केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन 28 महीने बाद जेल से रिहा, हाथरस के जघन्य कांड की रिपोर्टिंग पर जाते समय किया था गिरफ्तार
Kerala Journalist Siddique Kappan : केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को आखिरकार 28 महीने बाद आज 2 फरवरी को जेल से रिहा कर दिया गया है। हाथरस के जघन्य कांड की रिपोर्टिंग पर जाते समय उनको गिरफ्तार किया गया था और तब से वह सलाखों के पीछे थे।
जेल से बाहर निकलते वक्त पत्रकार कप्पन ने मीडिया से बातचीत में कहा 'मैं अभी जेल से बाहर आते वक्त जेलर से मिला तो उन्होंने कहा कि सिद्दीक बाहर मीडिया है। आप कुछ बताना मत, नहीं तो आपके ऊपर दोबारा मुकदमा लगेगा। सिद्दीक ने कहा कि वो सिर्फ हाथरस में हुए केस की रिपोर्टिंग करने के लिए पहुंचे थे, क्या वो कोई जुर्म था। मेरे साथ एक ओला ड्राइवर था, उसको भी उठाकर जेल में डाल दिया गया।
अपने तेवरों पर कायम कप्पन कहते हैं, मेरे मोबाइल में कितने ही लोगों के नंबर हैं, बीजेपी के तमाम नेताओं के नंबर हैं। आरएसएस वालों के मोबाइल नंबर हैं, पीएफआई के लोगों के मोबाइल नंबर सेव हैं, तो क्या इन सबसे मेरा कनेक्शन निकाल दिया जायेगा। मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों पर कप्पन कहते हैं उनके बैंक अकाउंट में किसी तरह का ट्रांजैक्शन नहीं हुआ था। अकाउंट में ₹5000 भी नहीं आए, PMLA के लिए ₹5000 नहीं है, एक करोड़ से अधिक का है तो भी PMLA नहीं लगेगा। मेरे ऊपर पांच हजार रुपये पर PMLA लगा दिया गया।
सिद्दीकी कप्पन (Siddiqui Kappan) की गिरफ्तारी उस समय हुई थी जब वो एक कैब चालक और दो मुस्लिम एक्टिविस्ट के साथ हाथरस जा रहे थे। वहां जाने के पीछे कप्पन का मकसद 19 वर्षीय दलित लड़की का बलात्कार और हत्या को कवर करना था, जिसके शव का पुलिस ने परिवार की इच्छा के विरुद्ध अंतिम संस्कार कर दिया था।
6 अक्टूबर, 2020 को सिद्दीक कप्पन को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पीएमएलए मामले में विदेश से अवैध रूप से धन प्राप्त करने के लिए आरोपित किया था। साथ ही उन पर राष्ट्र विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा गया था कि मनी लॉन्ड्रिंग के जरिये जो पैसे सिद्दीक कप्पन के पास आया था, उसे उन्होंने राष्ट्र विरोधी कार्यों में खर्च किया था।
वर्ष 2020 में पत्रकार सिद्दीक कप्पन को उनके 3 अन्य साथियों के साथ रास्ते में तब गिरफ्तार किया गया, जब वे 19 वर्षीय युवती के सामूहिक बलात्कार और हत्या की कवरेज करने के लिए उत्तर प्रदेश के हाथरस जा रहे थे।
गौरतलब है कि कप्पन 2020 से जेल में बंद कप्पन पर पुलिस ने शुरुआत में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मुकदमा दर्ज करते हुए अपराधी ठहराया था। इसके बाद ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग रोधी कानून के तहत मुकदमा दर्ज करके धारायें जोड़ीं। गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट से यूएपीए और अन्य संबंधित कानूनों के तहत दायर आतंकवाद मामले में सिद्दीक कप्पन को पहले ही जमानत मिल चुकी है और उनकी जमानतदार चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता रूपरेखा वर्मा बनी थीं, जिसकी मीडिया में काफी चर्चा थी।
कप्पन के साथ मथुरा से 2020 में 3 अन्य लोगों अतीकुर रहमान, मोहम्मद आलम और मसूद अहमद को यूपी पुलिस ने मथुरा में गिरफ्तार किया था। कप्पन की गिरफ्तारी के खिलाफ न सिर्फ विपक्ष लामबंद हुआ था, बल्कि तमाम सामाजिक-राजनीतिक संगठनों ने इसकी भर्त्सना की थी। आरोप लगे थे कि पत्रकार सिद्दीक कप्पन को यूपी की बीजेपी सरकार ने मुस्लिम होने के कारण अपना आसान टारगेट बनाया लिया।