कानपुर पुलिस ने फिर किया बड़ा कांड, छात्र को अस्पताल की बजाय लोडर से ले गये मुर्दाघर, परिवार का आरोप चल रही थीं सांसें

आईस्क्रीम कारोबारी गिरीशचंद्र सचान के 19 वर्षीय पुत्र हर्षित की हत्या के बाद मौके पर पहुँची पुलिस उसे एंबुलेंस में लादकर हैलट के लिए निकली। इस दौरान हर्षित की मां भी उसके साथ थीं। आरोप है कि एंबुलेंस से कुछ दूर ले जाने के बाद पुलिस ने उसे एक पहले से खड़े लोडर में बैठा दिया...

Update: 2021-08-20 04:15 GMT

मृतक हर्षित और बगल में बिलखता परिवार.

जनज्वार, कानपुर। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कानपुर स्थित घाटमपुर में एक बार फिर पुलिस की असंवेदनशीलता सामने आई है। यहां के एक आईस्क्रीम कारोबारी के बेटे की हत्या के बाद पुलिस उसकी डेड बॉडी को लोडर में लादकर अस्पताल ले गई। परिवार का आरोप है कि बेटे की सांसे चल रही थीं और पुलिस उसे अस्पताल ना ले जाकर मुर्दाघर लेकर पहुँच गई।

दरअसल, घाटमपुर (Ghatampur) के आईस्क्रीम कारोबारी गिरीशचंद्र सचान के 19 वर्षीय पुत्र हर्षित की हत्या के बाद मौके पर पहुँची पुलिस उसे एंबुलेंस में लादकर हैलट के लिए निकली। इस दौरान हर्षित की मां भी उसके साथ थीं। आरोप है कि एंबुलेंस से कुछ दूर ले जाने के बाद पुलिस ने उसे एक पहले से खड़े लोडर में बैठा दिया। 

पॉलिटेक्निक छात्र हर्षित को बुधवार 18 अगस्त की देर शाम गोली मार दी गई थी। गुरूवार को हर्षित (Harshit) के शव का पोस्टमार्टम कराया गया। मोर्चरी पहुँची हर्षित की बहने निधि और निशी ने बताया कि, हर्षित को पहले सीएचसी घाटमपुर ले जाया गया। वहां एंबुलेंस से हैलट के लिए रिफर कर दिया गया।

सीएचसी से एंबुलेंस लेकर चली तो चतुरीपुर पुल के पास पहले से खड़े एक लोडर में हर्षित सहित सभी को लाद दिया गया। आरोप है कि लोडर से हैलट पहुँचने तक हर्षित की सांसे चल रहीं थीं। लेकिन पुलिस ने उसे मरा हुआ मानकर मोर्चरी भेज दिया। पुलिस उसे हैलट इमरजेंसी तक नहीं ले गई। सही वक्त पर इलाज ना मिलने के कुछ ही देर बाद उसकी मौत हो गई। 

अपने ही कारनामें में फंसी पुलिस 

बताया जा रहा है कि, हर्षित को हैलट रिफर किया गया तो उसे बीच रास्ते में लोडर में लादने की क्या जरूरत पड़ी? पुलिस (Police) के पास इसका जवाब नहीं सूझ रहा। सीधे मार्चरी पहुँचने पर वहां तैनात चिकित्सक ने शव लेने से इंकार कर दिया। कहा गया कि पहले हैलट इमरजेंसी लेकर जाओ, और मौत की पुष्टि कराकर शव का पंचनामा भरवाया जाए। यह सब होने के बाद ही शव लिया गया। ऐसे में पुलिस पर बड़ा सवाल उठ रहा कि बिना मौत की पुष्टि के पुलिस ने उसे मरा हुआ कैसे मान लिया।

क्या है पूरा मामला?

घाटमपुर के आछी मोहाल पूर्वी मोहल्ले में रहने वाले गिरीशचंद्र सचान की घर के पास ही आइसक्रीम फैक्ट्री है। गिरीश ने बताया कि उनका इकलौता बेटा हर्षित झांसी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पॉलीटेक्निक कर रहा था। बताया जा रहा है कि,कोरोना के चलते कॉलेज बंद चल रहा था। कुछ महीनों से वह घर पर ही था। पॉलीटेक्निक छात्र की बाइक सवार बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी। बदमाशों ने कनपटी पर गोली मारी थी। गोली मारने के बाद आरोपी मौके से भाग निकले थे।

बताया जा रहा है कि, हर्षित अपनी दुकान से किसी दोस्त के यहां जाने की बात कहकर निकला था। स्टेशन रोड के पास हाईवे किनारे पहुंचा ही था कि बाइक सवार तीन बदमाशों ने उसे रोका और गाली-गलौज करते हुए सीधे कनपटी पर गोली मार दी। इसके बाद बाइक से तीनों भाग निकले। वहां मौजूद लोगों ने पुलिस को सूचना दी और उसे सीएचसी ले गए। यहां से उसे कानपुर के हैलट अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया।

पिता ने लगाया फिरौती मांगने का आरोप

पिता ने अपहरण के बाद फिरौती की रकम नहीं देने पर हत्या का आरोप लगाया है। पांच महीने पहले छात्र का अपहरण हुआ था। फिरौती की रकम देने की बात कहने पर बदमाशों ने उसे छोड़ दिया था। घाटमपुर पुलिस केस दर्ज कर हत्याकांड के खुलासे का प्रयास कर रही है। एसपी, सीओ और फॉरेंसिक टीम मौके पर जांच करने पहुंची थी। पिता ने 6 महीने पहले बेटे का अपहरण करने वालों और कुछ लोगों पर रंजिश में हत्या का शक जताते हुए तहरीर दी है। पिता गिरीश चंद्र ने बताया कि छह माह पहले हर्षित का अपहरण हुआ था।

घटना में आरोपियों से पुराना विवाद बताया जा रहा है। उसे कई बार फोन पर गोली मारने की धमकी भी मिली थी। एसपी आउटर अष्टभुजा प्रसाद ने बताया कि हत्याकांड से सौ-दो सौ मीटर दूर लगे सीसीटीवी (CCTV) फुटेज खंगालकर हत्यारों की शिनाख्त करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके साथ ही हर्षित की कॉल डिटेल की भी जांच की जाएगी। आखिर उसे कॉल करके किसने मिलने बुलाया था

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