Kisan Andolan : 1 साल से ज्यादा लंबा चला किसान आंदोलन समाप्त, जानिए किसान आंदोलन के अहम पड़ाव

Kisan Andolan : दिल्ली की सीमाओं पर बीते 14 महीनों से डटे किसानों ने आंदोलन की समाप्ति का ऐलान कर दिया है। गुरुवार 9 दिसंबर को शाम से किसान वापस लौटना शुरू कर सकते हैं। 14 महीनों में किसान आंदोलन में कई अहम पड़ाव देखने को मिले है।

Update: 2021-12-09 10:22 GMT

किसान करेंगे आज फतेह अरदास

Kisan Andolan : दिल्ली की सीमाओं पर बीते 14 महीनों से डटे किसानों ने आंदोलन की समाप्ति का ऐलान कर दिया है। गुरुवार 9 दिसंबर को शाम से किसान वापस लौटना शुरू कर सकते हैं। बता दें कि सरकार की ओर से मिले नए प्रस्ताव पर किसान संगठनों में सैद्धांतिक सहमति पहले बन गई थी लेकिन गुरुवार दोपहर को इस पर लंबी चर्चा के बाद फैसला हुआ। इस मीटिंग में किसान संगठनों के 200 से ज्यादा प्रतिनिधि मौजूद थे। सिंघु बॉर्डर का माहौल भी किसानों की वापसी का संकेत दे रहा है। यहां लोग टेंट हटाने लगे हैं और लंगर आदि का सामान गाड़ियों में रखा जाने लगा है। सिंघु बॉर्डर पर मौजूद कुछ किसानों ने बताया कि 11 दिसंबर से सभी किसानों की वापसी को लेकर फैसला हुआ है। इसके बाद 13 दिसंबर को किसान अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में अरदास करेंगे और अपने घरों को पहुंच जाएंगे। बीते 14 महीनों में किसान आंदोलन में कई अहम पड़ाव देखने को मिले है। कौन से हैं वो अहम पड़ाव इस खबर में जानिए।

सितंबर 2020 में राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ कृषि विधेयकों ने लिया कानून का रूप

केंद्र सरकार ने 17 सितंबर, 2020 को कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता विधेयक और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक को लोकसभा में पास कराया था। इसके बाद सरकार ने 20 सितंबर को जोरदार हंगामा हुआ लेकिन इन सब के बीच सरकार ने इन्हें राज्यसभा में भी पारित करा लिया था। इसके बाद 27 सितंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी के बाद इन विधेयकों ने कानून का रूप ले लिया था।

किसानों ने शुरू किया विरोध

कृषि कानूनों के लागू होने के बाद पंजाब, हरियाणा के किसानों ने इसका विरोध तेज कर दिया। पंजाब में तीन दिन के लिए रेल रोको आंदोलन किया गया। इस दौरान किसानों ने सरकार का जमकर विरोध किया और यह अक्टूबर तक जारी रहा। किसानों के विरोध को देखते हुए सरकार ने किसानों ने बातचीत का निर्णय किया। इसके लिए 14 अक्टूबर को कृषि सचिव किसानों से वार्ता के लिए पहुंचे, लेकिन किसानों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया।

दिल्ली चलो का आह्वान

3 नवंबर को पंजाब और हरियाणा में किसान संघों ने 'दिल्ली चलो' का आह्वान किया और 24 नंवबर को पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान दिल्ली की सीमाओं पर पहुंच गए। इसके बाद 27 नवंबर, 2020 को इन राज्यों की बड़ी संख्या में किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं की ओर बढ़े, लेकिन सिंघु बॉर्डर पर आंसू गैस के गोले छोड़े गए। वाटर कैनन का इस्तेमाल किया गया। पुलिस और किसानों के बीच आमना-सामना हुआ और उन्हें वहीं रोका जाने लगा। हालांकि, बाद में किसान आगे बढ़ने में कामयाब हुए। वहीं, गाजीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत समेत पश्चिमी यूपी के नेताओं ने यहां अपना डेरा जमा लिया। इसके बाद किसानों की संख्या में लगातार इजाफा होता गया। उसके बाद किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर डेरा जमा लिया। इसी तरह गाजीपुर, टिकरी और शाहजहांपुर बॉर्डर भी किसान जमा हो गए।

