Khargone News : आवास योजना के जिस लाभुक को सीएम शिवराज ने चिट्ठी लिख घर की बधाई दी थी, उसके घर पर भी क्यों चला बुलडोजर?

Khargone News : रामनवमी के दिन 10 अप्रैल को मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) से करीब 320 किलोमीटर दूर खरगोन (Khargone) के कुछ हिस्साों में सांप्रदायिक हिंसा (Communal Violence) की खबरें आयी थी...

Update: 2022-04-13 07:57 GMT

Khargone News : आवाज योजना के जिस लाभुक को सीएम शिवराज ने चिट्ठी लिख घर की बधाई दी थी, उसके घर उसके घर पर भी बुलडोजर चला

Khargone News : "सोमवार (11 अप्रैल) की सुबह, नगर निगम के कर्मचारियों की एक टीम बुलडोजर (Buldozer) के साथ आई. उन्होंने मुझे धक्का दिया, बाहर की दीवार पर जहां लिखा था कि घर आवास योजना के तहत बना है, वहां गोबर मल दिया और मिनटों में घर गिरा दिया."

यह आपबीती है मध्य प्रदेश में खरगोन (Khargone) के खसखसवाड़ी (Khaskhaswari) इलाके में रहने वाली 60 साल की हसीना की। उन्होंने ये बातें एक मीडिया रिपोर्ट में रोते—रोते बतायी है।

आपको बता दें कि रामनवमी के दिन 10 अप्रैल को मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) से करीब 320 किलोमीटर दूर खरगोन (Khargone) के कुछ हिस्साों में सांप्रदायिक हिंसा (Communal Violence) की खबरें आयी थी। इसके बाद शहर के चार जगहों पर 16 घर और 29 दुकानें ध्वस्त करने की तस्वीरें सोशल मीडिया (Social Media) पर वायरल होने लगीं। इस बारे में पूछे जाने पर जिला प्रशासन से बताया गया कि अवैध संपत्तियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है।

पर इस कार्रवाई के दौरान कुछ चौंकाने वाले घटनाक्रम भी हो रहे हैं। दैनिक समाचारपत्र इंडियन एक्सप्रेस (Indian Express) की एक रिपोर्ट के अनुसार एमपी सरकार (MP Government) के अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojna) के तहत बने एक घर को भी गिरा दिया गया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि खसखसवाड़ी इलाके के इस घर की मालकिन हसीना नाम की एक महिला है। हसीना के परिवार के पास जो दस्तावेज हैं. उसके मुताबिक बिड़ला मार्ग पर स्थित घर हसीना फाखरू (Haseena Phakhroo) के नाम पर है. हसीना के पति पीएम आवास योजना  (PM Awas Yojna) के मूल लाभार्थी थे. उनकी मौत के बाद मकान हसीना के नाम पर रजिस्टर हो गया है।

हसीना के परिवार में उनके अलावा पांच बेटे और दो बेटियां शामिल हैं, तीन दशकों से अधिक समय से वे इस प्लॉट पर रह रहे हैं। उनका एक बेटा अमजद (35) मजदूर है.

अमजद ने मीडिया से बातचीत में बताया है कि 2020 तक, हम प्लॉट पर एक कच्चे घर में रहते थे. 2020 में जब आवास योजना के तहत मंजूरी मिली तो हमने पक्का घर बनाया. हमें सरकार से ढाई लाख रुपये मिले और हमने मकान बनाने के लिए एक लाख रुपये और बचाए.

रिपोर्ट के मुताबिक परिवार ने घर पर मालिकाना हक के सबूत के तौर पर कई डॉक्यूमेंट दिखाए. इसमें प्रॉपर्टी टैक्स की एक रसीद, तहसीलदार को एक आवेदन, एक पात्रता हलफनामा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का एक पत्र जिसमें उन्हें पीएम आवास योजना का लाभार्थी होने पर बधाई दी गई है वह भी शामिल है। इन दस्तावेजों के साथ उनकी दो तस्वीरें भी हैं, एक तस्वीर में हसीना कच्चे घर के बाहर खड़ी दिख रही हैं और दूसरी तस्वीर में हसीना नए घर के बाहर खड़ी हैं।

परिवार के मुताबिक, हसीना को सांप्रदायिक झड़प से तीन दिन पहले यानी 7 अप्रैल (गुरुवार) को नोटिस दिया गया था, जिसमें उनसे तीन दिनों में घर पर अपने मालिकाना हक के बारे में पूरी जानकारी देने को कहा गया था। नोटिस में हिदायत दी गयी थी कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो तो मकान गिरा दिया जाता.

रिपोर्ट के मुताबिक अमजद ने नोटिस का टाइप किया हुआ जवाब दिखाते हुए बताय है कि मैनें अपने पिता के मृत्यु प्रमाण पत्र से लेकर संपत्ति के दस्तावेज तक सभी लेकर शुक्रवार को जिला अदालत में एक जवाब टाइप करने के लिए पहुंचा ​था। लेकिन हम इसे शनिवार या रविवार को कैसे जमा कर सकते थे, जब सभी कार्यालय बंद थे? सोमवार को वे बुलडोजर के साथ आए।

वहीं इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में प्रशासन की ओर से जवाब देते हुए जिला कलेक्टर पी अनुग्रह से संपर्क किया गया, तो उन्होंने बताया कि लाभार्थी को किसी दूसरे प्लॉट पर एक घर बनाने के लिए धन आवंटित किया गया था, लेकिन उसने इसे सरकारी जमीन पर बनाया, जिसकी कीमत 2 करोड़ रुपये है. हमने यहां सरकारी जमीन से सिर्फ अतिक्रमण हटाया है।

यह पूछे जाने पर कि सांप्रदायिक झड़पों के बाद की कार्रवाई में ही हसीना के घर को क्यों गिराया गया, जब मालिक को एक अलग प्रक्रिया के तहत पहले नोटिस मिला था, इसके जवाव में कलेक्टर ने कहा कि खसखसवाड़ी मुख्य दंगा क्षेत्रों में से एक है, बाकी चार्जशीट पर निर्भर है।

वहीं पीड़ित के बेटे अमजद का कहना है कि उन लोगों ने उसी प्लॉट के लिए आवेदन किया था और उसी प्लॉट के लिए घर आवंटित किया गया था. अगर उनके पास किसी दूसरे प्लॉट पर रहने का विकल्प होता, तो वे अपनी गाढ़ी कमाई एक अतिक्रमित प्लॉट पर क्यों लगाते.

आपको बता दें कि बीते रविवार 10 अप्रैल को खरगोन में हुई हिंसा में कम से कम 10 घरों में आग लगा दी गई थी इस दौरान एसपी सिद्धार्थ चौधरी समेत दो दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए थे. दंगों के बाद दोनों पक्षों की शिकायतों पर कम से कम 27 FIR दर्ज किए गए थे और खबरें हैं कि दंगों के मामले में अब तक 89 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। 

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