'राम के भरोसे' जीता जाएगा एमपी की 27 विधानसभा सीटों पर हो रहा उपचुनाव'
उप-चुनाव में जहां कांग्रेस दल-बदल को बड़ा मुद्दा बनाए हुए है, वहीं भाजपा द्वारा विकास और पूर्ववर्ती सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर हमले कर रही है...
जनज्वार। मध्यप्रदेश में विधानसभा के उप-चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही जीत के लिए राजनीतिक दल और संभावित उम्मीदवारों ने बिसात बिछानी शुरू कर दी हैं। कोई बात विकास की कर रहा है, दल बदल को लेकर हमले बोले जा रहे हैं और अब तो मतदाताओं को लुभाने के लिए भगवान राम की भी एंट्री हो गई है।
राज्य में 27 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होना है। यह चुनाव राज्य की सियासत के लिहाज से काफी अहम माना जा रहे है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन चुनावों की हार-जीत का असर सीधे सरकार के भविष्य पर पड़ने वाला है।
27 विधानसभा क्षेत्रों में से 25 विधानसभा क्षेत्र वे हैं जहां से कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित होने वाले विधायक विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए हैं। संभावना इस बात की है कि इन सभी 25 पूर्व विधायकों को भाजपा उम्मीदवार बनाने वाली है।
उप-चुनाव में जहां कांग्रेस दल-बदल को बड़ा मुद्दा बनाए हुए है, वहीं भाजपा द्वारा विकास और पूर्ववर्ती सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर हमले कर रही है। सागर जिले के सुरखी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के संभावित उम्मीदवार परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने तो भगवान राम का सहारा लिया है। वे अपने विधानसभा क्षेत्रों में पांच रामशिला पूजन यात्राएं निकाल रहे हैं। यह यात्राएं लगभग 300 गांव तक पहुंचेंगीं।
राजपूत इन यात्राओं को सीधे तौर पर राजनीति से जोड़ने को तैयार नहीं है। वे यही कह रहे हैं कि अयोध्या में राम मंदिर बनना है और इन शिलाओं को शिला पूजन के बाद अयोध्या राम मंदिर निर्माण के लिए भेजा जाएगा।
वहीं कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि दल-बदल कर भाजपा में जाने वाले राजपूत सहित अन्य पूर्व विधायकों के प्रति जनता में नाराजगी है क्योंकि उन्होंने जनमत को बेचा है और यही कारण है कि अब इनको जनता को लुभाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाने पड़ रहे हैं, मगर जनता उनके छलावे में आने वाली नहीं है।
वहीं राजनीतिक विश्लेषक विनेाद आर्य का कहना है कि चुनाव जीतना है तो राजनेता सारे रास्ते अपनाएंगे ही, ग्रामीण इलाकों के लोगों में भगवान के प्रति आस्था ज्यादा ही होती है और धर्म के सहारे मतदाताओं को प्रभावित किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि उसी रणनीति के तहत यह शिलापूजन यात्राएं निकाली जा रही हैं। साथ ही सवाल यह भी उठ रहा है जो लेाग पहले भाजपा पर राम के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाते थे, अब वही लोग भाजपा में आकर रामशिला पूजन यात्राएं निकालकर राम मंदिर की बात कर रहे हैं। इन कोशिशों का मतदाताओं पर कितना असर होगा यह तो चुनाव के नतीजे ही बताएंगे।
भाजपा के सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने रथयात्राएं निकालने की कोई आधिकारिक योजना नहीं बनाई है। क्षेत्रीय नेता अपनी योजना बनाकर रामशिला पूजन यात्राएं निकालने के साथ अन्य कार्यक्रम आयोजित कर रहे है, यह सब कार्यकर्ताओं को जोड़ने और मतदाताओं तक अपनी बात पहुंचाने के लिए है।