एलओसी पर तनाव, अब पाकिस्तान ने भी दी भारत को गीदड़ भभकी

नेपाल, जिसे पूरी तरह से भारत के प्रभाव में माना जाता था, अब भारत के साथ कुछ विवादित क्षेत्रों पर दावा कर रहा है, जबकि श्रीलंका और भूटान को भी अपनी आपत्ति थी...

Update: 2020-06-21 04:30 GMT

हमजा अमीर की रिपोर्ट

इस्लामाबाद, 20 जून (आईएएनएस)। भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में अस्थायी सदस्य के रूप में शामिल किए जाने के बाद एक बड़ी सफलता मिली है, जिसने पाकिस्तान में इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार को परेशान कर दिया है। अब इस्लामाबाद से नाराज प्रतिक्रियाएं शुरू हो गई हैं। पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) और वर्किंग बाउंड्री (डब्ल्यूबी) साथ किसी भी दुस्साहस के मामले में भारत को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी है।

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भारत को बॉर्डर पर किसी भी प्रतिक्रिया के खिलाफ चेतावनी देते हुए एक जवाबी कार्रवाई की गीदड़ भभकी दी है। पाकिस्तान के उच्च सदन (सीनेट) में अपने संबोधन के दौरान कुरैशी ने कहा, "खबरदार, सावधान रहें। फरवरी 2019 को याद रखें और हम पर बुरी नजर डालने पर हमारे प्रतिकार (प्रतिशोध) के लिए तैयार रहें।"

कुरैशी ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर पर निशाना साधते हुए कहा कि पाकिस्तान को भारतीयों द्वारा दबाया नहीं जा सकता है। कुरैशी ने भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच लद्दाख में हालिया घातक संघर्षों में बीजिंग के प्रति इस्लामाबाद के झुकाव को दोहराया। उन्होंने कहा कि भारतीय सैनिक वहां हताहत हो रहे थे। उन्होंने कहा, "इस क्षेत्र में एक नाटकीय बदलाव हुआ है। चीन खुले तौर पर भारत के खिलाफ मैदान में उतरा है।"

उन्होंने कहा, "नेपाल, जिसे पूरी तरह से भारत के प्रभाव में माना जाता था, अब भारत के साथ कुछ विवादित क्षेत्रों पर दावा कर रहा है, जबकि श्रीलंका और भूटान को भी अपनी आपत्ति थी। अफगानिस्तान को भी लगता है कि भारत वहां सुलह प्रक्रिया को बाधित कर रहा है।"

कुरैशी ने सीनेट को बताया कि भारत अलगाव का सामना कर रहा है और नई दिल्ली दबाव महसूस कर रहा है। इस दौरान कुरैशी ने एक बार फिर कश्मीर राग अलापा और नई दिल्ली द्वारा जम्मू-कश्मीर की स्थिति से वैश्विक समुदाय का ध्यान हटाने का आरोप लगाया।

कुरैशी की आक्रामक टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब इमरान खान की अगुवाई वाली सरकार को संयुक्त राष्ट्र के मंच पर कश्मीर का मुद्दा उठाने में विफल रहने और भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य बनने पर अपने विपक्षी दलों की गंभीर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।

पाकिस्तान ने अस्थायी सदस्यता के लिए भारत के खिलाफ मतदान किया था, लेकिन नई दिल्ली के पक्ष में भारी मतदान हुआ और भारत को अस्थायी सीट हासिल करने में उसका यह एक वोट मायने नहीं रखता था।

कुरैशी ने कहा कि हालांकि यह एक गुप्त मतदान था, मगर पाकिस्तान ने खुले तौर पर कहा कि उसने भारत के खिलाफ वोटिंग की है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने भारत द्वारा पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू एवं कश्मीर को दिया गया विशेष राज्य का दर्जा रद्द किए जाने को इसके पीछे का कारण बताया। कुरैशी ने इसे असंवैधानिक कदम करार देते हुए इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर, यूएनएससी के प्रस्तावों और अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन भी बताया।

दरअसल, भारत द्वारा कश्मीर पर लिए गए फैसले को पाकिस्तान ने मानवाधिकार और अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन बताते हुए इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हवा देने की नाकाम कोशिश की है। उसे इस मुद्दे को भुनाने को अवसर नहीं मिल सका और अब भारत को यूएनएससी में अस्थायी सीट मिल गई है। ये चीजें पाकिस्तान को बिल्कुल हजम नहीं हो रही हैं और यही वजह है कि वह आए दिन गीदड़ भभकी देता रहता है।

पाकिस्तान अपनी खीझ निकालने के लिए एलओसी पर भी लगातार संघर्ष विराम का उल्लंघन करता रहता है और आने वाले दिनों में पांच अगस्त 2020 के आसपास तनाव और बढ़ने की आशंका है। क्योंकि यही वह तारीख है, जब पिछले वर्ष जम्मू एवं कश्मीर को भारत ने एक केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला लिया था। अब पाकिस्तान विरोध प्रदर्शन, रैलियों और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेने की तैयारी कर रहा है।

Tags:    

Similar News