जबलपुर में कुत्तों का निवाला बनी डेढ़ साल की बच्ची ने तोड़ा दम, माता-पिता ने नगर निगम को बताया दोषी
अपनी मासूम सी बच्ची की मौत से दुखी सुशील श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि जबलपुर नगर निगम पूरे शहर के कुत्तों को लाकर कठौंदा में छोड़ रहा है। यहां मरे हुए पशुओं का चमड़ा उतारा जाता है। मृत जानवरों का मांस खाने के कारण यहां के कुत्ते ज्यादा हिंसक हो गए हैं....
जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर में कुत्तों का निवाला बनी मासूम गुड़िया को बचाया नहीं जा सका। उसने मेडिकल कॉलेज में उपचार के दौरान दमतोड़ दिया।
गौरतलब है कि शुक्रवार 12 फरवरी को कुत्तों ने एक बच्ची को नोच डाला था। मिली जानकारी के अनुसार माढ़ोताल थाने के कठौंदा में रहने वाले सुशील श्रीवास्तव शुक्रवार 12 फरवरी की सुबह मजदूरी के लिए घर से बाहर गए। घर पर पत्नी वर्षा और तीन साल का बेटा विवेक व डेढ़ साल की दीपाली उर्फ गुड़िया थे। भाई-बहन घर के बाहर खेल रहे थे, तभी कुत्तों ने गुड़िया पर हमला बोल दिया। उसकी चीख सुनकर मां बाहर आई, तब तक गुड़िया लहूलुहान हो चुकी थी। उसे गंभीर हालत में मेडिकल कॉलेज ले जाया गया।
मिली जानकारी के अनुसार गुड़िया को मेडिकल कॉलेज में ऑपरेशन हुआ, मगर उसे बचाया नहीं जा सका। गुड़िया के माता पिता का आरोप है कि कठौंदा में कुत्तों को छोड़ा जा रहा है, यहां कुत्ते हिंसक भी हो रहे हैं।
अपनी मासूम सी बच्ची की मौत से दुखी सुशील श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि जबलपुर नगर निगम पूरे शहर के कुत्तों को लाकर कठौंदा में छोड़ रहा है। यहां मरे हुए पशुओं का चमड़ा उतारा जाता है। मृत जानवरों का मांस खाने के कारण यहां के कुत्ते ज्यादा हिंसक हो गए हैं।
गौरतलब है कि जबलपुर शहर में आवारा कुत्तों का आतंक लगातार जारी है। जानकारी के मुताकिबक आवारा कुत्तों का आतंक इस कदर है कि रोजाना दर्जनों लोग इनका शिकार हो रहे हैं। अस्पतालों में कुत्तों के काटने से रैबीज टीका लगवाने के लिए लोगों की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है। जबलपुर जिला अस्पताल में रोज लगभग 70 से ज्यादा मरीज पहुंच रहे हैं, जिनको रैबीज का इंजेक्शन तक उपलब्ध नहीं हो पा रहा।