मुस्लिम पर्सनल लॉ से ऊपर है पोक्सो कानून - नाबालिग गर्भवती मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

Karnataka News : कर्नाटक हाईकोर्ट ( Karnataka High court ) ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम ( POCSO Act ) एक विशेष अधिनियम है जो मुस्लिम पर्सनल लॉ ( Muslim Personal Law ) से ऊपर हैं।

Update: 2022-11-01 06:56 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट : तलाक की याचिका वापस लेने के बाद भी पति से गुजारा भत्ता पाना पत्नी का अधिकार

Karnataka News : पिछले कुछ दिनों में अदालतों के सामने ऐसे कई मामले सामने आये हैं जिसमें जिसमें मुस्लिम लडकी की शादी की आयु को लेकर अलग-अलग फैसले आये हैं। ताजा मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ( Karnataka High court ) ने आरोपी की तर्क को खारिज करते हुए साफ कर दिया है कि यौवन यानि 15 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर एक नाबालिग मुस्लिम लड़की ( minor muslim girl ) की शादी बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं करेगी।

पॉक्सो एक्ट मुस्लिम पर्सनल लॉ से ऊपर

कर्नाटक हाईकोर्ट Karnataka High court के जस्टिस न्यायमूर्ति राजेंद्र बादामीकर की पीठ ने एक नाबालिग लड़की से शादी करने वाले एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पॉक्सो अधिनियम ( POCSO Act ) एक विशेष अधिनियम है जो मुस्लिम पर्सनल लॉ ( Muslim Personal Law ) से ऊपर हैं। पॉक्सो व्यक्तिगत कानून को ओवरराइड करता है और उससे ऊपर है। पॉक्सो अधिनियम के मुताबिक यौन गतिविधियों में शामिल होने की आयु 18 साल है।

इस आधार पर दी आरोपी को जमानत

इस मामले में अदालत ( Karnataka High Court ) के समक्ष आरोपी के वकील ने जमानत की मांग करते हुए कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक यौवन की आयु 15 वर्ष माना जाता है। इस लिहाज से लड़की ने यौवन प्राप्त कर लिया है। इसलिए आरोपी नहीं माना जा सकता। इस हाईकोर्ट ने कहा कि आप मुस्लिम पर्सनल लॉ ( Muslim Personal Law ) के आधार पर जमानत की मांग नहीं कर सकते। इसके बावजूद लड़की की उम्र 17 होने की वजह से अदालत ने कहा कि वह चीजों को समझने के लिए काफी सक्षम थी। अदालत ने कहा कि चूंकि रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे यह पता चले कि उसने शादी पर आपत्ति जताई थी। इसलिए कोर्ट ने आरोपी पति को एक लाख रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दे दी है।

कर्नाटक पुलिस ने आरोपी के खिलाफ इस मामले में पोक्सो अधिनियम ( POCSO Act ) और बाल विवाह निषेध अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत नाबालिग को गर्भवती करने और उससे शादी करने के लिए मामला दर्ज किया गया था। इस बात का खुलासा उस सयम हुआ जब नाबालिग मेडिकल चेकअप के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गई और जांच में गर्भवती पाई गई। लड़की की आयु 17 वर्ष होने के कारण पुलिस को सूचित किया गया और आरोपी पति को गिरफ्तार कर लिया गया।

एक अन्य मामले में जस्टिस बदामीकर ने 19 वर्षीय आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी। इस मामले में आरोपी पर पॉक्सो अधिनियम के साथ-साथ आईपीसी के तहत भी आरोप लगाए गए हैं। आरोपी 16 वर्षीय किशोरी को कथित रूप से बहला-फुसलाकर 6 अप्रैल, 2022 को अपने साथ मैसुरु ले गया। मैसुरु में उसने होटल के एक कमरे में नाबालिग लड़की से दो बार रेप किया। चिक्कमगलुरु की निचली अदालत में आरोपपत्र पहले ही दायर हो चुका है।

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने क्या कहा था

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ( Punjab and Haryana High Court ) ने चार दिन पहले कम उम्र में शादी ( marriage age ) करने को लेकर कहा था कि लड़की 15 साल की उम्र में अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी कर सकती है। इससे बाल विवाह निषेध अधिनियम ( Child Marriage Prohibition Act ) का उल्लंघन नहीं होगा। साथ ही ये भी कहा कि यह शादी वैध मानी जाएगी। मुस्लिम पर्सनल कानून के तहत लड़की की यौन परिपक्वता अथवा अपनी इच्छा से शादी के लिए आयु 15 साल तय की गई है। 16 वर्षीय मुस्लिम लड़की ने अपनी इच्छा से शादी ( marriage age ) की है। इसे गैरकानूनी नहीं ठहराया जा सकता। लड़की की कस्टडी उसके पति को दे दी जाए।

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