कोविड अस्पताल में कोरोना मरीज को शिफ्ट करते समय हुई मौत, शव को रास्ते पर छोड़ भागे एंबुलेंस स्टाफ

भोपाल में एक कोरोना मरीज के शव को लोगों से बकझक होने के बाद एंबुलेंस स्टाफ रोड पर छोड़ वापस चले गए...

Update: 2020-07-07 12:00 GMT

File Photo

जनज्वार। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में एक कोरोना मरीज की एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करने के दौरान मौत हो गई जिसके बाद एंबुलेंस स्टाफ शव को रास्ते पर छोड़ भाग गए। यह घटना सोमवार (छह जुलाई 2020) को शाम पांच बजे की है। इस घटना का वीडियो फुटेज सामने आया है, जिसमें एंबुलेंस के स्टाफ व्यक्ति के शव को वाहन से उतारते हुए दिख रहे हैं।

वाजिद अली नामक एक व्यक्ति को किडनी की समस्या के कारण इलाज के लिए भोपाल के पीपुल्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सोमवार को इस बात की पुष्टि हुई कि वाजिद अली कोरोना से संक्रमित हैं। इसके बाद उन्हें कोविड19 के लिए बने चिरायु अस्पताल में शिफ्ट किया जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।

वाजिद अली को 23 जून को पीपुल्स अस्पताल में भर्ती कराया था और जनवरी से उन्हें किडनी संबंधी समस्या शुरू हुई थी। तबीयत बिगड़ने पर घटना के दो दिन पहले उनकी कोरोना जांच कराई गई और सोमवार की उनकी रिपोर्ट पाॅजिटिव आई। इसके बाद कोविड गाइडलाइन के तहत इसके लिए अधिकृत हामिदिया या चिरायु अस्पताल का विकल्प दिया गया। मरीज के परिजनों ने इलाज के लिए चिरायु अस्पताल को चुना।

हालांकि चिरायु के डाॅक्टरों का कहना है कि उन्हें जो जानकारी दी गई उसके अनुसार, वाजिद अली की दोनों किडनी खराब हो गई थी, फेफड़े व दिल में भी समस्या आ रही थी। चिरायु अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस उपलब्ध कराया गया। मरीज के लिए जो एंबुलेंस उपलब्ध कराया गया उसमें वेंटिलेटर नहीं था। लेकिन, रास्ते में मरीज की तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद एंबुलेंस कर्मी गाड़ी को वापस लेकर पीपुल्स अस्पताल की ओर चले गए। इसकी एक वजह थी कि पीपुल्स अस्पताल का वहां से 10 मिनट की दूरी पर होना, जबकि शाम के वक्त सड़कों पर अधिक ट्रैफिक होने की वजह से चिरायु अस्पताल जाने में आधे घंटे से 40 मिनट का वक्त लग सकता था।

एंबुलेंस वाले जब पीपुल्स अस्पताल मरीज को लेकर पहुंचे तो उनकी लोगों से बकझक हुई और आपत्ति दर्ज कराई गई कि यह कोविड अस्पताल नहीं तो यहां फिर क्यों मरीज को ले आए। 

इस कारण 10-15 मिनट तक मरीज को स्ट्रेचर पर सड़क पर रखना पड़ा। इस दौरान मरीज की मौत हो चुकी थी और वे शव को वहां छोड़ कर चले गए। इस मामले में भोपाल के जिला कलेक्टर ने पीपुल्स अस्पताल से स्पष्टीकरण मांगा है कि जो मरीज 23 जून से अस्पताल में भर्ती था, डायलिसिस चल रहा था, उसे अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान कोरोना क्यों हुआ और जब उनकी हालत स्थिर नहीं थी तो उन्हें दूसरे अस्पताल में क्यों शिफ्ट किया जा रहा था।

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