मीडिया मिमिक्री विवाद में व्यस्त और मणिपुर हिंसा की भेंट चढ़े 87 'कुकी' शव दफना दिये गये चुपचाप—एक माह का बच्चा भी शामिल
Manipur violence : मणिपुर इस साल 3 मई से यानी लगभग 8 माह से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष के बाद हुई हिंसा से जूझ रहा है, हिंसा में अब तक लगभग 200 लोग मारे जा चुके हैं और लगातार हालात बहुत भयानक हैं....
Manipur violence : हमारा मीडिया गोदी और विरोधी दोनों ही मिमिक्री विवाद में व्यस्त है, शायद राष्ट्र की इससे बड़ी कोई खबर ही नहीं है मीडिया के लिए, मगर दूसरी तरफ हिंसा से जूझते मणिपुर में हुई इतनी बड़ी घटना को तवज्जो देना शायद कोई जरूरी नहीं समझता। जी हां, कल 20 दिसंबर को मणिपुर हिंसा की भेंट चढ़े कुकी समुदाय के 87 पीड़ितों की लाशों को दफनाया गया था।
प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक, मणिपुर में हिंसा में अपनी जान गंवाने वाले कुकी समुदाय के 87 पीड़ितों के शव चुराचांदपुर में दफनाए गए। अधिकारियों का कहना था कि 14 दिसंबर को इम्फाल के अलग-अलग मुर्दाघरों से 41 शव हवाई मार्ग से लाए गए थे, जबकि 46 शव चुराचांदपुर जिला अस्पताल से लाए गए और इन सबका एक साथ अंतिम संस्कार किया गया।
गौरतलब है कि इतनी भारी संख्या में शवों के अंतिम संस्कार में निशेधाज्ञा के बावजूद भारी जनसमुदाय उमड़ पड़ा था, जिसके कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। जानकारी के मुताबिक शवों को सामूहिक रूप से दफनाने से पहले तुईबुओंग में एक शोकसभा आयोजित की गयी थी।
यहां एक बात ध्यान देने वाली यह भी है कि इतनी बड़ी संख्या में शवों को दफनाने की बात सामने आने के बाद फिर से सोमवार 18 दिसंबर को मणिपुर में हिंसक झड़पों की खबरें आयी थीं, और उसी के बाद से यहां धारा 144 लगा दी गयी थी। यह पहली बार नहीं है जब हिंसा की आग में जलते मणिपुर में सामूहिक अंतिम संस्कार किया गया हो। 15 दिसंबर को कांगपोकपी जिले में 19 हिंसा पीड़ितों का एक साथ सामूहिक अंतिम संस्कार किया गया था।
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मणिपुर में हिंसा में मारे गये कुकी समुदाय के पीड़ितों के शव, जो महीनों से इंफाल के दो मुर्दाघरों में पड़े हुए थे, को हवाई मार्ग से चूड़ाचांदपुर और कांगपोकपी लाया गया और पिछले सप्ताह कांगपोकपी में सामूहिक अंतिम संस्कार कार्यक्रम आयोजित किया गया था। चूड़ाचांदपुर के डिप्टी कमिश्नर धारुन कुमार एसके आदेश में कहा गया है कि ‘दो समूहों के बीच झड़प और छिटपुट हिंसा’ के बारे में पुलिस रिपोर्टों के आधार पर सीआरपीसी की धारा 144 अगले साल 18 फरवरी तक यानी दो महीने के लिए लगा दी गयी है।
मणिपुर पर पसरी भयानक टिप्पणी पर संसद से निष्कासित टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट किया है, 'संसद सुरक्षा उल्लंघन पर, मगर मणिपुर पर घातक चुप्पी और राष्ट्रपति भवन मिमिक्री पर ट्वीट करता है। ये देखिये प्राथमिकताएँ....'
युवा कांग्रेस अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी कहते हैं, 'मिमिक्री बड़ी है या इंसानियत का कत्ल? मणिपुर में 8 महीने पुराने 87 शवों का अंतिम संस्कार हुआ जो पिछले करीब 250 दिनों से मुर्दाघरों में रखे हुए थे। अफसोस इनकी सुध न तो प्रधानमंत्री ने ली, न धनखड़ साहब ने और न ही Modi Media ने, क्योंकि शहंशाह ने मिमिक्री को राष्ट्रीय मुद्दा फरमान जारी किया है ताकि मणिपुर, महँगाई, बेरोजगारी और 143 सांसदों के निलंबन पर कोई चर्चा न हो।'
कांग्रेस नेत्री सुप्रिया श्रीनेत ने तस्वीरें और वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट किया है, 'मिमिक्री से आहत मोदी सरकार और उसके चरणचुंबकों को मणिपुर हिंसा के 87 पीड़ितों का सामूहिक दफ़न नहीं दिखता। उनमें से एक 1 महीने का बच्चा भी था।'
मणिपुर इस साल 3 मई से यानी लगभग 8 माह से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष के बाद हुई हिंसा से जूझ रहा है। हिंसा में अब तक लगभग 200 लोग मारे जा चुके हैं और हालात बहुत भयानक हैं। मीडिया में आई रिपोर्टों के मुताबिक इस हिंसा में लगभग 50,000 लोग विस्थापित हो चुके हैं।
लगभग 38 लाख की आबादी वाले मणिपुर में तीन प्रमुख समुदाय मैतेई, नागा और कुकी हैं। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं और नागा-कुकी ईसाई धर्म को फॉलो करते हैं, जोकि पिछड़े वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी लगभग 50 फीसदी है। मणिपुर के 10 फीसदी इलाके में फैली इम्फाल घाटी में ज्यादात मैतेई समुदाय के लोग हैं और नागा-कुकी आबादी करीब 34 प्रतिशत है।