MCD Election 2022: सफाईकर्मी ने किया चुनाव में नामांकन तो एजेंसी ने थमाया नोटिस, नौकरी से हटाने की दी धमकी, यहाँ का है मामला
MCD Election 2022: जेएनयू में एजेंसी के माध्यम से ठेके पर रखे गए एक सफाई कर्मचारी को दिल्ली के एमसीडी चुनाव में हिस्सेदारी करने पर एजेंसी ने कर्मचारी को नौकरी से निकालने का नोटिस दे दिया।
MCD Election 2022: जेएनयू में एजेंसी के माध्यम से ठेके पर रखे गए एक सफाई कर्मचारी को दिल्ली के एमसीडी चुनाव में हिस्सेदारी करने पर एजेंसी ने कर्मचारी को नौकरी से निकालने का नोटिस दे दिया। जबकि ठेकाकर्मी का कहना है कि अपने नामांकन के बाद से वह नियमित रूप से अपने ड्यूटी रोस्टर पर हस्ताक्षर कर काम पर जा रहे हैं। चुनाव प्रचार और अन्य चुनावी गतिविधियों में उनकी भागीदारी उनकी ड्यूटी के बाद हो रही है। इसलिए एजेंसी का यह नोटिस गलत मंशा से भेजा गया है।
बता दें कि जेएनयू प्रशासन की ओर से सफाई के लिए हायर की गई इस निजी एजेंसी में सफाईकर्मी जितेंद्र कुमार तैनात हैं। जितेंद्र ने एमसीडी चुनाव में लाडो सराय से पार्षद पद के चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल किया है। जिसके बाद चुनाव लड़ने जा रहे जितेंद्र को उनकी एजेंसी ने कारण बताओ नोटिस थमाकर चुनावी मैदान में उतरे दलित सफाई कर्मचारी जितेंद्र कुमार से पूछा गया है कि क्यों न उनकी नौकरी समाप्त कर दी जाए क्योंकि वह एमसीडी चुनाव लड़ रहे हैं। जितेंद्र कुमार को शनिवार को निलंबित करके, जवाब देने के लिए सिर्फ तीन दिन का नोटिस देते हुए एजेंसी ने नौकरी से बर्खास्त करने की धमकी दी है।
इस मामले में जितेंद्र कुमार का कहना है कि 26 नवंबर को उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजकर कहा गया है कि राजनीतिक चुनाव में भागीदारी न केवल कर्तव्यों को पूरा करने में बाधा उत्पन्न करती है, बल्कि आचार संहिता द्वारा संविदा कर्मियों के लिए राजनीतिक / विधायक / स्थानीय नगर पालिका चुनाव में भागीदारी प्रतिबंधित है। आप पोलिंग एजेंट और काउंटिंग एजेंट ड्यूटी के दौरान कार्यकर्ता चुनाव एजेंट के रूप में भी काम नहीं कर सकते। जितेंद्र का यह भी कहना है कि अपने नामांकन के बाद से वो नियमित रूप से अपने ड्यूटी रोस्टर पर हस्ताक्षर कर रहे हैं और काम पर जा रहे हैं। चुनाव प्रचार और अन्य चुनावी गतिविधियों में उनकी भागीदारी उनकी ड्यूटी के बाद हो रही है। एजेंसी का यह नोटिस गलत मंशा से भेजा गया है, जो कि भविष्य में भी किसी कर्मचारी को आवाज उठाने से रोकने की तैयारी है। साथ ही, देश का कोई कानून संविदा कर्मियों को मतदाता, चुनाव एजेंट या उम्मीदवारों के रूप में चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने से रोकता नहीं है।
जितेंद्र कुमार ने यह भी आरोप लगाया कि पहले से ही जेएनयू प्रशासन निजी ठेकेदारों के साथ मिलकर मेस, सफाई, कूड़ा-कचरा व अन्य काम में लगे ठेकाकर्मियों को समय पर वेतन नहीं देता है। वेतन 4-5 महीने तक लंबित रखते हैं। जब कर्मचारी बोनस, वेतन और अन्य अधिकारों के लिए विरोध करते हैं तो वे कर्मचारियों को परेशान करते हैं और छंटनी करते हैं। अब जेएनयू प्रशासन और निजी ठेकेदार दोनों मिलीभगत से एक सफाई कर्मचारी को धमकी दे रहे हैं जो चुनाव प्रचार में अपने मुद्दों को उठाकर अन्य श्रमिकों के अधिकारों के लिए लड़ रहा है।
जितेंद्र कुमार ने कहा कि इस मामले में हमारी पार्टी राज्य चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाएगी। यह कृत्य किसी व्यक्ति के संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन तो है ही, साथ ही ये स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के सिद्धांत का भी उल्लंघन करता है। दूसरी ओर इस मामले में भाकपा माले ने नोटिस के लिए एजेंसी से जितेंद्र कुमार से माफी मांगने की मांग की है। जबकि इस प्रकरण में जेएनयू प्रशासन की टिप्पणी उपलब्ध नहीं हो सकी। उनका पक्ष मिलते ही खबर को अपडेट कर दिया जायेगा।