बड़ी खबर : मध्यप्रदेश के आदिवासी जिलों में राशन दुकानों पर सरकार ने बांटा सड़ा हुआ अनाज

भाजपा इस चावल की खरीदी कमल नाथ सरकार के समय की बता रही है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने इसे मानवता व इंसानियत को तार-तार करने वाला मामला बताया।

Update: 2020-09-02 15:49 GMT

प्रतीकात्मक तस्वीर

 जनज्वार। मध्यप्रदेश की आदिवासी जिलों बालाघाट और मंडला की राशन दुकानों से कोरोनाकाल में घटिया चावल (जानवरों के खाने लायक) बांटे जाने का खुलासा हुआ है। इस पर राज्य की सियासत में घमासान मच गया है।

भाजपा इस चावल की खरीदी कमल नाथ सरकार के समय की बता रही है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने इसे मानवता व इंसानियत को तार-तार करने वाला मामला बताया।

सूत्रों के अनुसार, भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की ओर से जांच रिपोर्ट के आधार पर खाद्य और जन वितरण विभाग के स्टोरेज एंड रिसर्च डिवीजन ने मध्यप्रदेश सरकार के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव को एक पत्र लिखकर भेजा है।

इस पत्र में कहा गया है कि पिछले दिनों गोदाम और राशन दुकान से 32 नमूने लिए गए थे। इन चावल के नमूनों की जांच हुई और सेंट्रल ग्रेंस एनालिसिस लैबोरेट्री की रिपोर्ट आई है। उसके मुताबिक, यह खाद्यान्न इंसानों के खाने के लिए सही नहीं है, यह मवेशियों के लिए फिट है।

इस पत्र में बताया गया है कि केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने 30 जुलाई और 2 अगस्त, 2020 के बीच बालाघाट और मंडला जिलो में चार गोदामों और एक सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकान से चावल के 32 नमूने लिए। इनकी जांच कराई गई।इ

इस खुलासे पर कमल नाथ ने कहा, "मध्यप्रदेश में कोरोना महामारी में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत जिस चावल का वितरण किया गया वो मनुष्य के खाने के योग्य नहीं था, यह जांच के बाद केंद्र सरकार को लिखे गए एक पत्र के माध्यम से सामने आया है। यह इंसानियत व मानवता को तार-तार करने वाला एक आपराधिक कृत्य भी है।"

वहीं भाजपा के मीडिया विभाग के प्रमुख लोकेंद्र पाराशर ने कहा है, "मंडला, बालाघाट में केंद्र की जांच टीम ने जिस चावल को इंसानों के खाने लायक नहीं पाया है, वह चावल कमल नाथ सरकार ने खरीदा था। हमारी सरकार इस तरह के किसी कार्य को बर्दाश्त नहीं करेगी और इसमें समुचित कार्रवाई की जा रही है। चाहे वे राजनेता हों या अधिकारी ,उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।"

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