कोरोना महामारी में बढी बेरोजगारी से गरीबों के खाने के लिए अनाज नहीं और सतना में सड़ गया दो करोड़ का गेहूं

जहां एक तरफ लॉकडाउन के बाद से देश का बहुतायत दाने—दाने को मोहताज है, वहीं सतना में जहां दो लाख क्विंटल गेहूं सड़ने के कगार पर है और करीब दो करोड़ रुपये का गेहूं सड़ चुका है...

Update: 2020-06-15 11:45 GMT

जनज्वार। एक ओर जहां कोरोना महामारी व लाॅकडाउन में रोजगार छिनने से देश के करोड़ों लोगों को खाने के लाले पड़े हैं, वहीं मध्यप्रदेश के सतना में दो करोड़ से अधिक का गेहूं सड़ कर बर्बाद हो गया। सतना में जहां दो लाख क्विंटल गेहूं सड़ने के कगार पर है, वहीं करीब दो करोड़ रुपये का गेहूं सड़ चुका है। इन सड़े गेहूं को खरीदने से मना कर दिया गया है। सावर्जनिक वितरण प्रणाली की दुकानों में यही गेहूं जाता है।

मालूम हो कि पिछले ही महीने यह खबर आयी थी कि सतना में इस बार गेहूं का रिकार्ड उत्पादन हुआ है। सतना जिले के तीन लाख हेक्टेयर भूमि में 1.80 लाख हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की खेती का लक्ष्य रखा गया था। सतना जिले ने लक्ष्य को हासिल भी कर लिया। उत्पादित गेहूं का एक हिस्सा सरकार ने मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ के माध्यम से खरीद लिया। क्रय केंद्र पर पांच जून तक 31 लाख 85 हजार 121.29 मिट्रिक टन गेहूं की खरीद की गयी।

यहां अनाज के लिए कई भंडारण केंद्र बनाए गए हैं, लेकिन खुले आसमान के नीचे संचालित 32 केंद्रों पर गेहूं सड़े हैं। पिछले दिनों इस संबंध में भी मीडिया रिपोर्ट आई थी कि बारिश से गेहूं सड़ रहे हैं।

सड़े गेहूं की मात्रा दो लाख नौ हजार 318 क्विंटल आंकी गयी है। दरअसल, जो गेहूं सड़ा वह ट्रांसपोर्टेशन के लिए तैयार था, लेकिन तब परिवहनकर्ता ने चावल ढुआई में अधिक रुचि दिखाई। जबकि नियम के अनुसार, रेडी टू ट्रांसपोर्ट अनाज का भंडारण 72 घंटे के अंदर होना चाहिए।

क्रय केंद्रों पर गेहूं की खरीद आंख मूंद कर गई जिसकी वजह से उसे गोदाम में पहुंचाते ही रिजेक्ट कर दिया गया। 11,280.9 क्विंटल गेहूं खराब निकला। राज्य सरकार ने गेहूं की एमएसपी 1925 रुपये तय की है। 

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