Kanpur Bikru Case : बालिग होने की पुष्टि के बाद माती जेल में शिफ्ट हुई खुशी दुबे, पहले भी 2 महीने ठिकाना रही 'महिला बैरक'
Kanpur Bikru Case : बालिग होने की पुष्टि पर खुशी को बाराबंकी के बाल संरक्षण गृह से कड़ी सुरक्षा में माती जेल लाया गया। बिकरू कांड के बाद से खुशी कभी जेल तो कभी बाल संरक्षण गृह में रखी जा रही है...
Kanpur Bikru Case (जनज्वार) : कानपुर में बिकरू कांड को अंजाम देने के बाद पुलिस एनकाउंटर (Police Encounter) में मारे गए अमर दुबे (Amar Dubey) की विधवा खुशी दुबे को शनिवार 25 सितंबर माती जेल मेें शिफ्ट कर दिया गया। बालिग होने की पुष्टि पर खुशी को बाराबंकी के बाल संरक्षण गृह से कड़ी सुरक्षा में माती जेल लाया गया। बिकरू कांड के बाद से खुशी कभी जेल तो कभी बाल संरक्षण गृह में रखी जा रही है।
गौरतलब है कि, बिकरू कांड (Bikru Kand) में कुख्यात आरोपियों के साथ नाबालिग खुशी दुबे (Khushi Dubey) को भी पुलिस ने गंभीर धाराओं में आरोपी बनाया था। जबकि घटना से महज दो दिन पहले ही खुशी विकास दुबे के करीबी अमर दुबे के साथ शादी करके बिकरू पहुंची थी। अभिलेखों के अनुसार, किशोर न्याय बोर्ड ने उसे नाबालिग मानते हुए बाराबंकी बाल संरक्षण गृह में रखने के आदेश दिए थे।
खुशी को सुनवाई के लिए बाराबंकी से ही हर तारीख पर माती किशोर न्याय बोर्ड लाया जाता था। खुशी के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित (Shivakant Dixit) ने बताया कि बालिग होने की पुष्टि पर खुशी दुबे ने माती जेल मेें शिफ्ट करने का प्रार्थना पत्र किशोर न्याय बोर्ड में दिया था। जिसके बाद बोर्ड ने उसे गुरूवार 23 सितंबर को माती जेल शिफ्ट करने का आदेश दिया था।
बोर्ड के आदेश पर शनिवार 25 सितंबर खुशी दुबे को कड़ी सुरक्षा के बीच पुलिस बाराबंकी (Barabanki) के बाल संरक्षण गृह से माती जेल लेकर पहुंची। जिला कारागार माती के जेलर कुश कुमार ने बताया कि जेल में ही मेडिकल कराने के बाद खुशी दुबे को महिला बैरक में रखा गया है।
बिकरू कांड मेें आरोपी खुशी दुबे को बाराबंकी के बाल संरक्षण गृह से माती जेल मेें शिफ्ट करने की जानकारी पूरी तरह से गोपनीय रखी गई। कड़ी सुरक्षा के बीच पुलिस वाहन से उसे सीधे जेल के अंदर ले जाया गया। इसके बाद खुशी की किट से कोविड जांच की गई। सैंपल निगेटिव आने के बाद उसे महिला बैरक (Women Barrack) में शिफ्ट किया गया।
इससे पहले भी खुशी दुबे को घटना के बाद गिरफ्तार कर माती जेल की महिला बैरक मेें दो महीने तक रखा गया था, लेकिन किशोर न्याय बोर्ड से नाबालिग होने की पुष्टि के बाद उसे बाराबंकी के बाल संरक्षण गृह भेज दिया गया। बालिग होने पर खुशी का ठिकाना फिर से माती जेल की महिला बैरक में बन गया है।