबुक में साझा किया गया था जो कि एक पत्रकार होने के नाते हम अक्सर अन्य मीडिया समूहों के समाचार भी व्यक्तिगत तौर पर साझा करते हैं। ऐसा मेरे द्वारा अपने कर्तव्यों के निर्वहन के तहत ही किया गया था ना कि किसी अन्य कारणों से।

मनीष कुमार ने आगे कहा कि पंकज बेक प्रकरण में विशेष रिपोर्टिंग करने के कारण पहले से ही मुझसे दुर्भावना रखने वाले सरगुजा पुलिस के अधिकारी मेरे विरुद्ध मामला खोजते रहते हैं और अपने प्रभाव के लोगों को लिखित शिकायत करने बोलते रहते हैं। पूर्व में भी जिले के पूर्व पुलिस अधीक्षक ऐसा कर चुके हैं जिस बाबत शिकायत का उल्लेख कंडिका 2 में किया गया है।

पत्रकार ने कहा कि उन्हें विश्वत सूत्रों से मुझे पुख्ता जानकारी प्राप्त हुई है कि वर्तमान नगर पुलिस अधीक्षक कैसे भी करके उनके खिलाफ फर्जी मामला दर्ज करने की तैयारी में हैं, अपुष्ट जानकारी यह भी है कि ऐसा करने के लिए उन्हें अच्छी खासी रक़म भी रिश्वत के रूप में दी गयी है।

मनीष कुमार ने आरोप लगाया कि फेसबुक पोस्ट को शिकायतकर्ता आलोक दुबे द्वारा आपत्ति जताते हुए दुर्भावनापूर्वक फर्जी मामला बनवाने का वर्तमान में प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने आगे कहा, 'उपरोक्त पोस्ट को पढ़ने के बाद कोई मिडिल या दसवीं पास व्यक्ति भी यह बता देगा कि किसी भी शब्द में देशद्रोह, राजद्रोह का बिंदु मात्र भी अवयव नहीं है। पत्रकार होने के नाते मेरा यह वैधानिक, संवैधानिक, नैतिक कर्तव्य है कि मैं शासन की नीतियों, कार्यों एवं योजनाओं तथा शासकीय सेवकों के भी कर्तव्य निर्वहन की पद्धति एवं उनके कार्यकलापों जो अनुचित विधि - विरुद्ध और गलत प्रतीत होते ही उसके विरुद्ध अपनी आवाज बुलंद करूं और जनता को अपने विचारों से अवगत कराऊं।

'यह स्वतंत्र पत्रकारिता एवं एक जीवंत समाज के लिए अत्यंत आवश्यक है और देश हित में भी आवश्यक है कि प्रत्येक संवैधानिक ,लोकतांत्रिक व्यवस्था में स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रेस और उसकी स्वतंत्र अभिव्यक्ति का अधिकार मूलभूत संवैधानिक अधिकार है जिसे छीनकर प्रेस और पत्रकारों के मुंह बंद कराने का यह कुत्सित प्रयास है। यदि इस तरह के पोस्ट पर पत्रकारों के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया जाएगा तो 90% पत्रकार जेल चले जाएंगे।'

'मेरी अभिव्यक्ति पूरी तरह संविधान के दायरे में है और मुझे संवैधानिक रूप से अनुच्छेद 19 में इसका अधिकार प्राप्त है, एक पेशेवर पत्रकार होने के नाते सरकार एवं उनके अभिकर्ताओं, महकमाओं तथा नीतियों पर टिपण्णी करना उनकी आलोचना/समर्थन करना मेरा नैतिक कर्तव्य भी है। इससे मुझे रोकना, मानसिक रूप से परेशान करना, समय समय पर मेरे विरुद्ध दुर्भावनापूर्वक फर्जी मामले गढ़ने का प्रयास करना अनैतिक, शरारतपूर्ण एवं आपराधिक प्रकृति का कृत्य तो है ही साथ ही यह दुर्भाग्यपूर्ण भी है कि मेरे विरुद्ध उक्ताशय के कार्य में वह पुलिस महकमा संलिप्त है जिनपर मेरी और मुझ जैसे नागरिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है।'


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