कानपुर हादसा: बदहवास पिता रोते गिड़गिड़ाते बोले 3 बेटों की अर्थी मेरे कंधे कैसे उठाएंगे?
पिता धनीराम ने बताया कि घर में इतनी आमदनी नहीं थी, इसलिए तीनों बेटे राममिलन (24), शिवचरन (22) और लवलेश (20) कम उम्र में ही कमाने लगे। राममिलन की शादी बिनगवां निवासी नीतू से जुलाई में तय की थी...
जनज्वार डेस्क। कानपुर के सड़क हादसे में अबतक 19 लोगों के मौत की खबर है। यह हादसा मंगलवार 8 जून की रात एसी बस और टेंपों की भिडंत के चलते हुआ। हादसे की सूचना मिलते ही गांव में हर तरफ लोगों की चीख पुकार मच उठी। इस हादस में धनीराम के पांच बेटों में से 3 की मौत हो गई। अपने 20, 22 और 24 साल के बेटों की लाश देख माता-पिता बेहोश हो गए।
बदहवास पिता डॉक्टरों के सामने रोते हुए कहते रहे- मेरी जान ले लो, मेरे बेटों को जिंदा कर दो। तीन बेटों की अर्थी मेरे कंधे कैसे उठाएंगे? इस हादसे में 10 लोगों की हालत गंभीर बतायी जा रही है। जबकि तीस से ज्यादा लोग घायल हैं।
पिता धनीराम ने बताया कि घर में इतनी आमदनी नहीं थी, इसलिए तीनों बेटे राममिलन (24), शिवचरन (22) और लवलेश (20) कम उम्र में ही कमाने लगे। राममिलन की शादी बिनगवां निवासी नीतू से जुलाई में तय की थी। गोदभराई हो गई थी। लेकिन क्या पता था, ये हो जाएगा। शादी की खरीदारी भी राममिलन ने खुद ही की थी।
इस हादसे में एक और पिता ने अपने दो बेटों को को दिया है। हादसे में धर्मराज यादव (28 साल) और गौरव (22 साल) की भी मौत हुई है। दोनों सगे भाई थे। मौत की खबर सुनकर पिता त्रिभुवन बेसुध हो गए। जब भी होश आता है तो एक ही रट लगाकर कहते हैं कि मेरे बेटों को वापस ले आओ, वो फैक्ट्री गया है। 2 बेटों की मौत से परिवार पूरी तरह टूट गया है। घर में कोई कमाने वाला भी नहीं बचा।
मृतक के चाचा ने बताया कि लॉकडाउन में काम न मिलने से घर के सुधरे हालात फिर से खराब हो गए थे। कोरोना कर्फ्य हटा तो फैक्ट्री में तेजी से फिर काम शुरू हुआ। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।