मनीष सिसोदिया ने जेल से लिखा ‘अनपढ़’ प्रधानमंत्री को पत्र, कहा इसीलिए बंद किये देश के 60 हजार सरकारी स्कूल
Manish Sisodia latter from jail : जिस देश के प्रधानमंत्री को कम पढ़े-लिखे होने पर गर्व हो, उस देश में एक आम आदमी के बच्चे के लिए अच्छी शिक्षा का कभी इंतजाम नहीं किया जाएगा। हाल के वर्षों में 60,000 सरकारी स्कूलों को बंद किया जाना इस बात का जीता जागता प्रमाण है
Manish Sisodia latter from jail : जेल में बंद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जेल से एक पत्र लिखा है, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें उन्होंने मोदीराज में सरकारी स्कूलों पर लगातार की जा रही तालाबंदी पर तो सवाल उठाया ही है, साथ ही अनपढ़ प्रधानमंत्री होने से देश को होने वाले नुकसानों को भी गिनाया है। मनीष सिसोदिया कहते हैं कि अगर इस देश का प्रधानमंत्री पढ़ा लिखा होता तो देश के 60 हजार सरकारी स्कूलों पर ताला नहीं ठोकता, बल्कि गरीब-जरूरतमंद बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा की व्यवस्था करती।
पढ़िये क्या लिखा है मनीष सिसोदिया ने अपने पत्र में
आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं। दुनियाभर में विज्ञान और टेक्नॉलॉजी में हर रोज नई तरक्की हो रही है। सारी दुनिया आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (Artificial intelligence) की बात कर रही है। ऐसे में जब प्रधानमंत्री जी को ये कहते सुना कि ‘गंदे नाले में पाईप डालकर उसकी गंदी गैस से चाय या खाना बनाया जा सकता है’ तो मेरा दिल बैठ गया। क्या नाली की गंदी गैस से चाय या खाना बनाया जा सकता है? नहीं! जब प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि बादलों के पीछे उड़ते जहाज को रडार नहीं पकड़ सकता तो पूरी दुनिया के लोगों में वो हास्य के पात्र बनते हैं। स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने वाले बच्चे उनका मजाक बनाते हैं। उनके इस तरह के बयान देश के लिए बेहद खतरनाक हैं। इसके कई नुकसान हैं। जैसे पूरी दुनिया को पता चल जाता है कि भारत के प्रधानमंत्री कितने कम पढ़े-लिखे हैं और उन्हें विज्ञान की बुनियादी जानकारी तक नहीं है।
दूसरे देशों के राष्ट्र अध्यक्ष जब प्रधानमंत्री जी से गले मिलते हैं तो एक एक झप्पी की भारी कीमत लेकर चले जाते हैं। बदले में न जाने कितने कागजों पर साइन करवा लेते हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री जी तो समझ ही नहीं पाते कि क्योंकि वो तो कम पढ़े लिखे हैं। आज देश का युवा aspirational है। वो कुछ करना चाहता है। वो अवसर की तलाश में है। वो दुनिया जीतना चाहता है। साइंस और टेक्नॉलॉजी के क्षेत्र में वो कमाल करना चाहता है। क्या एक कम पढ़ा-लिखा प्रधानमंत्री आज के युवा के सपनों को पूरा करने की क्षमता रखता है?’
‘हाल के वर्षों में देशभर में 60,000 सरकारी स्कूल बंद कर दिए गए। क्यों? एक तरफ देश की आबादी बढ़ रही हैं। तो सरकारी स्कूलों की संख्या तो बढ़नी चाहिए थी? अगर सरकारी स्कूलों का स्तर अच्छा कर दिया जाता तो लोग अपने बच्चों को प्राइवेट से निकाल कर सरकारी स्कूलों में भेजना शुरू कर देते, जैसा कि अब दिल्ली में होने लगा है। लेकिन देशभर में सरकारी स्कूलों का बंद होना खतरे की घंटी है। इससे पता चलता है कि शिक्षा सरकार की प्राथमिकता है ही नहींं, अगर हम अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं देंगे, तो क्या भारत तरक्की कर सकता है? कभी नहीं!’
मैंने प्रधानमंत्री मोदी जी का एक वीडियो देखा था, जिसमें वो बड़े गर्व के साथ कह रहे हैं कि वे पढ़े-लिखे नहीं हैं। केवल गांव के स्कूल तक ही उनकी शिक्षा हुई। क्या अनपढ़ या कम पढ़ा-लिखा होना गर्व की बात है? जिस देश के प्रधानमंत्री को कम पढ़े-लिखे होने पर गर्व हो, उस देश में एक आम आदमी के बच्चे के लिए अच्छी शिक्षा का कभी इंतजाम नहीं किया जाएगा। हाल के वर्षों में 60,000 सरकारी स्कूलों को बंद किया जाना इस बात का जीता जागता प्रमाण है। ऐसे में मेरा भारत कैसे तरक्की करेगा? आप अपनी छोटी सी कंपनी के लिए एक मैनेजर रखने के लिए भी एक पढ़े-लिखे व्यक्ति को ही ढूंढ़ते हैं। क्या देश के सबसे बड़े मैनेजर को पढ़ा लिखा नहीं होना चाहिए?