MANREGA Scam : झारखंड मनरेगा में सामने आया बड़ा घोटाला, सोशल ऑडिट में अधिकारियों-कर्मचारियों के भ्रष्टाचार का हुआ खुलासा
MANREGA Scam : सोशल ऑडिट में जो मामले सामने उभरकर आए हैं उसके आलोक में मस्टर रोल (एमआर) में दर्ज मजदूरों में से औसतन 25 प्रतिशत मजदूर काम करते पाये गये हैं....
विशद कुमार की रिपोर्ट
MANREGA Scam : मनरेगा (MANREGA) की योजनाओं में मशीन का इस्तेमाल पर पाबंदी है बावजूद इसके झारखंड (Jharkhand) में मनरेगा योजना में धड़ल्ले से मशीन का इस्तेमाल हो रहा है। इसका खुलासा हाल ही में हुए सोशल ऑडिट में उभरकर सामने आया है।
बता दें कि ग्रामीण विकास विभाग, झारखण्ड सरकार (Jharkhand Government) की सामाजिक अंकेक्षण ईकाई द्वारा वित्तीय वर्ष 2021-22 में सभी 24 जिलों के 1,118 पंचायतों में क्रियान्वित मनरेगा योजनाओं का समवर्ती सामाजिक अंकेक्षण किया गया है, जिसमें कुल 29,059 योजनाओं स्थलों का ऑन स्पाट (On the spot) सत्यापन किया गया। समवर्ती सामाजिक अंकेक्षण प्रतिवेदन अवलोकन से स्पष्ट है कि राज्य में मनरेगा (MANREGA) योजनाओं के क्रियान्वयन में अधिकारियों/कर्मियों द्वारा नियमों की पूरी तरह अनदेखी की गई है।
उदाहरण के तौर पर अंकेक्षित योजनाओं में से 36 योजनाओं में JCB मशीन से काम कराये जाने के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं। कुल 1,59,608 मजदूरों के नाम से मस्टर रोल (हाजरी शीट) निकाले गए थे, उन मजदूरों में से सिर्फ 40,629 वास्तविक मजदूर (25%) ही कार्यरत पाए गए। शेष सारे फर्जी नामों के मस्टर रोल थे। 1787 मजदूर ऐसे मिले जिनका नाम मस्टर रोल में था ही नहीं। 85 योजनायें ऐसी मिली जिनमें कोई मस्टर रोल सृजित नहीं किये गए थे, परन्तु काम प्रारम्भ कर दिया गया था। 376 मजदूर ऐसे मिले जिनका जॉब कार्ड बना ही नहीं था।
पूर्व के वर्षों में भी सोशल ऑडिट (Social Audit) के माध्यम से करीब 94 हजार विभिन्न तरह की शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं, जिसमें करीब 54 करोड़ राशि गबन की पुष्टि हो चुके हैं। उसपर भी राज्य के जिम्मेवार अधिकारी वसूलनीय राशि के प्रति गंभीर नहीं हैं। राज्य में विभागीय अधिकारियों ने विगत दो वर्षों से मनरेगा क़ानूनी प्रावधान के विपरीत सामाजिक अंकेक्षण की प्रक्रिया को बाधित कर रखा है। मनरेगा लोकपालों की नियुक्ति भी राज्य सरकार नहीं कर रही है। राज्य भर में शिकायत निवारण प्रक्रिया पूरी तरह फेल है। कहना ना होगा कि मनरेगा पूरी तरह भ्रष्ट अफसरों और ठेकेदारों के गिरफ्त में चला गया है।