गृह मंत्री द्वारा वार्ता का प्रस्ताव

किसानों के दिल्ली की सीमाओं पर जमा होने के बाद 28 नवंबर 2020 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों को पहली बार वार्ता का प्रस्ताव दिया लेकिन किसानों बातचीत से इनकार करते हुए जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन की बात कही।

दिसंबर 2020 में वार्ताओं का दौर

दिसंबर 2020 में किसान और सरकार के बीच वार्ताओं का दौर हुआ। 1, 3, 5 और 8 दिसंबर की वार्ताओं में कोई नतीजा नहीं निकला।

8 दिसंबर को किसानों ने भारत बंद का आह्वान किया। इसके बाद 30 दिसंबर, 4, 8, 15, 20 और 21 जनवरी को फिर दसवें दौर की वार्ता हुई थी। इस बीच सरकार ने किसानों को कानूनों को डेढ़ साल के लिए निलंबित करने और कानूनों पर विचार करने का प्रस्ताव दिया था लेकिन किसान सहमत नहीं हुए।

कृषि कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

किसानों ने 11 दिसंबर को कृषि कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह कृषि कानूनों पर उपजे गतिरोध को देखते हुए एक पैनल बना सकती है, जिसमें किसान और सरकार दोनों के प्रतिनिधि रहेंगे। इसके बाद समिति का गठन किया गया। कुछ दिन बाद कोर्ट ने 12 जनवरी, 2021 को इन कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी। ऐसे में ये तीनों कानून महज 221 दिन ही प्रभावी रहे।

26 जनवरी को हुआ हिंसक आंदोलन

किसानों ने 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकालने का ऐलान किया। गणतंत्र दिवस के दिन बड़ी संख्या में ट्रैक्टर-ट्रॉली पर पहुंचकर किसानों ने विरोध जताया. किसान संगठनों ने दिल्ली में 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली के लिए पुलिस से इजाजत मांगी थी। दिल्ली पुलिस और किसान संगठनों के बीच हुई वार्ता में आउटर रिंग रोड पर रैली निकालने की अनुमति मिली. पुलिस ने ट्रैक्टर रैली के लिए पुलिस से इजाजत मांगी थी. दिल्ली पुलिस और किसान संगठनों के बीच हुई वार्ता में आउटर रिंग रोड पर रैली निकालने की अनुमति मिली। पुलिस ने ट्रैक्टर रैली के लिए बाहरी दिल्ली के रूट तय किए लेकिन आंदोलनकारियों में से कुछ लोग उग्र हो गए। इसमें किसानों का एक धड़ा तय रास्ते से हटकर आईटीओ होते हुए लाल किले पहुंच गया। उस दौरान उनकी आईटीओ और लाल किले समेत अन्य जगहों पर पुलिस के साथ जबरदस्त भिडंत हुई और उन्होंने कई बसों और वाहनों को निशाना बनाया। आंदोलन हिंसक हो गया। हिंसा में दो लोगों की मौत और दर्जनों लोग घायल हुए थे। कुछ किसानों ने लाल किले पर सिख धर्म का झंडा भी फहराया था।

प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी

हिंसक झड़प मामले को गंभीरता से लेते हुए दिल्ली पुलिस ने 44 से अधिक FIR दर्ज कर करीब 130 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया था। इसमें कई किसान नेता भी शामिल थे। हालांकि उनमें से अनेक किसान बाद में सबूतों के अभाव में अदालत से रिहा हो गए।

राकेश टिकैत के आंसुओं ने आंदोलन को दी धार

26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद लगने लगा कि आंदोलन शायद खत्म हो जाएगा। इस बीच कुछ किसान संगठनों ने भी अपने आप को आंदोलन से पीछे कर लिया। वहीं, 28 जनवरी को भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत बातचीत के दौरान भावुक हो गए, जिसके बाद पूरा मामला पलट गया। कुछ ही समय में राकेश टिकैत के निकलते हुए आंसू वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद रात में ही बड़ी संख्या में किसान गाजीपुर बॉर्डर पहुंचने लगे। सुबह तक पूरा माहौल बदल गया और किसानों की संख्या में काफी इजाफा हो गया।

