UP : सनसनीखेज हत्याकांड से थर्राया कानपुर देहात, BJP सांसद भोलेसिंह पर आरोपियों को संरक्षण देने का आरोप

राजनीतिक दबाव में पुलिस इस कदर बंधी हुई थी जिसने एक नौजवान को मौत के घाट उतार दिया, अपराधी राजनीतिक संरक्षण में खुलेआम घूम रहे हैं और पीड़ित न्याय की गुहार में दर-दर भटकता रहा...

Update: 2021-09-17 03:12 GMT

(जमीन विवाद में हत्या बनी ब्राहमण बनाम ठाकुर की लड़ाई) photo/janjwar

जनज्वार, कानपुर। आगामी 2022 विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) के मद्देनजर उत्तर प्रदेश सरकार तमाम रूपहली बातें कर रही है, बावजूद इसके धरातल पर सच्चाई बिल्कुल उलट है। प्रदेश का ऐसा कोई जिला नहीं है जहां आए दिन बड़ी अपराध की कोई घटना सामने ना आ रही हो। अपराध मुक्त और रामराज्य की बातें महज हवाई साबित हो रहीं। ताजा मामला कानपुर देहात के रूरा से सामने आया है। यहां हुई हत्या की वारदात में पुलिस कप्तान और जिलाधिकारी पर भी गंभीर आरोप लग रहे हैं।

कानपुर देहात (Kanpur Dehat) के रूरा थानाक्षेत्र के गोहलिया गांव में पुरानी रंजिश के चलते एक शख्स को मौत के घाट उतार दिया गया। दरअसल, गांव का रहने वाला आशुतोष तिवारी का काफी लंबे समय से अपने ही गांव के विजय सिंह, ओंकार सिंह के साथ विवाद चल रहा है। यहां गांव की जमीन को लेकर जातिवाद की लड़ाई चलनी बताई जा रही। यह लड़ाई पिछले 3 वर्षों से ठाकुर बनाम ब्राह्मण बन गई थी। हालिया दिनों बात इतनी बढ़ी की दबंगों ने आशुतोष तिवारी नामक युवक को मौत के घाट उतार दिया। 

दांत चियारती देहात पुलिस व इनसेट में मृतक

दरअसल, मृतक का एक घर गांव में है और दूसरा घर गांव के बाहर बना हुआ है, यहीं मृतक एक छोटी सी दुकान कर अपनी जीविका भी चला रहा था तथा एक कमरे में रहता भी था। मृतक आशुतोष अपने खेतों पर जाने की बात कह कर घर से निकला और वापस नहीं आया। परिजनों ने काफी देर तक इंतजार करने के बाद जब आशुतोष (Ashutosh) को खोजना शुरू किया तो गांव के बाहर बने आशुतोष के प्लाट में उसकी अस्त-व्यस्त अवस्था में लाश पड़ी हुई थी।

शव देख परिजन हैरत में पड़ गए। बेटे की लाश देखकर परिवार के लोग बदहवास हो गए। हत्या की सूचना मिलते ही गांव में हजारों लोगों का जमावड़ा लग गया घटना की जानकारी परिवार के लोगों ने रूरा थाने को दी लेकिन कई घंटों तक थाने से कोई घटनास्थल पर नहीं पहुंचा। जिसको लेकर परिजनों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया।

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हजारों की संख्या में गांव वालों और परिवार के लोगों ने बवाल शुरू कर दिया। नतीजा यह रहा कि, जब पुलिस पहुंची तो जबर्दस्त विरोध हुआ। घटनास्थल पर जाने से रोक दिया। मामला गरमाया तो आनन-फानन में रूरा थाने की पुलिस ने कानपुर देहात के आला अधिकारियों को सूचना दी। इसके बाद घटनास्थल पर 7 थानों की पुलिस पहुंची और शव को अपने कब्जे में लेने की कोशिश की लेकिन ग्रामीणों का गुस्सा इतना बढ़ चुका था कि पुलिस को पीछे हटना पड़ा। 

गांव में हुए इस सनसनीखेज हत्याकांड के बाद माहौल इतना बिगड़ गया कि पुलिस के हाथ पांव फूल गए। मौके पर पुलिस का कोई भी अधिकारी नहीं पहुंचा। कुछ देर बाद पहुंचे एसडीएम (SDM) ने भीड़ को समझाने का प्रयास किया लेकिन भीड़ का साफ तौर से आरोप था कि जब हम पुलिस की मदद मांग रहे थे तब हमारी किसी ने नहीं सुनी और अब आप यहां से चले जाइए।

