'रिकॉर्ड रूम भूतहा है इसलिए कोई जानकारी नहीं दे पाएंगे' एक्टिविस्ट ने RTI लगाकर मांगी जानकारी तो मिला ये जवाब

आरटीआई से जुड़ा ताजा मामला मध्य प्रदेश से सामने आया है। यहां एक आरटीआई एक्टिविस्ट को एक सवाल करने पर बेहद अटपटा जवाब दिया गया है जिसमें कहा गया है कि 'डॉक्यूमेंट नहीं दे पाएंगे क्योंकि रिकॉर्ड रूम भूतहा है...

Update: 2021-06-24 07:26 GMT

ग्वालियर के इसी गजारा राजा कॉलेज से आरटीआई के जवाब में कहा गया कि रिकॉर्ड रूम भूतहा है.

जनज्वार, ग्वालियर। केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार के वक्त साल 2005 में सूचना का अधिकार कानून लागू किया गया था। राइट टू इन्फर्मेशन यानी आरटीआई। कानून लागू हुआ और फिर इस कानून के जरिए दबी-छिपी सूचनाएं भी लोगों के पास पहुंचती रहीं। 

इस कानून यानी आरटीआई से जुड़ा ताजा मामला मध्य प्रदेश से सामने आया है। यहां एक आरटीआई एक्टिविस्ट को एक सवाल करने पर बेहद अटपटा जवाब दिया गया है जिसमें कहा गया है कि 'डॉक्यूमेंट नहीं दे पाएंगे क्योंकि रिकॉर्ड रूम भूतहा है।'

एमपी में ग्वालियर के गजरा राजा मेडिकल कॉलेज में एडमिशन को लेकर पूछे गए सवालों का यह जवाब दिया गया है। आरटीआई एक्टिविस्ट्स जीएमआरसी में एमबीबीएस एडमिशन में हुए कथित गड़बड़ियों की जांच चाहते हैं। एक्टिविस्ट का आरोप है कि बाहरी लोगों को धोखाधड़ी से डोमिसाइल कोटे में सीटें मिली थी।

पंकज एक हेल्थ एक्टिविस्ट हैं जो पिछले 3 साल से डॉक्यूमेंट्स की तलाश कर रहे हैं। मामले को लेकर टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बात करते हुए पंकज जैन ने बताया कि पहले उन्होंने कहा कि सीबीआई ने डॉक्यूमेंट्स ज़ब्त कर लिए हैं। इसके बाद उन्होंने कहा कि इसे संभालने वाले क्लर्क को सीबीआई ने गिरफ़्तार कर लिया है। अब वह कह रहे हैं कि उस कमरे में एक क्लर्क ने आत्महत्या कर ली है और अब वह कमरा भूतहा है और वह कमरे का ताला खोलने से डरते हैं।

ग्वालियर के गजरा राजा मेडिकल कॉलेज के डीन डॉक्टर समीर गुप्ता ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया के हवाले से बताया कि यह मामला उनकी जानकारी में नहीं है। वह इसकी जांच करवाएंगे।

पंकज ने दिल्ली के एक एक्टिविस्ट की भी बात बताई। पंकज ने आरटीआई एक्टिविस्ट के बारे में बताया कि उन्होंने सितंबर 2018 में आरटीआई के जरिए 1994 में एमबीबीएस बैच के एडमिशन का रिकॉर्ड मांगा। मेडिकल कॉलेज ने यह कहते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया है कि उन्हें 1994 एमबीबीएस बैच का कोई रिकॉर्ड नहीं है। पंकज आगे बताते हैं कि जीएमआरसी ने कई बैचों के स्टूडेंट्स के रिकॉर्ड्स खो दिए हैं।

पंकज आगे बताते हैं कि एक्टिविस्ट ने मामले को लेकर राज्य सूचना आयोग से संपर्क किया जहां 4 दफ़ा सुनवाई की गई, लेकिन जीएमआरसी ने हाई कोर्ट के सामने सहमत होने के बावजूद अब तक कोई जानकारी नहीं दी है। आयोग ने जनवरी 2021 में बिना किसी कारवाई के ही शिकायत का निपटारा कर दिया।

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