Karnataka High Court : अजीम प्रेमजी के खिलाफ एक मामले में कई याचिकाएं दाखिल, आरोपी दो वकीलों को भेजा गया जेल
Karnataka High Court : कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने विप्रो के संस्थापक अजीम प्रेमजी (Azim Premji) के खिलाफ एक ही मामले में कई याचिका दायर करने को लेकर एनजीओ इंडिया अवेक फॉर ट्रांसपेरेंसी (NGO India Awake for Transparency) के दो वकीलों को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया और उन्हें जेल भेज दिया गया...
Karnataka High Court : विप्रो के संस्थापक अजीम प्रेमजी (Azim Premji) के खिलाफ एक ही मामले में कई याचिकाएं दायर हुई थी। इसके बाद कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने विप्रो के संस्थापक अजीम प्रेमजी (Azim Premji) के खिलाफ एक ही मामले में कई याचिका दायर करने को लेकर एनजीओ इंडिया अवेक फॉर ट्रांसपेरेंसी (NGO India Awake for Transparency) के दो वकीलों को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया। साथ ही उन्हें जेल भेज दिया गया। बता दें कि एनजीओ (NGO) के वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े एक मामले में विप्रो के संस्थापक अजीम प्रेमजी (Azim premji) के खिलाफ कई याचिका दायर की गई थी।
वकीलों को भेजा गया जेल
बता दें कि बीते शुक्रवार 14 जनवरी को कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) में जस्टिस बी विरप्पा और जस्टिस केएस हेमलेका की खंडपीठ ने अपने फैसले में दोनों आरोपियों अधिवक्ता और सुब्रमण्यम और पी सदानंद पर अदालत की अवमानना अधिनियम की धारा 12 (1) के प्रावधानों के तहत 2000 रुपए का जुर्माना लगाया और साथ ही दोनों अधिवक्ताओं को 2 महीने की जेल की सजा भी सुनाई गई। इसके साथ ही कोर्ट ने अभियुक्तों को शिकायतकर्ताओं और उनकी कंपनियों के समूह के खिलाफ किसी भी अदालत या कानूनी प्राधिकरण के समक्ष कोई भी कानूनी कार्रवाई करने से भी रोक दिया है।
पिछली सुनवाई में सुरक्षित रखा था आदेश
बता दें कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने 23 दिसंबर को आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे। जिसके बाद अदालत ने 7 जनवरी को दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। बीते 23 दिसंबर के आदेश में अदालत ने कहा था कि आपने एक ही कारण से जुड़े सभी रिट याचिकाओं को खारिज करने के बावजूद और अदालत के आदेशों द्वारा चेतावनी और निषेध के बावजूद कई मामलेदार थे और कार्रवाई जारी रखी।
कोर्ट का किया गया दुरुपयोग
बता दें कि कोर्ट ने आगे कहा कि आपका यह व्यवहार कोर्ट के नियमों के खिलाफ है और आपने कई याचिका दायर करके न्याय प्रक्रिया का मजाक उड़ाया है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि आपने ना केवल बड़े पैमाने पर जनता के हितों को प्रभावित किया है बल्कि कोर्ट का दुरुपयोग और समय बर्बाद करके न्याय प्रशासन में भी हस्तक्षेप किया है। इस तरह का व्यवहार अदालत की अवमानना अधिनियम 1971 की धारा 2 (सी) के प्रावधानों के तहत आपराधिक अवमानना की श्रेणी में आता है और यह अधिनियम की धारा भारत के तहत दंडनीय है।
एनजीओ पर 10 लाख रुपए का जुर्माना
बता दें कि हाई कोर्ट ने पिछले साल फरवरी में अजीम प्रेमजी और कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग करते हुए दायर की गई याचिकाओं के लिए एनजीओ इंडिया अवेक फॉर ट्रांसपेरेंसी (NGO India Awake for Transparency) पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था।