अलबत्ता, सैकड़ों की भीड़ में फंसे एसडीएम को मौके से निकलना ही बेहतर लगा। एसडीएम के जाने के बाद 5 घंटे तक पुलिस का कोई भी अधिकारी घटनास्थल पर नहीं पहुंचा। महज थाने की फोर्स ही भड़के हुए ग्रामीणों से मोर्चा लेती रही। आशुतोष तिवारी की हत्या में परिजनों ने राजनीतिक संरक्षण देते हुए हत्या किए जाने की बात कही है। हत्याकांड में कानपुर देहात बीजेपी सांसद देवेंद्र सिंह भोले (Devendra Singh Bhole) का नाम भी आ रहा है। क्योंकि हत्या का आरोपी पूर्व प्रधान भी है और भोले सिंह का करीबी बताया जा रहा है।

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इस संबंध में पीड़ितों ने जिले के पुलिस कप्तान केशव कुमार चौधरी (Keshav Chaudhary) से कई बार शिकायत भी की, लेकिन पुलिस का रवैया जगजाहिर है। जिसके चलते पीड़ितों को समय रहते कोई मदद नहीं मिल सकी। अधिकारियों के सारे सरकारी सीयूजी नंबर बंद थे। न तो जिलाधिकारी फोन उठा रहे थे और ना ही जिले के अन्य पुलिस अधिकारी। बीजेपी विधायक प्रतिभा शुक्ला और पूर्व सांसद अनिल शुक्ल वारसी भी घटनास्थल पर पीड़ितों से मिलने पहुंचे। 

उन्होंने पुलिस अधिकारी और जिलाधिकारी (DM Dehat) को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा किया। सत्ता में होने के बावजूद भी बीजेपी विधायक ने खुद अपनी ही पुलिस पर सवालिया निशान खड़े किए हैं तो यह सोचने वाली बात है। पुलिस की कार्यशैली और जिला अधिकारी के कामों से नाखुश बीजेपी विधायक और पूर्व सांसद ने घटनास्थल से पुलिस अधिकारियों को कई फोन किये, लेकिन फोन स्विच ऑफ होने के चलते अधिकारियों से बात नहीं हो पाई। हैरानी वाली बात है कि इतने बड़े मामले पर जिम्मेदार अपना मोबाइल बंद किये बैठे हैं, पुलिस की कार्यशैली पर बड़ा सवाल है।

पीड़ित परिवार की माने तो उन्होंने चली आ रही रंजिश के बारे में रूरा थाने में कई बार शिकायत की साथ ही जिले के डीएम से लेकर पुलिस कप्तान केशव चौधरी तक अपनी बात बताई लेकिन पुलिस इसे महज झगड़ा समझकर टालती रही। नतीजतन, पुलिस की इस लापरवाही ने एक युवक को दर्दनाक मौत दे दी। आज यह पीड़ित अपने बेटे को खो चुके हैं लेकिन पुलिस अभी भी अपने कर्तव्य को पूरी तरीके से नहीं निभा रही है।

MLA प्रतिभा शुक्ला व पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी

इतनी बड़ी घटना के बाद पुलिस का कोई भी अधिकारी घटनास्थल पर इतनी देर बाद पहुंचता है जो बड़ा सवाल है। समय रहते अगर पुलिस कार्रवाई कर देती तो शायद आज आशुतोष जिंदा होता। राजनीतिक दबाव (Political Pressure) में पुलिस इस कदर बंधी हुई थी जिसने एक नौजवान को मौत के घाट उतार दिया। अपराधी राजनीतिक संरक्षण में खुलेआम घूम रहे हैं और पीड़ित न्याय की गुहार में दर-दर भटकता रहा। फिलहाल इस पूरे मामले में प्रशासन की ओर से रूरा थाना इंचार्ज और एक चौकी इंचार्ज को सस्पेंड कर खानापूर्ती कर दी गई है तथा निष्पक्ष जांच कराने की बात कही जा रही है।

मामले में भाजपा विधायक प्रतिभा शुक्ला (MLA Pratibha Shukla) ने जनज्वार से हुई बातचीत में बताया कि, मृतक आशुतोष का जमीनी विवाद था। वह कई महीनो से पुलिस के पास शिकायत लेकर दौड़ रहा था।हैरानी की बात है कि आज कानपुर देहात में पुलिस निरपराध को सजा देती है और गुनहगारों को संरक्षण दे रही है। देहात का माहौल बहुत जादा खराब हो चुका है। पुलिस साफतौर पर दोषी है और यह हत्या जांच का विषय है।

इनपुट : मोहित कश्यप, कानपुर देहात

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