राम मंदिर मामले पर पार्टी में अकेले पड़े दिग्विजय, भूमि पूजन के मुहूर्त को लेकर उठाए थे सवाल
राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन को लेकर भाजपा और कांग्रेस के स्वर लगभग एक जैसे हैं, भाजपा ने इस मौके पर भजन-कीर्तन का आयोजन करने के साथ दीपोत्सव भी मनाया तो कांग्रेस भी पीछे नहीं रही और उसने पार्टी के प्रदेश दफ्तर में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया....
भोपाल। राम की नगरी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन के मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह अपनी ही पार्टी के भीतर अकेले पड़ गए हैं। दिग्विजय सिंह ने भूमि पूजन के मुहूर्त को लेकर सवाल उठाए थे तो दूसरी ओर कांग्रेस नेताओं ने ही भूमि पूजन का न केवल स्वागत किया, बल्कि उसी समय पर धार्मिक अनुष्ठान किए।
राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन को लेकर भाजपा और कांग्रेस के स्वर लगभग एक जैसे हैं। भाजपा ने इस मौके पर भजन-कीर्तन का आयोजन करने के साथ दीपोत्सव भी मनाया और पार्टी के दफ्तरों से लेकर नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अपने घरों पर दीप प्रज्ज्वलित किए। इस मामले में कांग्रेस भी पीछे नहीं रही और उसने पार्टी के प्रदेश दफ्तर में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया। भूमि पूजन कार्यक्रम से एक दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने आवास पर हनुमान चालीसा पाठ का आयोजन किया और उनके आह्वान पर तमाम नेताओं ने भी हनुमान चालीसा का पाठ किया था।
एक तरफ भाजपा और कांग्रेस के नेता जहां भूमि पूजन कार्यक्रम का स्वागत कर रहे थे, वहीं दिग्विजय सिंह ने मुहूर्त को लेकर सवाल उठाए, मगर उनके साथ कोई नहीं आया, क्योंकि कांग्रेस का कोई भी बड़ा नेता उनके साथ खड़ा नजर नहीं आया। पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी से लेकर कमल नाथ और अन्य नेताओं ने राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू होने का स्वागत किया है।
वहीं कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय में बुधवार की रात राम दरबार सजाया गया, आतिशबाजी हुई और बैंडबाजों की धुन पर लोग थिरके। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ का कहना है कि देश के लिए ऐतिहासिक दिन है। बहुत समय से हर भारतवासी की आशा थी, आकांक्षा थी कि राम मंदिर का निर्माण हो। राम मंदिर का निर्माण शुरू होने जा रहा है , हम सभी के लिए खुशी का क्षण है।
उन्होंने आगे कहा, 'राजीव गांधी ने 1985 में ताला खोला था और यह भावना उस समय से ही जुड़ी थी। राजीव गांधी ने 1989 में कहा था कि रामराज्य लाऊंगा, राम मंदिर बनना चाहिए। यह कोई आज की बात नहीं है और आज इसका कोई श्रेय लेने की कोशिश करे तो यह गलत है।'
वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिग्विजय पर पलटवार करते हुए कहा, "जिन्होंने राम मंदिर के अस्तित्व को ही नकार दिया हो, आज मंदिर निर्माण के शुभ-अशुभ समय का निर्धारण कर रहे हैं। राम का तो नाम लेने से ही कार्य शुभ हो जाते हैं। भगवान श्रीराम के मंदिर के निर्माण का यह पुनीत कार्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शुभ हाथों से ही कराने की अद्भुत प्रभु कृपा के हम सब साक्षी हैं, यह हमारा सौभाग्य है।"
कांग्रेस के दफ्तर में राम दरबार बनाए जाने और बड़ा पोस्टर लगाए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, "हम सबकी यही प्रबल इच्छा और आकांक्षा थी कि पूरी दुनिया सियाराम मय हो जाए। इससे अच्छा और क्या हो सकता है कि कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय पर भी श्रीराम के पोस्टर लग गए।"
कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव ने तो खरगोन जिले में राम मंदिर निर्माण का भूमिपूजन तक किया, यह भूमिपूजन भी उसी समय हुआ जिस समय अयोध्या में भूमिपूजन का कार्यक्रम चल रहा था। यह मंदिर अयोध्या के राम मंदिर की तर्ज पर बनेगा। उनका कहना है कि 'राम हम सबके आराध्य हैं, गांव के लेागों की इच्छा राम मंदिर की है।'
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस जनता की भावनाओं के विपरीत जाना नहीं चाहती, वहीं दिग्विजय सिंह ने अपने गुरु और शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा मुहूर्त को लेकर कही गई बात को आगे बढ़ाया। भूमिपूजन के समय को शंकराचार्य ने अशुभ करार दिया था। कांग्रेस को लगा कि दिग्विजय सिंह का समर्थन पार्टी के लिए हितकर नहीं होगा, इसलिए उनके साथ कोई नहीं आया। आगामी समय में राज्य में विधानसभा के उपचुनाव भी हेाने वाले हैं, अगर पार्टी दिग्विजय का समर्थन करती है तो यह मुद्दा बना जाएगा। लिहाजा, कांग्रेस ने अपने को दिग्विजय सिंह से अलग रखा।