महबूबा मुफ्ती की केंद्र को अफगानिस्तान से सबक लेने की चेतावनी, कहा हमारी परीक्षा न लें
महबूबा मुफ्ती ने युवाओं से हथियार न उठाने की अपील करते हुए कहा कि मुद्दे को बंदूकों या पत्थरों से हल नहीं किया जा सकता है। भारत सरकार को वह लौटाना चाहिए जो उसने हमसे छीना है.....
जनज्वार। अफगानिस्तान की सत्ता में हाल ही में हुए फेरबदल के बाद पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने प्रतिक्रिया दी है। महबूबा मुफ्ता ने अफगानिस्तान की घटना से केंद्र को सबक लेने के लिए कहा। महबूबा ने जम्मू-कश्मीर से बातचीत करने और 5 अगस्त 2019 में रद्द किए गए विशेष दर्जे को वापस करने का आग्रह भी किया। वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी ने महबूबा मुफ्ती पर घृणा की राजनीति करने का आरोप लगाया है।
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता का जिक्र करते केंद्र को हमारी परीक्षा न लेने की चेतावनी दी और सरकार से अपने तरीके सुधारने, स्थिति को समझने के लिए कहा।
महबूबा मुफ्ती ने दो साल पहले हटाए गए धारा 370 का जिक्र करते हुए कहा, "एक महाशक्ति अमेरिका को अपना बोरिया बिस्तर समेटकर भागना पड़ा। आपके पास अभी भी जम्मू-कश्मीर में एक संवाद की प्रक्रिया शुरू करने का अवसर है जैसे वाजपेयी ने किया था और आपके पास जम्मू-कश्मीर की पहचान को अवैध और असंवैदानिक तरीके से छीनकर की गई गलती को सुधारने का एक मौका है, अन्यथा बहुत देर हो जाएगी।
महबूबा मुफ्ती दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधितकर रही थीं। इस दौरान उन्होंने युवाओं से हथियार न उठाने की अपील करते हुए कहा कि मुद्दे को बंदूकों या पत्थरों से हल नहीं किया जा सकता है। भारत सरकार को वह लौटाना चाहिए जो उसने हमसे छीना है और कश्मीर मुद्दे को जम्मू-कश्मीर के लोगों की इच्छाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप संबोधित करना चाहिए।
उन्होंने कहा, ''तालिबान अब अफगानिस्तान को नियंत्रित कर रहा है और उन्होंने अमेरिका को भागने के लिए मजबूर किया। लेकिन, अभी वे कह रहे हैं कि बंदूक से काम नहीं होगा। पूरी दुनिया उन्हें देख रही है कि वे कैसा व्यवहार करेंगे, क्या वे वही सख्ती करेंगे या लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करेंगे।''
महबूबा ने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति में जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए एक सबक है। मैं युवाओं से अनुरोध करती हूं कि जिंदा रहकर विरोध करें और अपनी जान न गंवाएं। जब आप अपना जीवन खो देते हैं, तो सब कुछ खत्म हो जाता है। दूसरी ओर के लोग यह नहीं समझते कि कश्मीर के युवाओं को अपनी जान की कुर्बानी नहीं देनी चाहिए। उन्हें परवाह नहीं है। इसलिए मैं सभी युवाओं से अपील करती हूं कि वे बंदूक या पत्थर न उठाएं। यदि आप जुबान से बात नहीं कर सकते तो अपने दिल के जख्मों को याद रखना।
उन्होंने कहा कि अमेरिका ने तालिबान से बात की और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली तत्कालीन भाजपा सरकार सहित नई दिल्ली की पूर्ववर्ती सरकारों ने भी जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से बात की और एक समय आएगा जब वे अपने घुटनों पर झुकेंगे और हमसे पूछेंगे कि हम क्या चाहते हैं।
उन्होंने कहा, ''अमेरिका ने तालिबान से बात की, भारत ने पाकिस्तान से बात की और संघर्षविराम हुआ। बात करने के अलावा कोई चारा नहीं है। दरवाजे के पीछे जो कुछ भी हो रहा है, भगवान की मर्जी है, एक दिन आएगा और उन्हें सभी से बात करनी होगी - चाहे वह जम्मू-कश्मीर के लोग हों या उस ओर के लोग क्योंकि कश्मीर मुद्दा बरकरार है।''
महबूबा ने कहा कि भारत विभिन्न धर्मों, विविधताओं और जातियों का एक विचार है। महबूबा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने देश को बचाया और इसे एकसाथ रखा। उन्होंने भाजपा पर इसे विभाजित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, ''पिछले पांच-सात साल से जो हो रहा है, ऐसा लगता है कि भाजपा इस देश को बांटने और लोगों को धर्म के नाम पर बांटने की कोशिश कर रही है।''
वहीं जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रवींद्र रैना ने महबूबा के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि वह कुछ गलतफहमी में हैं। भारत एक शक्तिशाली देश है और हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो बाइडेन के विपरीत हैं, जो अफगानिस्तान से हट गए हैं। चाहे वह तालिबान हो, अल-कायदा, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, या हिजबुल...जो कोई भी भारत के खिलाफ साजिश करेगा, उसे नष्ट कर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, पीडीपी अध्यक्ष ने देश के खिलाफ बहुत बड़ा पाप किया है। जम्मू-कश्मीर के लोग देशभक्त हैं जो अपने देश से प्यार करते हैं और राष्ट्रीय ध्वज को ऊंचा रखते हैं। वे आतंकवाद से निपटने में पुलिस, सेना और अर्द्धसैनिक बलों की मदद कर रहे हैं।