भाई को राखी बांधने के लिए बहन के पास नहीं था किराया, बीमार पति रिक्शे से लेकर गया तो फूट-फूटकर रोए दिव्यांग भाई-बहन

चारू ने अनिल को राखी बांधी। शगुन के तौर पर अनिल के पास चारू को देने के लिए मात्र 10 रुपए थे। वह भी बहन लेना नहीं चाह रही थी। फिर भी भाई के प्यार के आगे उसे ये शगुन लेना पड़ा...

Update: 2021-08-24 09:59 GMT

दिव्यांग भाई-बहन अनिल व चारू (photo-bhaskar)

जनज्वार, पन्ना। रक्षाबंधन पर एक बहन अपने दिव्यांग भाई को राखी बांधना चाहती थी। लेकिन उसके पास इतने पैसे नहीं थे कि राखी बांधने 30 किलोमीटर दूर भाई के घर जा सके। पत्नी की यह मजबूरी उसके पति से देखी नहीं गई। बीमार होने के बावजूद पति ने पत्नी को रिक्शे में बिठाया और भाई के गांव के लिए निकल गया।

शरीर कमजोर था इसलिए रिक्शा धीरे-धीरे चलाया। 30 किलोमीटर का सफर तय करने में 9 घंटे लग गए। इसके बाद भाई-बहन जब मिले तो भावनाएं नहीं संभाल पाए और दोनों फूट-फूटकर रोने लगे। भाई-बहन के प्यार की यह रूला देने वाली कहानी पन्ना, मध्य प्रदेश की है।

पन्ना के कुंजवन गांव के रहने वाले 40 साल के अनिल देवनाथ दिव्यांग हैं। उन्हें मिर्गी के दौरे भी पड़ते हैं, इसलिए कहीं आ-जा नहीं सकते। अनिल की बहन 45 साल की चारू भी दिव्यांग हैं। वह 30 किलोमीटर दूर रक्सेहा गांव में रहती हैं। इन दोनों भाई-बहन के माता-पिता भी दिव्यांग थे। चारू अपने पति 52 साल के रवि दास के साथ रहती हैं। चारू के पति पहले रिक्शा चलाते थे। लगातार बीमार होने की वजह से उन्होंने रिक्शा चलाना बंद कर दिया।

पत्नी को उदास देखकर रिक्शे से ले गया पति 

रक्षाबंधन के दिन चारू मायूस थीं। यह देख रवि दास ने उसे रिक्शा से ही भाई के पास ले जाने की ठानी। सुबह 8 बजे वह रिक्शे पर पत्नी को बैठाकर शाम 5 बजे कुंजवन गांव पहुंचे। फिर राखी बांधने की बारी आई। चारू ने अनिल को राखी बांधी। शगुन के तौर पर अनिल के पास चारू को देने के लिए मात्र 10 रुपए थे। वह भी बहन लेना नहीं चाह रही थी। फिर भी भाई के प्यार के आगे उसे ये शगुन लेना पड़ा।

दोनों भाई-बहन के प्यार और खुशी में रोने का वीडियो सामने आया है। गांव के सरपंच प्रताप विश्वास के मुताबिक अनिल की शादी नहीं हुई है। वह वन विभाग की चौकी में रहता है, उसके घर में बड़ी-बड़ी घास उग गई है, इसलिए वहां रहना मुश्किल है। जिसके चलते अनिल वन विभाग के क्वार्टर में रहने लगा।

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