विरोध के बाद मणिपुर सरकार ने वापस लिया म्यांमार से आए 'शरणार्थियों का खाना-पानी रोकने' का आदेश

इस आदेश को लेकर मणिपुर में जनाक्रोश और आलोचनाओं को देखते हुए म्यांमार की सीमा से सटे चार जिलों चंदेल, तेंगुपाल, कम्जोंग, उखरुल और चूड़ाचांदपुर के कमिश्नरों को पत्र भेजा गया था.....

Update: 2021-03-30 11:28 GMT

जनज्वार डेस्क। मणिपुर में भाजपा की केंद्र वाली सरकार है जहां एन बीरेन सिंह मुख्यमंत्री हैं। मणिपुर इस वक्त अंतराष्ट्रीय मीडिया का भी केन्द्र बिंदु बना हुआ हैं। क्योंकि म्यांमार में 1 फरवरी को हुए सैन्य तख्तापलट के बाद से लगातार खबरें आ रही हैं कि यहां के नागरिक सेना की कार्रवाई से बचने के लिए बड़ी संख्या में भारत की सीमाओं में घुसकर पलायन कर रहे हैं। इसे देखते हुए मणिपुर की एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने म्यांमार से आने वाले लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था, जिसके बाद राज्य में लोगों के अंदर रोष बढ़ने लगा। हालांकि जनता के आक्रोश से बचने के लिए सरकार ने तीन दिन बाद इस आदेश को वापस ले लिया गया।

आपको बता दें कि मणिपुर के गृह सचिव एच ज्ञान प्रकाश की ओर से जारी पत्र में कहा गया था कि सैन्य तख्तापलट के बाद म्यांमार के नागरिक भारत में घुसने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में जिलों को निर्देश दिया जाता है कि वे उन्हें देश में न घुसने दें। इतना ही नहीं, पत्र में यह भी आदेश दिया गया था कि शरणार्थियों के लिए न राहत शिविर बनाएं और न खाने-पीने का इंतजाम करें। वे शरण मांगने आएं तो उन्हें हाथ जोड़कर वापस भेजें। ज्ञात हो कि आदेश में आधार पंजीकरण रोकने की बात भी कही गई थी।

इस आदेश को लेकर मणिपुर में जनाक्रोश और आलोचनाओं को देखते हुए म्यांमार की सीमा से सटे चार जिलों चंदेल, तेंगुपाल, कम्जोंग, उखरुल और चूड़ाचांदपुर के कमिश्नरों को पत्र भेजा गया था। सरकार की तरफ से पत्र में आदेश दिया गया था कि केवल मानवीय या फिर मेडिकल इमरजेंसी के आधार पर ही म्यांमार के नागरिकों को देश में प्रवेश दिया जाएगा। सरकार की तरफ से 26 मार्च को जारी आदेश के तहत म्यांमार से आने वाले शरणार्थियों को शरण न देने की बात कही गई थी। जिसके बाद इस आदेश की काफी आलोचना की जा रही थी।

इस आदेश को भारत में शरण देने की परंपरा के खिलाफ और अमानवीय कहा जा रहा है। एक रिपोर्ट में मिजोरम के एक अधिकारी के हवाले से सोमवार को बताया गया कि म्यांमार में पिछले माह (फरवरी 1) हुए सैन्य तख्तापलट के बाद से यहां कम से कम 1000 नागरिक मिजोरम में सीमा पार कर शरण ले चुके हैं। इनमें से 100 लोगों को वापस भेजा गया था, लेकिन वह फिर से मणिपुर में ही कहीं छुप गए हैं। इस आदेश को लेकर 7 सिस्टर यानि नॉर्थईस्ट इंडिया के कई इलाकों में आक्रोश बढ़ने लगा।

मणिपुर के गृह सचिव के पत्र के बाद जनाक्रोश को बढ़ता देख ज्ञान प्रकाश कहते है कि 'मुझे सरकार का यह फैसला बताने के निर्देश दिए गए हैं कि उसने 26 मार्च को लिखे पत्र को वापस लेने का फैसला किया है'। मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांगा ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे शरणार्थियों को पनाह देते का अनुरोध किया था और कहा था कि म्यांमार में बड़े पैमाने पर मानवीय तबाही हो रही है और सेना निर्दोष नागरिकों की हत्या कर रही है।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने सोमवार को बताया कि पड़ोसी देश से अवैध प्रवास को रोकने के 10 मार्च के दिशानिर्देशों के बाद केंद्र से कोई आदेश नहीं मिला है। फिलहाल सरकार स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है और आदेश को वापस ले लिया गया है।

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