एमपी में पुलिस ने जिस वकील को मुस्लिम समझकर पीटने की बात कही थी, अब उसी पर दर्ज कर दिया केस
मध्यप्रदेश पुलिस ने बैतूल के एक व्यक्ति को लाॅकडाउन लागू होने से पूर्व ही धारा 144 के उल्लंघन के आरोप में पीट दिया था। दीपक बुंदेले पर उल्टे पुलिस ने केस दर्ज करा दिया...
जनज्वार। मध्यप्रदेश के बैतूल में दीपक बुंदेले नामक जिस शख्स को पुलिस ने पीटा था, उसी के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया गया है। तीन महीने पहले 23 मार्च को पुलिस ने बैैतूल के दीपक बुंदेले को मुसलिम समझ कर उस वक्त पीट दिया था जब वे इलाज के लिए अस्पताल जा रहे थे। इस घटना की खबर पूर्व में जनज्वार ने प्रमुखता से प्रकाशित की थी।
यह घटना 23 मार्च के शाम साढे पांच से छह बजे के बीच की है। उस वक्त देश में लाॅकडाउन घोषित नहीं हुआ था। उसके एक दिन पहले 22 मार्च को प्रधानमंत्री के आह्वान पर एक दिनी जनता कर्फ्यू लगा था और लाॅकडाउन की घोषणा 24 मार्च को की गई।
दीपक बुंदेले अबतक पुलिसवालों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, पुलिस ने उनके खिलाफ सेक्शन 188 (पब्लिक सर्वेंट के आदेश की अवहेलना), 353 (पब्लिक सर्वेंट को ड्यूटी करने से रोकने के लिए हमला या आपराधिक ताकत), 294 (सार्वजनिक जगहों पर अश्लील हरकतें या गाने के लिए सजा) के तहत केस दर्ज कर लिया है।
बुंदेले डायबिटीज व ब्लडप्रेशर के मरीज हैं। मारपीट की घटना में उन्हें कई चोटें आईं और उनके कानों से कई दिन तक खून भी आया। उन्होंने पुलिस में मामले की शिकायत दर्ज कराई और शिकायत की काॅपी बैतूल के एसपी को भी दी।
इस मामले में जब बुंदेले की शिकायत पर एफआइआर दर्ज नहीं हुई तो वो नौ जून को मध्यप्रदेश हाइकोर्ट की जबलपुर बेंच गए। अदालत में पुलिस ने कहा कि कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लागू धारा 144 में दीपक बुंदेले बिना मास्क के बाहर घूम रहे थे। पुलिस ने यह भी कहा कि जब उन्हें रोका गया तो उन्होंने गाली दी। उन्होंने खुद को हाइकोर्ट का सीनियर वकील भी बताया। पुलिस ने अपने दावे के पक्ष में तीन चश्मदीदों का जिक्र किया, जिनका संबंध हिंदू सेना नामक संगठन से है। द क्विंट की खबर के अनुसार, ये हाथ से लिखी ये गवाही कोर्ट में जमा हुई और उसके पास भी है।
दीपक बुंदेले ने पुलिस ने दावे के उलट कहा था कि 23 मार्च को धारा 144 लागू नहीं हुआ था। उन्होंने पुलिस को समझाने की कोशिश की थी कि वे इस मामले में संवैधानिक दायरे के तहत काम करें, लेकिन उन्होंने पिटाई शुरू कर दी। वकील दीपक बुंदेले ने इस मामले में मुख्यमंत्री, राज्य मानवाधिकार आयोग और मध्यप्रदेश के हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सहित शीर्ष सरकारी अधिकारियों को पत्र लिखा था।
उनके द्वारा घटना की सीसीटीवी फुटेज की मांग को लेकर जारी आरटीआइ आवेदन पर जवाब मिला था कि उन्होंने उसमें स्पष्ट रूप से वह कारण नहीं बताया कि जिसके लिए आरटीआइ आवेदन किया गया था और उन्हें अनौपचारिक रूप से बताया गया कि सरकारी फाइलों से सीसीटीवी फुटेज को डिलीट कर दिया गया।
इस मामले में पुलिस ने कोर्ट में कहा कि घटना की सीसीटीवी फुटेज डिलीज कर दी गई है, क्योंकि पुलिस सिर्फ एक महीने का रिकाॅर्ड रखती है। हालांकि पुलिस इस बात पर सफाई नहीं दे सकी कि उसने पीड़ित के साथ सीसीटीवी फुटेज क्यों नहीं शेयर की। दरअसल बुंदेले ने घटना के एक हफ्ते बाद ही आरटीआइ के जरिए फुटेज की मांग की थी।
30 जून को इस मामले की कोर्ट में सुनवाई हुई है और अब मामले की सुनवाई नौ जुलाई को होगी।