MANREGA Yojana : मनरेगा में मजदूरी का काम भी नहीं दे पाई सरकार, गुजरात, हरियाणा, बिहार, एमपी में है सबसे बुरा हाल
MANREGA Yojana : आंकड़ों के हिसाब से कहा जाए तो बीते 4 सालों के दौरान पिछले साल मनरेगा में रोजगार की कमी सबसे ज्यादा रही, मनरेगा में काम मांगने पर भी लोगों को रोजगार नहीं मिल सका है, पिछले साल 1.89 करोड़ लोग ऐसे रहे, जिन्होंने मनरेगा में काम मांगा लेकिन उन्हें काम नहीं मिल सका...
MANREGA Yojana : कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने केंद्र की 12 जनता पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए (NDA) सरकार पर बेरोजगारी को लेकर हमला बोला था, जिसका लोकसभा में बीते सोमवार 7 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने जवाब दिया था। वहीं पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी रोजगार को लेकर अलग-अलग पार्टियां अपने अपने हिसाब से दावा और वादा कर रही हैं। बेरोजगारी लगातार मुद्दे उठाए जा रहे हैं। बेरोजगारी को लेकर छिड़ी इस बहस के बीच महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार योजना (MANREGA) से जुड़े कुछ हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं।
मनरेगा में नहीं मिल रहा काम
मनरेगा से जुड़े जो आंकड़े सामने आए हैं, उन आंकड़ों के हिसाब से कहा जाए तो बीते 4 सालों के दौरान पिछले साल मनरेगा में रोजगार की कमी सबसे ज्यादा रही। इसकी नौबत यहां तक आ गई कि मनरेगा में काम मांगने पर भी लोगों को रोजगार नहीं मिल सका है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के द्वारा देशभर के आंकड़े जारी किए गए हैं। इन आंकड़ों के अनुसार पिछले साल 1.89 करोड़ लोग ऐसे रहे, जिन्होंने मनरेगा में काम मांगा लेकिन उन्हें काम नहीं मिल सका। वित्त वर्ष 2021 2022 में 11.6 करोड़ लोगों ने मनरेगा के तहत रोजगार मांगा लेकिन इनमें से 9.7 करोड़ लोगों को ही रोजगार मिल सका।
2020 में सबसे ज्यादा मांगा गया काम
जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार मनरेगा के तहत बीते साल 2020 में सबसे ज्यादा 13.3 करोड़ लोगों ने रोजगार मांगा था। इसका सबसे बड़ा कारण कोरोना था, क्योंकि बहुत से लोग शहरों को छोड़कर अपने गांव की ओर पलायन कर गए थे। इसी तरह 2021 के आंकड़ों को देखा जाए तो 11.6 करोड़ लोगों ने मनरेगा के तहत काम मांगा था, मतलब 2020 की तुलना में यह संख्या करीब दो करोड़ कम हो गई।
मनरेगा के लिए घटाया गया 25% बजट
बता दें कि पिछले साल एक तरफ तो मनरेगा के तहत लोगों को रोजगार कम मिला है, वहीं दूसरी तरफ इस साल यानी 2022 के बजट में मनरेगा के लिए 25% बजट को घटा दिया गया है। ऐसे में विशेषज्ञ यह आशंका जता रहे हैं कि इससे बेरोजगारी की समस्या कहीं और गंभीर ना हो जाए। बता दें कि पिछले साल मनरेगा के लिए सरकार ने 98 हजार करोड़ रुपए का बजट रखा था लेकिन इस साल इसे घटाकर 73 हजार करोड़ रुपए कर दिया गया है।
इन राज्यों में है बुरा हाल
वहीं राज्यवार स्थिति पर नजर डालें तो पाएंगे कि पिछले साल गुजरात में 25.45 लाख लोगों ने मनरेगा के तहत मांगा था लेकिन इनमें से सिर्फ 8.84 लाख लोगों को ही रोजगार मिल सका। वहीं बिहार में 52.33 लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया था लेकिन 13.41 लाख लोगों को ही रोजगार प्राप्त हुआ। इसी प्रकार मध्यप्रदेश में 1.14 करोड़ ने रोजगार मांगा था, जबकि 25.78 लाख लोगों को ही रोजगार प्राप्त हो सका है। उधर, हरियाणा में कुल 6. 52 लाख लोगों ने मनरेगा के तहत का मांगा जबकि 1.34 को ही इस योजना के तहत काम मिल सका। बात करें छत्तीसगढ़ की तो यहां 61.39 लाख रजिस्ट्रेशन हुए जबकि सिर्फ 12.22 लाख को काम मिला है।
राज्यों में रोजगार की स्थिति
महाराष्ट्र में 35.64 लाख ने मनरेगा के तहत रजिस्ट्रेशन कराया था जबकि 6.17 लाख लोगों को काम मिला। झारखंड में 34.64 लाख ने रोजगार मांगा और 5.97 लाख को ही काम उपलब्ध हो सका है। वहीं उत्तर प्रदेश में 1.09 करोड़ ने रोजगार मांगा और केवल 17.72 को काम मिला। राजस्थान में 1.07 करोड़ ने रोजगार मांगा और मिला कुल 15.45 लाख लोगों को। वहीं पंजाब में 12.16 लाख लोगों ने मनरेगा के तहत रजिस्ट्रेशन कराया और सिर्फ 1.70 लाख लोगों को काम मिला। पश्चिम बंगाल में 1.17 करोड़ लोगों ने काम मांगा, जबकि 12.57 को रोजगार मिला। इसी प्रकार से हिमाचल प्रदेश में 9.80 लाख लोगों ने रोजगार मांगा, जबकि सिर्फ 98 हजार लोगों को मिला।