Ladakh China Bridge : पूर्वी लद्दाख के पैंगोग त्सो में चीन बना रहा दूसरा ब्रिज, विदेश मंत्रालय ने सवाल करने पर दी ये सफाई
Ladakh China Bridge : विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची से जब इस बारे में पूछा गया कि क्या भारत-चीन वार्ता चीन को दूसरा पुल बनाने से रोकने में नाकाम रही तो उन्होंने कहा कि पुल बनाना और बातचीत होना दो अलग-अलग बात है...
Ladakh China Bridge : हमारा पड़ोसी चीन अपनी नापाक हरकतों (Ladakh China Bridge) पर लगाम लगाने को तैयार नहीं है। लेकिन इस पर भारत सरकार की क्या प्रतिक्रिया है यह बड़ा सवाल है। चीन के लद्दाख के पैंगोंग त्सो झील पर दूसरा पुल (Ladakh China Bridge) बनाने की खबर आने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि वह स्थिति की निगरानी कर रहा है। मंत्रालय ने ये भी कहा है कि यह भारतीय सेना से जुड़ा मुद्दा है। हम इसे चीन के कब्जे वाला क्षेत्र मानते हैं। सरकार का रक्षा मंत्रालय इस मामले पर ज्यादा रोशनी डाल सकेगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची से जब इस बारे (Ladakh China Bridge) में पूछा गया कि क्या भारत-चीन वार्ता चीन को दूसरा पुल बनाने से रोकने में नाकाम रही तो उन्होंने कहा कि पुल बनाना और बातचीत होना दो अलग-अलग बात है। सरकार इस परिस्थिति पर नजर बनाए हुए है। यह खबर सामने आने के बाद हम मामले की निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस क्षेत्र की बात हो रही है वो चीन के कब्जे वाला क्षेत्र है।
गौरतलब है कि भारत-चीन सीमा विवाद (Ladakh China Bridge) एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। पूर्वी लद्दाख के पैंगोग त्सो में चीन के दूसरा ब्रिज बनाने की खबरों को सरकार दी जुबान से मानने लगी है। लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या इन पुलों का अवैध निर्माण क्या समझौतों का उल्लंघन नहीं है? क्या यह निर्माण उस संघर्ष विराम का खुला उल्लंघन नहीं है, जिसके चलते भारत ने सामरिक दृष्टि वाले महत्वपूर्ण इलाकों से अपना कब्जा छोड़ दिया था। सरकार से इस मामले में विस्तृत जानकारी की उम्मीद है पर बागची ने इसे रक्षा मंत्रालय का विषय बताकर इससे पल्ला झाड़ लिया है।
मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक पैंगोंग झील पर जिस पुल (Ladakh China Bridge) का निर्माण हो रहा है, वो इतना चौड़ा है कि वहां से चीनी सेना के बड़े-बड़े वाहन व आर्टिलरी गुजर सकती है। पैंगोंग झील पर बने पुल के दोनों सिरों पर एक तरह से चीन ने अपना आधिपत्य जमा दिया है। वह उनका दुरुपयोग भारत के खिलाफ कर सकता है।
रक्षा मामले से जुड़े एक सूत्र का कहना है कि ब्रिज (Ladakh China Bridge) की लोकेशन पैंगोग त्सो लेक के उत्तरी किनारे से फिंगर 8 से 20 किमी पूर्व में है। ये पहले ब्रिज के नजदीक ही बन रहा है। भारत मानता है कि ये LAC के गुजरने वाली जगह पर बन रहा है। उनका कहना है कि ब्रिज की फिंगर 8 से सड़क मार्ग की दूरी तकरीबन 35 किमी है।
उनका कहना है कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि चीन अपनी सेना व सैन्य साजो सामान की आवाजाही के लिए ही पुल (Ladakh China Bridge) इसका इस्तेमाल करेगा। उनका कहना है कि दोनों पुलों की वजह से चीनी सेना की आवाजाही लेक के उत्तरी व दक्षिणी दोनों किनारों पर होगी। अधिकारी का कहना है कि पहले पुल की जो सैटेलाइट तस्वीरें दिखीं हैं, उनसे लगता था कि वो 400 मीटर लंबा और 8 मीटर चौड़ा था। वहीं दूसरी ब्रिज पहली ब्रिज के बगल में ही बनायी गयी है।