Kaun Hai Dhananjay Singh : कौन है बाहुबली धनंजय सिंह जिसे चुनाव प्रचार करते तो कभी क्रिकेट खेलते नहीं देख पाता बुलडोजर
Kaun Hai Dhananjay Singh: बागपत जिला जेल में मुन्ना बजरंगी की जुलाई 2018 में गोली मारकर हत्या कर दी गई। मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने धनंजय सिंह और प्रदीप सिंह पर हत्या की साजिश का आरोप लगाया था...
मनीष दुबे की रिपोर्ट
Kaun Hai Dhananjay Singh: जौनपुर के चर्चित धनंजय सिंह (Dhananjay Singh) मल्हनी विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार करते नजर आए। समाजवादी पार्टी ने उनका फोटो जारी कर योगी सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। समाजवादी पार्टी की ओर से सोशल मीडिया पर जौनपुर के मल्हनी विधानसभा सीट पर धनंजय सिंह के माला पहनकर क्षेत्र में चुनाव प्रचार करने की तस्वीर शेयर करने के साथ ही सरकार के संरक्षण में माफिया के चुनाव प्रचार करने की बात कही है।
सपा ने प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा करने के साथ ही यूपी पुलिस को भी कठघरे में खड़ा किया गया है। आरेाप लगाया गया है कि मल्हनी विधानसभा क्षेत्र में धनंजय सिंह (Dhananjay Singh) खुलेआम प्रचार कर रहे हैं और पुलिस कुछ नहीं कर रही है।
इससे पहले खेला था क्रिकेट टूर्नामेंट
कुछ माह पहले धनंजय सिंह का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ था। इसमें वो एक क्रिकेट टूर्नामेंट के उद्घाटन के मौके पर क्रिकेट खेलते नजर आ रहे थे। इस वीडियो के सहारे उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी सपा, बीजेपी पर माफिया को संरक्षण देने का आरोप लगा रही है। पुलिस रिकॉर्ड में धनंजय सिंह फरार हैं। पुलिस ने उन पर 25 हजार रुपये का इनाम भी रखा है। लेकिन वो सरेआम घूम रहे हैं। बस पुलिस को नहीं मिल रहे हैं।
शिक्षक की हत्या में नाम
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में 16 जुलाई 1975 पैदा हुए थे धनंजय सिंह। बाद में परिवार यूपी के जौनपुर आ गया। ये बात 1990 की है। महर्षि विद्या मंदिर के एक शिक्षक गोविंद उनियाल की हत्या हो गई। धनंजय उस समय हाईस्कूल में थे। कहते हैं इस मर्डर में धनंजय का नाम आया। लेकिन पुलिस इस मामले में आरोप साबित नहीं कर पाई थी। बताते हैं कि इसी हत्याकांड के बाद धनंजय पर आपराधिक मामलों से जुड़े आरोप लगने शुरू हो गए। इस घटना के दो साल बाद 1992 में जौनपुर के तिलकधारी सिंह इंटर कॉलेज से बोर्ड की परीक्षा दे रहे धनंजय पर एक युवक की हत्या का आरोप लगा। बताया जाता है कि परीक्षा के 3 पेपर धनंजय सिंह ने पुलिस हिरासत में दिए।
1997 में छात्र राजनीति में पूर्वांचल के ठाकुरों के गुट अचानक सक्रिय हुए, जिनका वर्चस्व बढ़ता चला गया। धनंजय सिंह, अभय सिंह, बबलू सिंह और दयाशंकर सिंह। हालांकि, आपस में इनका कोई रिश्ता नहीं था और ना ही ये सारे किसी एक जिले से थे। लेकिन अलग-अलग जिलों से आए और ठाकुरवाद के चलते लखनऊ यूनिवर्सिटी में एक दूसरे के करीबी होते चले गए। गुट बनता चला गया और ये लगातार हावी होते चले गए।
माफिया और रेलवे का ठेका
बताया यह भी जाता है कि माफियाओं के लिए रेलवे का ठेका उस समय आमदनी का बड़ा जरिया होता था। रेलवे में स्क्रैप की नीलामी होती थी। ढेर में अंदाजा नहीं होता था कि क्या माल है? रेलवे वाले अंदाजे से कीमत तय करते थे और उस पर बोली लगती थी। माफिया उस बोली को मैनेज करवाते थे और उसके बदले जीटी (गुंडा टैक्स) लेते थे। जानकारों के मुताबिक जीटी वसूली में नंबर-1 लखनऊ चारबाग के रहने वाले अजित सिंह थे। जो 2004 में एक एक्सीडेंट में मारे गए। कहते हैं कि अजित सिंह पूर्वांचल के किसी माफिया को पैर नहीं जमाने देना चाह रहे थे। लेकिन अभय सिंह और धनंजय सिंह किसी तरह शामिल हो गए। धीरे-धीरे अपने पांव जमा लिए। वसूली शुरू कर दी। बाहुबली छात्रनेता अभय सिंह और धनंजय सिंह में दोस्ती हो गई।
लेकिन इसी बीच एक कांड हो गया। 1997 में बन रहे आंबेडकर पार्क से जुड़े लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर गोपाल शरण श्रीवास्तव की हत्या हो गई। इंदिरानगर में वो अपने घर से निकले। मारुति 800 कार से ऑफिस जा रहे थे। सुबह के दस साढ़े दस बजे होंगे। बाइक सवार दो लोगों ने ओवरटेक करते समय फिल्मी अंदाज में उन्हें गोली मारी। इंजीनियर की गाड़ी बाउंड्री से जाकर टकराई और उनकी मौत हो गई। जिन दो लड़कों ने हमला किया था, उसमें धनंजय सिंह नहीं थे। लेकिन इस हत्या में धनंजय सिंह नामजद हुए और उन पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया।
