Medical Negligence India : डॉक्टर अर्चना शर्मा की मौत पर बवाल, हजारों डेथ पर क्यों नहीं उठते सवाल

Medical Negligence India : चिकित्सकीय लापरवाही गंभीर मंथन का विषय है। अब इससे केवल मरीजों की मौत नहीं बल्कि डॉक्टरों के लिए भी यह जानलेवा साबित होने लगा है।

Update: 2022-03-30 11:22 GMT

अब चिकित्सकीय लापरवाही सब पर भारी।

Medical Negligence India : राजस्थान ( Rajasthan ) के दौसा ( Dausa ) जिले में एक डॉक्टर अर्चना शर्मा ( Dr Archana Sharma ) ने डिलीवरी के दौरान हुई एक महिला की मौत के मामले अपने ऊपर हत्या का केस दर्ज होने के बाद खुदकुशी कर ली। बताया जा रहा है कि वो हत्या का केस दर्ज होने के बाद डिप्रेशन में चली गईं थी। अब इस घटना को लेकर पूरे राजस्थान आईएमए का बवाल जारी है। दिल्ली के डॉक्टरों का भी समर्थन आईएमए राजस्थान को मिला है लेकिन उन हजारों महिलाओं की मौतों का क्या जो डॉक्टरों की चिकित्सकीय लापरवाही ( Medical Negligence ) की वजह से प्रसव के दौरान दम तोड़ देती हैं।

चिकित्सकीय लापरवाही ( Medical Negligence India ) से होने वाली इस तरह की मौतों पर न तो कोई सवाल उठाता है न ही प्रदर्शन होता है। यहां पर सवाल यह उठता है कि क्या मेडिकल प्रैक्टिस का यही आदर्श मानदंड हैं। अगर नहीं, तो डॉक्टर इस मुद्दे पर कभी कुछ क्यों नहीं बोलते, क्यों नहीं, वो क्रिटिकल केयर के लिए ट्रेंड स्टाफ रखते हैं। न ही कभी कोई जागरूकता प्रोग्राम चलाने जैसी बातें सुनने को मिली है।

लापरवाही से मौत को गंभीरता से लेने की जरूरत

फिलहाल, इन सवालों को उठाने का मेरा मकसद डॉक्टर अर्चना शर्मा ( Dr Archana Sharma ) की खुदकुशी पर नुक्ताचीनी करना नहीं है बल्कि इन पहलुओं की ओर चिकित्साजगत के लोगों का ध्यान आकर्षित करना है। ताकि चिकित्सा पेशे से जुड़े लोग चिकित्सकीय लापरवाही से होने वाली मौतों पर भी ध्यान देें। अगर डॉक्टर और उनके सहयोगी स्टाफ इस बात का ख्याल रखेंगे तो लापरवाही की वजह से किसी मरीज की मौत नही होंगी।

मां के प्यार से बच्चा भी हो जाता है महरूम

इस बात का तो खासतौर से ध्यान रखने की जरूरत है कि प्रसव की दौरान लापरवाही ( Medical Negligence India ) की वजह से महिला की मौत न हो। ऐसा इसलिए कि महिला की मौत होने के साथ वो बच्चा भी अनाथ हो जाता है जो इस दुनिया में उसी दौरान कदम रखता है। ऐसे बच्चों को लेकर विज्ञान की दुनिया में भी भारतीय समाज की धारणाएं अच्छी नहीं होती। उसे यही कहा जाता है, आते ही मां को खा गया। ऐसे बच्चों को मनहूस बच्चा मान लिया जाता हैं। यहां तक कि उच्च शिक्षित परिवार के लोग भी ऐसे मामलों में विवेकशील होने का परिचय नहीं दे पाते हैं।

भारत में हर साल 50 लाख लोग दम तोड़ देते हैं

आप सोच रहे होंगे कि ऐसा मैं क्यों कह रहा हूं। इसका जवाब यह है कि भारत में चिकित्सकीय लापरवाही की वजह से हर साल 50 लाख से ज्यादा लोग हमेशा के लिए सभी से दूर हो जाते हैं। ये आंकड़े में पांच साल पहले यानि 2017 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय द्वारा कराए गए एक अध्ययन में सामने आये थे। उक्त अध्ययन रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत में प्रति वर्ष चिकित्सकीय लापरवाही ( Medical Negligence India ) की वजह से करीब 50 लाख लोगों की जान चली जाती है। इसके पीछे मुख्य वजह डॉक्टरों और नर्सों में अस्पताल लाए जाने वाले मरीजों को संभालने के व्यवहारिक ज्ञान की कमी है। इसी तरह एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में भारत में 52 लाख डेथ लापरवाही की वजह से हुई थी।

