Loudspeaker Row : रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक कहीं भी न बजे लाउडस्पीकर, कर्नाटक HC का बड़ा फैसला

Loudspeaker Row : कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि कहीं भी लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल रात 10:00 बजे से सुबह 9:00 बजे के बीच नहीं होना चाहिए...

Update: 2022-06-18 05:29 GMT

Loudspeaker Row : रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक कहीं भी न बजे लाउडस्पीकर, कर्नाटक HC का बड़ा फैसला

Loudspeaker Row : कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि कहीं भी लाउडस्पीकरों (Loudspeaker Row) का इस्तेमाल रात 10:00 बजे से सुबह 9:00 बजे के बीच नहीं होना चाहिए। इस नियम का सख्ती से पालन सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है। उच्च न्यायालय कहा है कि धार्मिक स्थान, पब और रेस्तरां आदि को लेकर भी यह नियम लागू रहेगा। चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी और जस्टिस अशोक एस. किनागी की डिविजन बेंच ने अथॉरिटीज को आदेश दिया है कि वे एक अभियान चलाए और लाउडस्पीकरों के बजाने और इस्तेमाल पर रोक लगाएं।

लाउडस्पीकर का ना हो गलत इस्तेमाल 

यही नहीं अदालत ने कहा कि जनता को संबोधित करने के सिस्टम या फिर म्यूजिक के यंत्रों का भी बेजा इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। साथ ही हाई कोर्ट ने कहा कि प्रशासन ऐसे लोगों पर ऐक्शन ले और उसके क्या कार्यवाही की है, इसके बारे में तीन सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपे। अदालत ने कहा है कि 'अथॉरिटीज को आदेश दिया जाता है कि वे जरूरी ऐक्शन लें। लाउडस्पीकर आदि का गलत इस्तेमाल न हो। रात को 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच तय डेसिबल से अधिक आवाज में कोई भी यंत्र नहीं बजना चाहिए।'

सरकारी वकील ने रखा सरकार का पक्ष 

बता दें कि इससे पहले सुनवाई के दौरान अदालत में एक पक्ष ने कहा कि प्रशासन की ओर से कुछ संस्थानों और धार्मिक स्थानों को अवैध तरीके से स्थायी लाइसेंस दिया गया ताकि वे लाउडस्पीकर का इस्तेमाल कर सकें।

हालंकि सरकारी वकील ने इस बात का विरोध करते हुए कहा कि प्रशासन की ओर से कहीं भी ऐसा नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि नॉइस पॉल्यूशन रूल्स एंड पुलिस एक्ट के तहत प्रशासन सभी पर समान कार्यवाही कर रहा है। किसी भी संस्था या धार्मिक स्थल को अलग से ऐसी कोई छूट नहीं दी गई है। इस पर अदालत ने कहा कि हम आपको आदेश देते हैं कि लाउडस्पीकरों के अवैध इस्तेमाल के खिलाफ अभियान चलाया जाए। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 3 सप्ताह के बाद करने का फैसला लिया है। बता दें कि इस मामले में राकेश पी. ने 2021 में अर्जी दाखिल की है।


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