MP पुलिस ने जिस आदिवासी को उतारा मौत के घाट, उसके परिवार को मुआवजे में मिला 40 किलो चावल

छत्तीसगढ अनुसूचित जनजाति आयोग ने इस मामले की शिकायत मिलने के बाद संज्ञान लिया और जांच के लिए टीम पहुंची...;

Update: 2020-09-12 06:57 GMT
MP पुलिस ने जिस आदिवासी को उतारा मौत के घाट, उसके परिवार को मुआवजे में मिला 40 किलो चावल
  • whatsapp icon

कवर्धा। छत्तसीगढ के कवर्धा जिले में मध्यप्रदेश की सीमा पर मछली पकड़ने गए एक आदिवासी ग्रामीण झामा सिंह की मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा गोली मार कर हत्या कर दी गई। इस घटना के बाद छत्तीसगढ से लेकर मध्य प्रदेश तक के स्थानीय प्रशासन ने पर्दा डालने की पूरी कोशिश की। झामा सिंह की हत्या बीते दिनों उस वक्त की गई जब वे अपने भाई के साथ मछली पकड़ने गए थे, जिस पर मध्य प्रदेश पुलिस के जवानों ने गोली चला दी और उनकी मौत हो गई।

कवर्धा जिला प्रशासन एवं प्रखंड प्रशासन ने इस मामले में न कोई हस्तक्षेप किया और न ही पीड़ित परिवार का संज्ञान लिया। मारा गया आदिवासी व्यक्ति कवर्धा जिले के बोडला ब्लाॅक के खलाही बालसमुंद गांव का रहने वाला था।

इस मामले की शिकायत छत्तीसगढ अनुसूचित जनजाति आयोग से किए जाने के बाद आयोग ने इसका संज्ञान लिया और एक जांच टीम ने पूरे मामले की जांच की। इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी नेम सिंह ने कहा कि वे व उनके भाई झामा सिंह मछली मारने गए थे जहां वर्दीधारियों ने गोली चला दी जिसमें उनके भाई की मौत हो गई।

आदिवासी व्यक्ति की हत्या के बाद छत्तीसगढ अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य व सचिव शुक्रवार, 11 सितंबर 2020 को घटना की जांच के लिए पहुंचे।

कवर्धा जिले के खिलाही बालसमुंद गांव के दौरे पर पहुंचे छत्तीसगढ अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य नितिन कोटाई और सचिव एचके सिंह ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की। घटना के प्रत्यक्षदर्शियों एवं ग्रामवासियों से दोनों ने बातचीत की और पूरे मामले की जानकारी ली।

Full View

इस मामले में आयोग के सदस्य नितिन कोटाई ने कहा कि पूरे मामले की लिपापोती करने की कोशिश की गई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा एक आदिवासी व्यक्ति की हत्या की गई हो जो निंदनीय है। बिना किसी जांच पड़ताल के किसी व्यक्ति गोली चलाना गंभीर आपराधिक कृत्य है।

अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्यों ने एक आदिवासी व्यक्ति के मारे जाने पर स्थानीय प्रशासन द्वारा संज्ञान नहीं लिए जाने पर कड़ी नाराजगी जतायी। कवर्धा जिले के बोडला ब्लाॅक के स्थानीय प्रशासन ने मामले में कोई संज्ञान नहीं लिया। आयोग के सदस्य व सचिव ने बोडला के एसडीएम को फटकार लगायी।

छत्त्तीसगढ जनजाति आयोग की ओर से पीड़ित परिवार को 40 किलो चावल व दो हजार रुपये की आर्थिक सहायता इस दौरान दी गई। 

एक ओर जहां अन्य प्रकार की हत्या व दुर्घटना में मौत पर सरकारों द्वारा भारी-भरकम मुआवजा दिया जाता है, वहीं आदिवासियों व दलितों की हत्या होने या भूख-कुपोषण से मौत होने पर उन्हें कुछ किलो अनाज व कुछ हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है।

कुछ राज्यों में भूख व कुपोषण से आदिवासी परिवार की मौत होने पर अगर मीडिया में खबरें आती हैं तो प्रशासन की ओर से आपदा कोष से अनाज व कुछ हजार रुपये की मदद दी जाती है।

Tags:    

Similar News