Justice J.B. Pardiwala : आरक्षण को देश की बर्बादी का सबसे बड़ा कारण बताने वाले जेबी परदीवाला बनेंगे सुप्रीम कोर्ट के जज
Justice J.B. Pardiwala : जस्टिस परदीवाला वकीलों के परिवार में चौथी पीढ़ी के कानूनी पेशेवर हैं, उनके पिता ने वलसाड और नवसार जिलों में वकाल की थी। वह कुछ समय के लिए गुजरात की सातवीं विधानसभा के अध्यक्ष रूप में भी कार्य कर चुके हैं.....
Justice J.B. Pardiwala : सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (SC Collegeum) ने गुरुवार 5 मई को गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुधांशु धूलिया (Justice Sudhanshu Dhulia) और गुजरात हाईकोर्ट के जज जस्टिस जमशेद बुरजोर परदीवाल (Justice J.B. Pardiwala) के नामों की सुप्रीम कोर्ट के लिए सिफारिश की है। कॉलेजियम, जिसमें भारत की मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस यू.यू. ललित, जस्टिस ए.एम.खानविलकर, जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस एल. नागेश्वर राव शामिल थे, ने केंद्र सरकार से इन दोनों नामों की नियुक्ति के लिए कार्रवाई करने को कहा है। अगर केंद्र सरकार जस्टिस परदीवाला (Justice J.B. Pardiwala) के नाम को मंजूरी देता है तो उनका कार्यकाल 11 अगस्त 2030 तक रहेगा।
कौन हैं जस्टिस सुधांशु धूलिया
जस्टिस धूलिया उत्तराखंड निवासी हैं। वह दूसरी पीढ़ी के कानूनी पेशेवर हैं जो 1986 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में बार में शामिल हुए और 2000 में इसके गठन पर अपने गृहराज्य उत्तराखंड स्थानांतरित हो गए। वह उत्तराखंड हाईकोर्ट में पहले मुख्य स्थायी वकील रहे और बाद में उत्तराखंड राज्य के लिए एक अतिरिक्त महाधिवक्ता रहे। उन्हें 2004 में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया। 2008 में उन्हें उत्तराखंड हाईकोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत किया गया था। बाद में 10 जनवरी 2021 को असम, मिजोरम, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश के हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने।
इसी साल फरवरी में चीफ जस्टिस धूलिया की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने असम सरकार के एक कानून को बरकरार रखा था जिसमें सरकारी मदरसों को नियमित स्कूलों के रूप में परिवर्तित किया गया था, जिसमें कहा गया था कि ऐसे राज्य वित्त पोषित संस्थान धार्मिक निर्देश नहीं दे सकते। यदि राष्ट्रपति द्वारा उनकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी जाती है तो सुप्रीम कोर्ट में उनका कार्यकाल 9 अगस्त 2025 तक रहेगा।
वकीलों के परिवार की चौथी पीढ़ी के कानूनी पेशेवर जस्टिस परदीवाला
वहीं जस्टिस परदीवाला (Justice J.B. Pardiwala) वकीलों के परिवार में चौथी पीढ़ी के कानूनी पेशेवर हैं। उनके पिता ने वलसाड और नवसार जिलों में वकालत की थी। वह कुछ समय के लिए गुजरात की सातवीं विधानसभा के अध्यक्ष रूप में भी कार्य कर चुके हैं। जस्टिस परदीवाला ने 1990 में गुजरात हाईकोर्ट में कानून का अभ्यास करना शुरू किया। उन्हें 1994 में गुजरात की बार काउंसिल का सदस्य चुना गया था। उन्हें 2002 में गुजरात हाईकोर्ट के लिए स्थायी वकील के रूप में नियुक्त किया गया था और बेंच में पदोन्नती की तारीख 17 फरवरी 2011 तक इस पद पर रहे। जस्टिस परदीवाला के पास विभिन्न विषयों पर करीब 1012 फैसले लिख चुके हैं।
आरक्षण के खिलाफ टिप्पणी
साल 2015 में 58 राज्यसभा सांसदों ने सभापति और पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के समक्ष एक याचिका दायर की थी जिसमें आरक्षण के खिलाफ कथित टिप्पणी के लिए जस्टिस परदीवाला को हटाने की मांग की थी। हालांकि जस्टिस परदीवाला ने राज सरकार के एक आवेदन पर अपनी टिप्पणी को तुरंत हटा दिया। परिणामस्वरूप उनके खिलाफ राज्यसभा के सांसदों की याचिका पर विचार नहीं किया गया था।
खबरों के मुताबिक जस्टिस परदीवाला ने आरक्षण के खिलाफ टिप्पणी तब की थी जब वह पटेल आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। तब उन्होंने कहा था कि यदि मुझे पूछा जाए कि कौन सी दो बातें हैं जिन्होंने देश को बर्बाद किया। या सही दिशा में देश की प्रगति में बाधा पैदा की। तब मेरा जवाब होगा- पहला आरक्षण और दूसरा भ्रष्टाचार। हमारा संविधान बना था, तब आरक्षण दस साल के लिए रखा था लेकिन दुर्भाग्य से आजादी के 65 साल बाद भी आरक्षण बना हुआ है।
मेरिटल रेप पर विवादित फैसला
पत्नी के साथ बिना अनुमति शारीरिक संबंध बनाने के मामले में साल 2018 में जस्टिस परदीवाला ने ही फैसला सुनाया था कि अगर कोई व्यक्ति पत्नी की इच्छा के बिना शारीरिक संबंध बनाता है तो इसे रेप नहीं माना जाएगा। जस्टिस परदीवाला ने कहा था कि अगर पत्नी की उम्र 18 साल से ज्यादा है और उसका पति उससे संबंध बनाता है तो वह अपने पति पर वैवाहिक बलात्कार यानी मैरिटल रेप का आरोप नहीं लगा सकती। उन्होंने कहा था कि आईपीसी सेक्शन 375 के मुताबिक पत्नी द्वारा पति पर लगाए गए रेप के आरोप दंडनीय नहीं हैं। इस सेक्शन में रेप को परिभाषित किया गया है। यह कानून महिला को अपने पति पर रेप का आरोप लगाने की अनुमति नहीं देता।
सुप्रीम कोर्ट के लिए सिफारिश पर सोशल मीडिया में चर्चा
जस्टिस परदीवाला के नाम का सुप्रीम कोर्ट के लिए सिफारिश किए जाने के बाद से सोशल मीडिया पर बवाल मचा हुआ है। वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने लिखा- ऐसे घटिया दिमाग का आदमी, जिसकी नजर में आरक्षण के संवैधानिक प्रावधान से भारत बर्बाद हो गया है, #casteist_collegium की कृपा से सुप्रीम कोर्ट का जज बनने जा रहा है। बीजेपी सरकार ने अब तक इसे रोकने का कोई इरादा नहीं जताया है। ऐसा जज किस तरह के फैसले देगा, सोचिए।
मंडल के इस ट्वीट पर एक यूजर जय गायकवाड़ ने लिखा- जज साहब ने जिन दो बातो का जिक्र किया जिसकी वजह से भारत बर्बाद हो गया उसमे जातिवाद का जिक्र नही किया जो की हमारे देश की बर्बादी की पहली वजह है।
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