इस बावत सदस्य, राज्य संचालन समिति सामाजिक अंकेक्षण ईकाई ग्रामीण विकास विभाग, झारखण्ड सरकार सह राज्य संयोजक, झारखण्ड नरेगा वाच के जेम्स हेरेंज ने सचिव ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार कृषि भवन, नई दिल्ली को एक पत्र भेजकर माँग की है कि समवर्ती सामाजिक अंकेक्षण में प्रतिवेदित बिंदुओं पर राज्य सरकार से कृत कार्रवाई प्रतिवेदन की माँग की जाए। इसके साथ ही पूर्व में संपन्न सामाजिक अंकेक्षण में प्रतिवेदित प्रत्येक मामले पर राज्य के जिम्मेवार अधिकारियों से समयबद्ध् कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। तथा सभी जिलों में मनरेगा लोकपालों की नियुक्ति यथाशीघ्र करते हुए प्रत्येक स्तर पर शिकायत निवारण प्रक्रिया को प्रभावकारी तरीके से लागू किया जाए।
सोशल ऑडिट में जो मामले सामने उभरकर आए हैं उसके आलोक में मस्टर रोल (एमआर) में दर्ज मजदूरों में से औसतन 25 प्रतिशत मजदूर काम करते पाये गये हैं। धनबाद और दुमका में तो मस्टर रोल के मुकाबले तीन से 10 प्रतिशत तक मजदूर ही काम करते पाये गये। तीन जिलों में वैसे मजदूर भी काम करते पाये गये, जिनके नाम मस्टर रोल में दर्ज नहीं थे। 129 योजनाओं में बिना काम शुरू किये ही मस्टर रोल जारी किया गया। मनरेगा की इस ताजा सोशल ऑडिट रिपोर्ट में मनरेगा कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा की जा रही कई गड़बड़यां सामने आयी हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑडिट के लिए राज्य के 24 जिलों को 1,118 पंचायतों में चल रही योजनाओं में से 29.059 योजनाओं को चुना गया। इनके लिए जारी मस्टर रोल में 1,59,608 मजदूरों के काम करने का उल्लेख किया गया था। हालांकि कार्य स्थल पर सिर्फ 40 हजार 629 मजदूर ही काम करते पाये गये। यानी मस्टर रोल में दिखाये मजदूरों की संख्या के मुकाबले सिर्फ 25 प्रतिशत मज़दूर को काम करते पाये गये। इस मामले में सबसे खराब स्थिति गुमला जिले की रही। गुमला जिले में ऑडिट के लिए 92 योजनाओं का चुना गया था, मस्टर रोल में दर्ज आकड़ों के अनुसार, इन योजनाओं में 731 मजदूरों को कार्यरत होना चाहिए था। जबकि सिर्फ 20 मजदूर ही काम करते ये गये। राज्य में चल रही योजनाओं में 1787 ऐसे मजदूर काम करते मिले, जिनके नाम मस्टर रोल में नहीं थे। गढ़वा, साहिबगंज और गिरिडीह में ऐसे मजदूरों की संख्या सबसे ज्यादा पायी गई।
राज्य में चल रही योजनाओं में काम कर रहे 954 मजदूरों का जॉब कार्ड उनके पास नहीं होकर दूसरों के पास था। सिमडेगा, लोहरदगा और गिरिडीह में ऐसे मजदूरों के सख्या सबसे ज्यादा थी। राज्य के सात जिलों में कुल 36 योजनाओं में मशीन का इस्तेमाल करने की जानकारी मिली। इन योजनाओं में मशीन का भुगतान मजदूरों के नाम पर किया गया है।
गड़बड़ी की 50% राशि वसूलने पर ही अब केंद्र से मिलेगा राज्य को मनरेगा का पैसा