प्रसव के दौरान होती है 44 हजार से ज्यादा मौतें

चौंकाने वाली बात यह है कि भारत सरकार स्वास्थ्य विभाग में तत्कालीन अतिरिक्त सचिव और एनएचएम मिशन डायरेक्टर अरुण कुमार पांडा ने 31 मार्च 2017 को अपनी एक रिपोर्ट में स्वीकार किया था कि भारत में प्रसव की दौरान 44 हजार महिलाओं की मौत प्रति वर्ष केवल डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से होती है, जो दुनिया में होने वाली कुल मौतों का 15 फीसदी है।

अमेरिका में तीसरा सबसे बड़ा रोग

अगर हम सुपरपावर अमेरिका की बात करें तो वहां की स्थिति भी अच्छी नहीं है। ग्लोबल हेल्थकेयर के प्रैक्टिस लीड क्रिस सुलीवन ने एक्सप्रेस हेल्थकेयर के अकांकी शर्मा ने पत्रकार अकांकी शर्मा को बताया था कि लापरवाही से होने वाली मौतों को नहीं रोका गया तो यह बहुत बड़ा खतरा साबित होगा। उन्होंने जॉन हॉपकिंस के एक अध्ययन के आधार पर 2018 में दावा किया था कि अमेरिका में हर साल 2,50,000 से अधिक लोग चिकित्सा त्रुटियों से मर जाते हैं। यह हृदय रोग और कैंसर के बाद मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण है।

लापरवाही डॉक्टरों के लिए भी जानलेवा

कहने का मतलब यह है कि चिकित्सकीय लापरवाही कोई भी डॉक्टर जान बूझकर नहीं करता होगा। इसके बावजूद चिकित्सकीय लापरवाही से मौतें तो होती है न, इस बात को स्वीकार करने की जरूरत है, न कि नकारने की। दौसा के एक निजी अस्पताल में एक महिला की मौत भी ऐसे ही मामलों में से एक है। अंतर केवल इतना है कि ताजा मामले में हत्या का मामला दर्ज होने और अस्पताल के सामने प्रदर्शन की वजह से डॉक्टर अर्चना शर्मा डिप्रेशन में चली गईं और उन्होंने खुदकुशी कर ली। यह एक दुखद घटना है। साथ ही मंथन का विषय भी कि चिकित्सकीय लापरवाही अब केवल मरीजों के मौत का नहीं बल्कि खुद डॉक्टर के लिए जानलेवा साबित होने लगा है।

Medical Negligence India : दरअसल, इस बात का जिक्र करना यहां इसलिए जरूरी हो गया कि डॉ. अर्चना शर्मा और उनके पति डॉ. सुनीत उपाध्याय का लालसोट में आनंद हॉस्पिटल है। लालसोट के खेमावास निवासी लालूराम बैरवा अपनी पत्नी आशा देवी को डिलीवरी के लिए सोमवार यानि 28 मार्च की सुबह हॉस्पिटल लेकर आये थे। दोपहर में डिलीवरी के दौरान आशा की मौत हो गई। नवजात सकुशल है। घरवालों ने मुआवजे की मांग को लेकर देर रात ढाई बजे तक हॉस्पिटल के बाहर प्रदर्शन किया। गुस्साए घरवालों ने लालसोट थाने में रिपोर्ट दी थी। लालसोट थाना पुलिस ने डॉ. अर्चना शर्मा के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया। इससे डॉ. अर्चना डिप्रेशन में आ गई थीं और उन्होंने खुदकुशी कर ली।

मामला यही तक नहीं थमा। अब डॉक्टर अर्चना शर्मा ( Dr Archana Sharma ) की मौत के बाद आईएमए राजस्थान से जुड़े डॉक्टरों बुधवार को हड़ताल पर चले गए। साथ ही जोरदार प्रदर्शन भी किया। दिल्ली के डॉकटरों ने भी राजस्थान के डॉक्टरों का साथ दिया है। डॉक्टरों की मौत की वजह से यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है और मूल समस्या से भटक गया है।

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