Kashi Vishwanath Temple Case : 'मंदिर की दीवार पर गुंबद लगाकर मजिस्द बना देने से भी वह मंदिर ही रहता है', हाईकोर्ट में हिंदू पक्ष ने दी दलील, जानिए क्या है पूरा मामला?

Kashi Vishwanath Temple Case : सुनवाई के दौरान रस्तोगी ने मस्जिद के अस्तित्व पर सवाल उठाते हुए कहा है कि मंदिर को तोड़कर वहां दीवारें ज्यों की त्यों रखते हुए गुंबद बना दिया गया। गुंबद बनाने से वहां मस्जिद नहीं हो गयी। भगवान वहां विराजमान हैं...

Update: 2022-04-29 07:51 GMT

Gyanvapi Masjid Row : क्या औरंगजेब इतना बेवकूफ था कि मंदिर तोड़ दिया और शिवलिंग छोड़ दिया?- AIMIM प्रवक्ता ने उठाया सवाल तो ये जवाब मिला

Kashi Vishwanath Temple Case : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के वाराणसी (Varanasi) में काशी विश्वेश्वर नाथ मंदिर (Kashi Vishweshwar Nath Mandir) और ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) विवाद मामले में भारतीय पुरातत्व विभाग (Archaeological Department of India) मस्ज्दि परिसर (Masjid Premises) का का अध्ययन करे या नहीं इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में गुरुवार को सुनवाई हुई जस्टिस प्रकाश पांडिया (Justice Prakash Pandiya) की कोर्ट में भगवान विश्वेश्वर नाथ के न्याय मित्र (Nyay Mitra) व अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी (Advocate Vijay Shankar Rastogi) ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद कभी मस्जिद थी ही नहीं। भगवान विश्वेश्वर आज भी उसमें मौजूद हैं। अब इस मामले की सुनवाई दस मई को होगी।

सुनवाई के दौरान रस्तोगी ने मस्जिद के अस्तित्व पर सवाल उठाते हुए कहा है कि मंदिर को तोड़कर वहां दीवारें ज्यों की त्यों रखते हुए गुंबद बना दिया गया। गुंबद बनाने से वहां मस्जिद नहीं हो गयी। भगवान वहां विराजमान हैं। सीनियर सिविल जज वाराणसी ने ज्ञानवापी की पुरातत्व विभाग से जांच का आदेश दिया है। मजिस्द पक्ष जांच रोकने के लिए हाईकोर्ट गया है।

इस पर सुनवाई हो रही है। वहीं, ज्ञानवापी परिसर में मौजूद शृंगार गौरी की पूजा के मामले में अदालत की ओर से नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमर छह मई को मौके पर पहुंचेंगे।उन्होंने पक्षकारों को सूचना देने और सहयोग करने को कहा है। शृंगार गौरी और अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों के बारे में वस्तुस्थिति जानने के लिए ​सिविल जज अदालत ने कमिश्नर नियुक्त किया है।

दरअसल, 18 अगस्त 2021 को सिविल जज सीनियर डिवीजन (Judge Senior Division) की अदालत में दाखिल वाद में कहा गया था कि भक्तों को शृंगार गौरी के दैनिक-पूजन व अन्य अनुष्ठान करने की अनुमति देने के साथ ही परिसर में स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों को सुरक्षित रखा जाए। यह केस इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका से अलग है, लेकिन कमिश्नर की रिपोर्ट हाईकोर्ट में भी 10 मई को शपथ पत्र के जरिए पेश करने की तैयारी है। 

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