अन्य खबर के अनुसार केंद्र सरकार ने राज्य को मनरेगा में हुई गड़बड़ी में से 50 प्रतिशत की वसूली नहीं होने पर वित्तीय वर्ष 2022-23 में लेबर बजट पर विचार नहीं करने की चेतावनी दी है। केंद्र सरकार के मनरेगा महानिदेशक धर्मवीर झा ने इससे संबंधित पत्र राज्य सरकार के वरीय अधिकारियों को भेजा है, यहाँ सरकार अब तक वित्तीय अनियमितता के मामले में सिर्फ 9.97% राशि ही वसूल सकी है, केंद्र की ओर सरकार को लिखे पत्र में कहा गया है कि सरकार मनरेगा में पारदर्शिता और जबाबदेशी सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इसके तहत लोकपाल के 80% पदों को भरने स्वतंत्र सोशल ऑडिट यूनिट और स्वतंत्र निदेशकों को सक्षम बनाने और सोशल ऑडिट में पकड़ी गयी वित्तीय अनियमितता की राशि में से 50% की वसूली करने का निर्देश दिया गया है। इन शर्तों का पालन नहीं होने पर वित्तीय वर्ष 2022-23 के लेबर बजट पर ईपावर्ड कमेटी में विचार नहीं किया जायेगा।
उल्लेखनीय है कि सोशल ऑडिट के दौरान मनरेगा की योजनाओं में कुल 52.37 करोड़ रुपये की गड़बड़ी पकड़ी गयी है। सरकार ने इसके आलोक में अब तक सिर्फ 5.21 करोड़ रुपये की वसूली कर सकी है सबसे ज्यादा गड़बड़ी गढ़वा जिले में 5.93 करोड़ की गड़बड़ी पकड़ी गयी है। इस मामले में गिरिडीह दूसरे नंबर और तीसरे नंबर पर रामगढ़ जिला है। गिरिडीह में 4.95 करोड़ और रामगढ़ में 4.93 करोड़ की गड़बड़ी पकड़ी गयी है।
अब लोगों को 100 दिन का काम मिलना भी मुश्किल
एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार मनरेगा में 100 दिन का काम मिलना भी अब मुश्किल हो गया है। राज्य में अब तक काम मांगनेवालों में से सिर्फ 2.4 प्रतिशत लोगों को ही 100 दिनों का काम मिल सका है। नियमानुसार, मनरेगा में काम मांगनेवालों को कम से कम 100 दिन का काम देने की बाध्यता है। 100 दिन काम नहीं दे पाने की स्थिति में बेरोजगारी भत्ता देने का प्रावधान है। 100 दिन काम देने के मामले में आठ जिलों की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पूरे राज्य में मनरेगा के तहत 45.80 लाख मजदूर निबंधित हैं। इनमें से 22.80 लाख मजदूरों ने काम की मांग की है। इनमें से अब तक सिर्फ 54,041 मजदूरों को ही 100 दिन काम दे पाना संभव हो सका है। रामगढ़ में 7.1 प्रतिशत और खूंटी में 5.1 प्रतिशत मजदूरों को 100 दिनों का काम मिल पाया है। राज्य के आठ जिलों में 0.9 प्रतिशत से 1.9 प्रतिशत मजदूरों को ही 100 दिन का काम मिल सका है। इन जिलों में साहिबगंज, गढ़वा, लातेहार, कोडरमा, देवघर, धनबाद, गिरिडीह और सुखाड़ के लिए चर्चित पलामू जिले का नाम शामिल है, नौ जिलों में 2.5 से 2.9 प्रतिशत और पांच जिलों में 35 से 45 प्रतिशत मजदूरों को ही 100 दिनों का काम मिल सका है। रांची जिले में भी सिर्फ 2.9 प्रतिशत मजदूरों को ही 100 दिन का काम मिल सका है।
5.19 लाख लोगों को मिला 1 से 14 दिन का काम
