मध्यप्रदेश में लव जिहाद पर रोक के प्रावधान वाले बिल को शिवराज कैबिनेट ने दी मंजूरी

नए प्रस्तावित कानून में धार्मिक पहचान गुप्त रख कर शादी करने पर कड़े सजा का प्रावधान किया गया है। इस बिल के विधानसभा में पारित होने के बाद इस संबंध में 52 साल पुराना कानून स्वतः खत्म हो जाएगा और यह अस्तित्व में आ जाएगा...

Update: 2020-12-26 06:23 GMT

प्रतीकात्मक तसवीर।

जनज्वार। मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने लव जिहाद पर रोक के प्रावधान वाले विधेयक को शनिवार को मंजूरी दे दी। शनिवार सुबह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2020 को मंजूरी दी गयी। अब इस बिल को पारित कराने के लिए विधानसभा के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा।

इस बिल के कानून का शक्ल लेने पर बिना सूचना के धर्मांतरण के उद्देश्य से अंतर धार्मिक विवाह अमान्य होगा। शिवराज कैबिनेट की आज की बैठक वर्चुअल माध्यम से हुई। वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए शिवराज ने इस बैठक की अध्यक्षता की।

बैठक के बाद कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि इस बिल को आज कैबिनेट में ध्वनिमत से पारित कराया गया और इसके पारित होने के साथ ही 1968 वाला धर्म स्वतंत्रता कानून खत्म हो जाएगा। मिश्रा ने कहा कि इस बिल में 19 प्रावधान हैं।

उन्होंने कहा कि इसमें प्रावधान है कि किसी व्यक्ति के एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन करने में प्रलोभन, धमकी, विवाह, दबाव, बल प्रयोग, असम्यक और अन्य कपट पूर्ण साधन से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रयोग करने को निषेध किया गया है। धर्म परिवर्तन के लिए किसी तरह का षडयंत्र करने का निषेध इस विधेयक में किया गया है।

प्रस्तावित धर्म स्वतंत्रता विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि ऐसे किसी मामले में तब पुलिस अधिकारी जांच कर सकेंगे जब संबंधित व्यक्ति, उसके माता-पिता या भाई-बहन संस्था द्वारा शिकायत की गयी हो।

किसी भी व्यक्ति द्वारा इस प्रस्तावित कानून का उल्लंघन करने पर एक से पांच साल तक की जेल और कम से कम 25 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा। नाबालिग, महिला, एससी-एसटी वर्ग के साथ अधिनियम का उल्लंघन किए जाने पर दो से 10 साल तक की जेल की सजा होगी और 50 हजार तक का जुर्माना लगेगा। अपना धर्म गुप्त रख कर धर्म परिवर्तन कराने पर कम से कम तीन वर्ष से दस वर्ष तक की जेल और कम से कम 50 हजार अर्थदंड लगेगा।

सामूहिक धर्म परिवर्तन कर अधिनियम का उल्लंघन करने से पांच साल से दस साल तक की जेल होगी और न्यूनतम एक लाख रुपये का जुर्माना लगेगा। वहीं, एक से अधिक बार अधिनियम का उल्लंघन करने पर न्यूनतम पांच साल से लेकर दस साल तक के सजा का प्रावधान किया गया है।

हालिया सालों मंे मध्यप्रदेश ऐसा पहला राज्य है जिसने इस संबंध में कानून बनाया है। वहीं, उत्तरप्रदेश ने भी इससे संबंधित कानून बनाने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। वहीं, हरियाणा, कर्नाटक व हिमाचल प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्य भी कानून बनाने की तैयारी में है।

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