अंतरराष्ट्रीय हस्तियों की भी प्रतिक्रिया

3 फरवरी को जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट कर उससे संबंधित टूलकिट साझा कर दी। दिल्ली पुलिस ने इस टूलकिट को "भारत को बदनाम" करने की साजिश बताते हुए 4 फरवरी को FIR दर्ज कर ली। इसके बाद कई बॉलीवुड सितारों, क्रिकेटर्स, नेताओं ने टूलकिट पर ग्रेटा थनबर्ग का विरोध किया। वहीं, इसी मामले में बाद में 21 साल की छात्रा और पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को गिरफ्तार किया था लेकिन बाद में उन्हें जमानत मिल गई।

किसानों ने मनाया काला दिवस

इन सब के बाद 5 मार्च को पंजाब विधानसभा ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया। 6 मार्च को दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन के 100 दिन पूरे हुए। 15 अप्रैल को हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने प्रधानमंत्री मोदी को किसानों से बातचीत बहाल करने के लिए चिट्ठी लिखी। 22 मई को किसानों ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी और 27 मई को किसानों ने देशभर में काला दिवस मनाया।

किसानों ने संसद के पास आयोजित किया मानसून सत्र

26 जून को कृषि कानूनों के विरोध के सात महीने पूरे होने पर किसानों ने दिल्ली तक मार्च किया। जुलाई में संसद का मानसून सत्र शुरू होने के साथ किसानों ने भी संसद के पास मानसून सत्र शुरू कर दिया। इस दौरान किसानों ने कृषि कानूनों का विरोध किया। 7 अगस्त को विपक्ष के 14 नेताओं ने किसान नेताओं से मुलाकात की। 28 अगस्त को करनाल में किसानों के ऊपर लाठी चार्ज किया गया। जिसमें कई किसान घायल हुए।

कई राज्यों में हुई किसान महापंचायत

किसान नेता अपने प्रदर्शन को महापंचायत तक लेकर गए। वे जगह-जगह महापंचायत करते हुए सरकार का विरोध करने लगे। यूपी, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब समेत कई राज्यों में किसानों ने महापंचायत बुलाई। सितंबर महीने में यूपी के मुजफ्फरनगर में हुई महापंचायत में बड़ी संख्या किसानों की उपस्थिति दर्ज की गई।

सुप्रीम कोर्ट ने किसानों को लगाई फटकार

21 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट बंद सड़कों को खुलवाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए किसानों को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि किसानों को विरोध-प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन वह लंबे समय तक सड़कों को अवरुद्ध नहीं कर सकते हैं।

कृषि कानून की वापसी

प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को यानी गुरु नानक देव की 552वीं जयंती पर देश के नाम संबोधन करते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि 'हमारी सरकार छोटे किसानों के कल्याण के लिए सत्यनिष्ठा से कानून लेकर आई थी लेकिन यह बात हम कुछ किसानों को समझा नहीं पाए।' प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि '29 नवंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।'

किसान आंदोलन जारी रखने का ऐलान

राकेश टिकैत ( Rakesh Tikait ) ने एक बार फिर जोशीला भाषण देते हुए देश के किसानों और लोगों से अपना हक लेने तक के लिए सावधान रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि अभी तो तीन काले कानून वापस हुए हैं। किसान एमएसपी ( MSP ) पर कानून भी लेकर रहेंगे। इसके अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी, किसानों को मुआवजा, शहीद का दर्जा, केसीसी, बिजली बिलों में संशोधन जैसे तमामा मांगों पर भी सरकार को झुकना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो किसानों का आंदोलन अभी खत्म नहीं होगा।

किसान आंदोलन समाप्त

देश की राजधानी दिल्ली की बॉर्डर जारी एक साल से ज्यादा लंबा किसान आंदोलन के वापसी की घोषणा गुरुवार 9 दिसंबर को हो गई है। किसान संगठनों के नेताओं के बीच बैठक में सहमति के बाद आंदोलन वापस लेने का ऐलान किया गया है। किसान 11 दिसंबर से वापसी की शुरुआत कर देंगे।

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