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, काम मांगनेवालों में से 5.19 लाख को 1 से 14 दिन का काम मिल सका है। 5.54 लोगों को 15-30 दिनों तक का काम मिला है। 2.11 लाख लोगो को 31-40 दिन का काम मिला है। 2.43 लाख लोगों के 41-50 दिन, 1.96 लाख को 61 60 दिन का काम मिला है। 1.02 लाख लोगों को 61-70 दिन और 1.36 लाख लोगों को 71-80 दिनों का काम मिला है। 2.62 लाख लोगों को 81-99 दिन काम मिला है। सरकार अब कम से कम इन 2.62 लाख लोगों का 100 दिन काम देने की कोशिश कर रही है। इस लक्ष्य में सफल होने के बावजूद 13.88 लाख लोगों को ही काम देना संभव हो सकेगा। यानी काम मांगनेवाले 86.12 प्रतिशत मजदूरों को 100 दिन काम नहीं मिल सकेगा।
मजदूरों को 1 से 100 दिन तक के काम की स्थिति
जिला - रामगढ़
1-14 दिन - 10,364
81-99 दिन - 5,732
100 दिन - 2,974
उपलब्धि - 7.1%
जिला - खूंटी
1-14 दिन - 8,516
81-99 दिन - 5,374
100 दिन - 1,955
उपलब्धि - 5.1%
जिला - लोहरदगा
1-14 दिन - 8,389
81-99 दिन - 2,815
100 दिन - 1,528
उपलब्धि - 4.5%
जिला - सिंहभूम
1-14 दिन - 24,481
81-99 दिन — 10,163
100 दिन - 4.259
उपलब्धि - 4.5%
जिला - गुमला
1-14 दिन - 14,132
81-99 दिन — 10,328
100 दिन - 3,246
उपलब्धि - 4.4%
जिला - सिमडेगा
1-14 दिन - 13,184
81-99 दिन — 8,549
100 दिन - 2,902
उपलब्धि - 4.3%
जिला - दुमका
1-14 दिन - 24,231
81-99 दिन — 11,764
100 दिन - 3,805
उपलब्धि - 3.3%
जिला - रांची
1-14 दिन - 25,279
81-99 दिन — 8,859
100 दिन - 2,785
उपलब्धि - 2.9%
जिला - गोड्डा
1-14 दिन - 18,664
81-99 दिन — 10,693
100 दिन - 2,441
उपलब्धि - 2.2%
जिला - पाकुड़
1-14 दिन - 12,746
81-99 दिन — 7,656
100 दिन - 1,585
उपलब्धि - 2.5%
जिला - पू सिंहभूम
1-14 दिन - 24,726
81-99 दिन — 7,934
100 दिन - 2,044
उपलब्धि - 2.5%
जिला - जामताड़ा
1-14 दिन - 18,540
81-99 दिन — 12,392
100 दिन - 2,330
उपलब्धि - 2.2%
जिला - बोकारो
1-14 दिन - 23,101
81-99 दिन — 8,566
100 दिन - 2,137
उपलब्धि - 2.3%
जिला - सरायकेला
1-14 दिन - 18.676
81-99 दिन — 8,485
100 दिन - 1,843
उपलब्धि - 2.3%
जिला - चतरा
1-14 दिन - 22,817
81-99 दिन — 10,592
100 दिन - 2,246
उपलब्धि - 2.3%
जिला - हजारीबाग
1-14 दिन - 23,702
81-99 दिन — 11,581
100 दिन - 2,408
उपलब्धि - 2.1%
जिला - साहिबगंज
1-14 दिन - 23,766
81-99 दिन — 8,647
100 दिन - 1,703
उपलब्धि - 1.9%
जिला - गढ़वा
1-14 दिन - 34,722
81-99 दिन — 30,693
100 दिन - 2,985
उपलब्धि - 1.6%
जिला - लातेहार
1-14 दिन - 19,596
81-99 दिन — 13,391
100 दिन - 1,516
उपलब्धि - 1.5%
जिला - कोडरमा
1-14 दिन - 12,898
81-99 दिन — 4,948
100 दिन - 749
उपलब्धि - 1.5%
जिला - देवघर
1-14 दिन - 26,918
81-99 दिन — 19,750
100 दिन - 1,808
उपलब्धि - 1.4%
जिला - पलामू
1-14 दिन - 44,370
81-99 दिन — 12,588
100 दिन - 2,156
उपलब्धि - 1.3%
जिला - धनबाद
1-14 दिन - 18,675
81-99 दिन — 5,515
100 दिन - 700
उपलब्धि - 1%
जिला - गिरिडीह
1-14 दिन - 47,215
81-99 दिन — 25,487
100 दिन - 1,936
उपलब्धि - 0.9%