पॉलिटिकल कैरियर
जौनपुर के रहने वाले धनंजय सिंह यहीं से चुनाव लड़ना चाहते थे। उस समय जौनपुर में एक बाहुबली नेता थे। विनोद नाटे जिन्हें मुन्ना बजरंगी का गुरु कहा जाता था। वो चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन एक रोड एक्सीडेंट में उनकी जान चली गई। कहते हैं कि धनंजय सिंह ने विनोद नाटे के समर्थकों से हाथ मिला लिया। फिर 2002 का विधानसभा चुनाव निर्दलीय लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद अगला चुनाव नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड की टिकट पर लड़ा। फिर से जीत गए। लेकिन एक साल बाद ही उन्होंने मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया।
2009 के लोकसभा चुनाव में मायावती ने उन्हें टिकट दे दिया। धनंजय सिंह जीते और पहली बार सांसद बने। लेकिन दो साल में ही मायावती ने धनंजय को पार्टी से निकाल दिया। ये कहते हुए कि वो पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त थे। इसके बाद तो मानो धनंजय सिंह की किस्मत रूठ गई। उन्होंने 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। फिर 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा उसमें भी हार गए।
तीन शादियां
धनंजय सिंह ने तीन शादियां की हैं। पहली पत्नी की मौत शादी के 9 महीने बाद ही संदिग्ध हालात में हो गई थी। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मीनू सिंह पटना जिले की रहने वाली थीं। धनंजय सिंह के लखनऊ स्थित गोमती नगर वाले घर में उनकी लाश मिली थी। इसके बाद धनंजय ने डॉक्टर जागृति सिंह से दूसरी शादी की। जागृति सिंह, हाउस हेल्पर की हत्या के आरोप में नवंबर, 2013 में गिरफ़्तार हुईं। इस मामले में धनंजय सिंह पर सबूत मिटाने के आरोप लगे। बाद में दोनों का तलाक हो गया।
मिली थी वाई श्रेणी सिक्योरिटी
साल 2018 तक कई सालों से धनंजय सिंह को वाई श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई थी। इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की गई। याचिका में कहा गया था कि पूर्व सांसद धनंजय सिंह पर हत्या के 7 मामलों सहित कुल 24 मुकदमे चल रहे हैं। वाई श्रेणी की सुरक्षा मिलने के बाद भी उनके खिलाफ 4 आपराधिक मामले दर्ज हुए। ऐसे में आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति को ब्लैक कैट कमांडो वाली उच्च स्तरीय सुरक्षा मुहैया कराना गलत है। इसके बाद हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की थी। कहा था कि आपराधिक प्रवृत्ति के नेता को इस स्तर की सुरक्षा कैसे मुहैया कराई जा रही है। राज्य सरकार ऐसे नेता की जमानत निरस्त कराने के लिए क्या कदम उठाने जा रही है। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र से भी जवाब तलब किया था। 25 मई 2018 को सरकार की तरफ़ से जवाब देते हुए सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने धनंजय सिंह को दी गई 'वाई-सेक्योरिटी' हटा ली गई।
अब इन हत्याओं में आया नाम
बागपत जिला जेल में मुन्ना बजरंगी की जुलाई 2018 में गोली मारकर हत्या कर दी गई। मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने धनंजय सिंह और प्रदीप सिंह पर हत्या की साजिश का आरोप लगाया था। सीमा सिंह ने तहरीर में कहा था कि बागपत जेल में हुई उनके पति की हत्या साल 2016 में हुए पुष्पांजलि सिंह डबल मर्डर और साल 2017 में हुए तारिक हत्याकांड की पुनरावृत्ति लग रही है। जिसे जौनपुर के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद धनंजय सिंह, मुन्ना बजरंगी के पूर्व सहयोगी प्रदीप सिंह, प्रदीप के पिता रिटायर्ड डीएसपी जीएस. सिंह और उनके सहयोगी राजा ने अंजाम दिया है।
5 जनवरी 2021 को लखनऊ के विभूति खंड इलाके में दो गुटों के बीच गैंगवार हुआ। इस दौरान मऊ के नेता अजीत सिंह उर्फ लंगड़ा की गोली मारकर हत्या कर दी गई। अजीत सिंह बाहुबली मुख्तार अंसारी का करीबी था। वह मऊ के मोहम्मदाबाद गोहाना का ब्लॉक प्रमुख रहा था। वारदात के दौरान अजीत सिंह का साथी मोहर सिंह और फूड सप्लाई कंपनी का एक कर्मचारी प्रकाश घायल हुए थे। अजीत सिंह की हत्या में धनंजय सिंह का नाम सामने आया। इसके बाद लखनऊ पुलिस उनकी तलाश में जुट गई। 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया। लखनऊ की कोर्ट से गैर जमानती वारंट भी जारी करवा लिया। मुठभेड़ में मारे गए शूटर गिरधारी ने पुलिस के सामने पहले बयान दिया था कि अजीत की हत्या का पूरा प्लान धनंजय सिंह का था।