सबसे ज्यादा बिजली उत्पादन वाले मध्यप्रदेश में बिजली की कम्पनी मालामाल, जनता है बेहाल

सन् 2000 में मध्यप्रदेश विधुत मंडल का घाटा 2100 करोड़ रूपये था और 4892 करोड़ रूपये दीर्घकालीन ॠण था...

Update: 2020-10-06 09:19 GMT

राज कुमार सिन्हा का विश्लेषण 

जनज्वार । मध्यप्रदेश को उर्जा के मामले में मांग से ज्यादा बिजली वाला राज्य माना जाता है,किन्तु फिर भी ग्रामिण क्षेत्रों,आदिवासी क्षेत्रों,किसानों के लिये बिजली सहजता से नहीं उपलब्ध है।इतना ही नहीं बहुत अधिकाधिक उत्पादन होने के बावजूद,मध्यप्रदेश में बिजली देश में सबसे महंगी बेची जाती है।क्योंकि उत्पादन और वितरण की ईमानदारी से नियमन और निगरानी नहीं होती है।वास्तव में सरकार ने उर्जा के उत्पादन और वितरण की नीतियों के मामले में जन जनपक्षीय भूमिका नहीं निभाई है।मध्यप्रदेश में बिजली की उपलब्धता 21 हजार 936 मेगावाट है जबकि औसत मांग 9 हजार मेगावाट है।27 मई 2020 को मध्यप्रदेश सरकार ने अडानी की 1320 मेगावाट क्षमता वाली थर्मल पावर प्लांट से बिजली खरीदी अनुबंध कर लिया है। जबकि पुर्व में पांच  निजी विधुत कम्पनियों से विधुत खरीदी अनुबंध के कारण 2010 से 2019 के बीच बिना बिजली खरीदे 6500 करोङ रूपये का भुगतान किया गया है।

सन् 2000 में मध्यप्रदेश विधुत मंडल का घाटा 2100 करोड़ रूपये था और 4892 करोड़ रूपये दीर्घकालीन ॠण था,जो पिछले 15 सालों में बिजली कंपनियों का घाटा 52 हजार 60 करोड़ रुपए और कर्ज 39 हजार 85 करोड़  तक बढ गया है।2014 से 2018 तक पिछले चार वित्तीय वर्षा में 24 हजार 888 करोड़ रुपए का घाटा हो चुका है।मध्यप्रदेश में उर्जा सुधार के 18 साल बाद भी 65 लाख ग्रामीण उपभोक्ताओं में से 6 लाख परिवारों के पास बिजली नहीं है और सभी गांव में बिजली पहुंचाने के सरकारी दावों के विपरीत मध्यप्रदेश के 54903 गांवों में से अभी भी 3286 गांवों में बिजली नहीं पहुंचा है।

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उर्जा विभाग के अनुसार 2007 से 2011 के बीच राज्य सरकार ने 75 निजी कंपनियों से 91 हजार 160 मेगावाट की थर्मल पावर प्लांट लगाने का अनुबंध कर लिया था।योजनाकारों ने सरकार के सामने बिजली की मांग में अभूतपूर्व बढोतरी के आंकड़े प्रस्तुत कर गुमराह किया और उसे इतने सारे करार करने की राह पर डाल दिया।

अतः हमारी मांग है कि: -

(1) वर्तमान में अडानी पावर प्लांट से बिजली खरीदी अनुबंध सहित पुर्व में जिन पांच निजी कंपनियों से महंगी बिजली खरीदी अनुबंध किया गया है,उसे निरस्त किया जाए।

(2)मध्यप्रदेश में मांग से दुगुनी बिजली उपलब्धता है ।अतः अब कोई भी कोयला अधारित,जल विद्युत एवं चुटका परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं की मंजूरी नहीं दिया जाए।

(3)जिन थर्मल पावर प्लांट्स का बिजली खरीदी अनुबंध (PPA),कोयला का अनुबंध (Coal Linkage),वित्तीय अनुबंध (Financial Closure) एवं पानी का अनुबंध (Water Linkage) नहीं हुआ है, उन पावर प्लांट्स को तत्काल रद्द किया जाए।

(4)जिन विद्युत परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण किया गया है परन्तु पांच साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी परियोजना कार्य शुरू नहीं हुआ है,उक्त भूमि काश्तकारों को वापस की जाए।

(5)प्रदेश सरकार अन्य राज्यों को 2.60 रूपये प्रति यूनिट बेच रही है।अतः मध्यप्रदेश के उपभोक्ताओं को भी उसी दर पर बिजली उपलब्ध करवाई जाए।

(6)नवीकरणीय उर्जा के दाम में भारी कमी आया है।रीवा के सोलर पावर प्लांट से दिल्ली मेट्रो को 2.97 रूपये प्रति यूनिट में बेचा जा रहा है।अतः नवीकरणीय ऊर्जा को अधिक से अधिक बढाने हेतु सरकार प्रयास करे।

राज कुमार सिन्हा

बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ 

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