Kangana Ranaut : कंगना के बयान पर भड़के फ्रीडम फाइटर, बोले - क्रांतिकारियों के खून और बलिदान का अपमान, मिले सजा

Kangana Ranaut : सत्यदेव तिवारी ने कहा कि आजादी यहां की जनता, बुद्धिजीवी, क्रांतिकारी, सेना के कुछ लोगों ने लड़कर ली है। यहां के लोग बराबर लड़ते रहे। सेना में विद्रोह हुआ। क्रांतिकारियों ने आवाज उठाई, संघर्ष किया।

Update: 2021-11-12 13:33 GMT

(स्वतंत्रता सेनानी सत्यदेव तिवारी ने कंगना रनौत को फटकार लगाई है) फोटो - जनज्वार

लक्ष्मी नारायण शर्मा की रिपोर्ट

Kamgana Ranaut : पदम् अवार्ड (Padma Awards) से सम्मानित फ़िल्म अभिनेत्री कंगना रनौत (Kangana Ranaut) के आजादी को भीख बताने वाले बयान पर वयोवृद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सत्यदेव तिवारी (Satyadev Tiwari) ने नाराजगी जाहिर करते हुए इसे देशविरोधी बयान बताया है।

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झाँसी (Jhansi News) के रहने वाले 94 वर्षीय फ्रीडम फाइटर (Freedom Fighter) ने जनज्वार से खास बातचीत में इस पूरे मसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह स्वार्थ में प्रचार के मकसद से दिया गया देशविरोधी बयान है। ऐसा बयान देने वालों को सजा मिलनी चाहिए। यह बयान क्रांतिकारियों के बलिदान का अपमान है।


सत्यदेव तिवारी ने कहा कि आजादी यहां की जनता, बुद्धिजीवी, क्रांतिकारी, सेना के कुछ लोगों ने लड़कर ली है। यहां के लोग बराबर लड़ते रहे। सेना में विद्रोह हुआ। क्रांतिकारियों ने आवाज उठाई, संघर्ष किया। मेरा खुद का परिवार तीन पीढ़ी आजादी की लड़ाई में शामिल रही।

मेरे पिता, मेरे बाबा, मां सब इस संघर्ष में शामिल रहे। सोलह साल की उम्र में जेल गया। चंद्रशेखर आजाद मेरे गांव में रहे। पास के जंगल में उन्होंने बम और हथगोला बनाना शुरू किया। देश की आजादी जनता ने लड़कर ली। कुर्बानी देकर ली।

जब तक अंग्रेजों का राज रहा, प्रतिवर्ष विद्रोह होते रहे। सन 1857 में प्रबल विरोध हुआ। छिटपुट विरोध पहले होते रहे। हमने संघर्ष करके और अपना खून देकर 1947 में आजादी हासिल की है। गांधी, विनोबा और तिलक ने जनता को उठाया, उबाला। 

तिवारी ने कहा कि अपना नाम चलाने के लिए, प्रचार करने के लिए, स्वार्थ के लिए ऐसा बयान देकर स्वार्थ हल करना चाहते हैं। आजादी जनता ने लड़कर ली है। हम दो सौ वर्ष गुलाम रहे। हमारी बुद्धि विकृत हो गई। हमारे नागरिक मजदूर बन गए, गुलाम बन गए। तिवारी ने कहा कि यह बयान देशविरोधी है। जनता के संघर्ष को नकार रहे हैं।

क्रांतिकारियों के त्याग को नकार रहे हैं। जिन्होंने बलिदान दिया, फांसी पर चढ़ गए, छोटे-छोटे बच्चे पेड़ों पर लटका दिए गए, उनके खून और बलिदान का अपमान कर रहे हैं। इनको कड़ी सजा देनी चाहिए। 

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