Metro Man E Sreedharan quits politics : मेट्रोमैन श्रीधरन ने सक्रिय राजनीति छोड़ी, कहा - 'देश की सेवा करता रहूंगा'
Metro Man E Sreedharan quits politics : मेट्रोमैन श्रीधरन ने फरवरी में हुए विधानसभा चुनावों में केरल के पलक्कड़ से चुनाव लड़ा था। केरल चुनाव में उन्हें भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में भी पेश किया गया था, लेकिन चुनाव में भाजपा खाता भी नहीं खोल पाई थी।
Metro Man E Sreedharan quits politics : केरल विधानसभा चुनाव ( Kerala Assembly Election ) में भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री पद के दावेदार और दिल्ली मेट्रो के कर्ताधर्ता मेट्रोमैन ई श्रीधरन ( Metro Man E Sreedharan ) ने सक्रिय राजनीति से संन्यास ( Quit Politics ) की घोषणा कर दी है। ये बात अलग है कि वह बीजेपी ( BJP ) के साथ बने जुड़े रहेंगे। उन्होंने कहा है कि मैं राजनीति छोड़ रहा हूं? मैंने राजनीति नहीं छोड़ी है। मैंने सक्रिय राजनीति छोड़ी है। इन दोनों में बातों में बहुत फर्क है। मैंने सिर्फ ये कहा है कि मैं सक्रिय राजनीति छोड़ रहा हूं। क्योंकि मैं बहुत भागदौड़ नहीं कर पाऊंगा। मैं कोई अधिकारिक पद नहीं चाहता हूं। मैं अभी भी बीजेपी में ही हूं, लेकिन सक्रिय राजनीति में नहीं हूं।
श्रीधरण ने कहा कि इसका मतलब ये नहीं कि मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा। मैं ये भी नहीं चाहूंगा कि कोई जिम्मेदारी भरा पद मुझे दिया जाए, लेकिन अगर मुझसे कोई सलाह-मशविरा लिया जाएगा तो मैं उसके लिए हमेशा उपलब्ध रहूंगा।
राजनीति से सन्यास की ये है वजह
श्रीधरन राजनीति छोड़ने के पीछे दो वजह बताई है। पहली ये कि मेरी उम्र 90 साल है। दूसरी ये कि बीते चुनावों के बाद मेरे स्वास्थ्य को दो झटके लगे हैं। 2009 में दिल्ली में मेरी बाइपास सर्जरी हुई थी और जब चुनाव हो रहे थे, उससे पहले मैं बहुत एक्टिव था, बहुत गतिशील था, कोई समस्या नहीं थी। चुनाव के दो महीने बाद मेरे सीने में दर्द रहने लगा। मुझे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा स्टेंट लगवाने पड़े। बात वहीं खत्म नहीं हुई। इसके बाद से मेरी नब्ज में समस्या हो गई। एक समय मेरी नब्ज बहुत धीमी चल रही थी तो लगभग दो महीने पहले मुझे पेसमेकर लगवाना पड़ा। इन सब चीज़ों की वजह से मैं बहुत सक्रिय नहीं रह सकता हूं।
श्रीधरन का कहना है कि मैं अब भी बीजेपी में हूं। मैं अब भी बीजेपी की केंद्रीय कार्यकारिणी में विशेष अतिथि हूं। मैंने अभी इस्तीफा नहीं दिया है। आप जानते हैं कि अंत की तरफ़, दो साल भी बहत फर्क पैदा करते हैं। चुनाव से पहले मैं बिल्कुल स्वस्थ था, मेरे अंदर काफी ताकत थी, जोश था, लेकिन अब बात ऐसी नहीं है। बावजूद इसके मैं पार्टी में हूं। मैं उपलब्ध हूं। वो चाहें तो अब भी मुझसे सलाह ले सकते हैं। बता दें कि अप्रैल में केरल चुनावों से कुछ पहले ही ई श्रीधन ने बीजेपी का दामन थामा था और पलक्कड सीट से चुनाव लड़ा था। तब 88 वर्षीय श्रीधरन सबसे उम्रदराज़ उम्मीदवारों में शामिल थे। चुनाव अभियान के दौरान श्रीधरन दोपहर में एक छोटा ब्रेक लेकर दिन भर प्रचार करते थे। वो विवादित मुद्दों पर सख़्त प्रतिक्रिया देने में परहेज नहीं करते थे। श्रीधरन 3859 वोटों के मामूली अंतर से चुनाव हार गए थे।
टेक्नोक्रैट पंबन पुल और दिल्ली मेट्रो से चर्चा में आए श्रीधरण
मेट्रोमैन श्रीधरन सबसे पहले ऐतिहासिक पंबन पुल का पुनरोद्धार करने के बाद चर्चा में आए थे। तमिलनाडु को रामेश्वरम से जोड़ने वाला ये पुल चक्रवात में तबाह हो गया था। इसके बाद जब उन्होंने दिल्ली के मेट्रो प्रोजेक्ट पर काम किया तो उन्हें मेट्रोमैन के रूप में पहचान मिली। भारत की पहली मेट्रो सेवा के वो आधार स्तंभ थे। बाद में इसी मॉडल पर देश के कई बड़े शहरों में मेट्रो चली।
चुनाव लड़ने पर सभी हुए थे हैरान
जब उन्होंने बीजेपी में शामिल होकर राजनीति करने और केरल में पार्टी का मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनने का निर्णय लिया तो राजनीतिक हलकों में बहुत से लोग हैरान हो गए, लेकिन शशि थरूर जैसे नेताओं ने कहा था कि उनका चुनाव पर कोई असर नहीं होगा।
कई अहम परियोजनाओं के बने आधारस्तंभ
Metro Man E Sreedharan quits politics : पेशे से इंजीनियर श्रीधरन ने कई स्तरों पर अपनी अलग पहचान बनाई। वह देश की पहली मेट्रो सेवा और कोलकाता मेट्रो के पीछे का आधार स्तंभ बने। भारत के पहले समुद्री पुल, सुरम्य पंबन ब्रिज बनाने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। यह पुल रामेश्वरम को तमिलनाडु से जोड़ता है। वह कोंकण रेलवे परियोजना में शामिल थे और अपने करियर के अंतिम पड़ाव में दिल्ली मेट्रो परियोजना के प्रभारी थे और 2011 में इसके प्रमुख के रूप में सेवानिवृत्त हुए। उन्हें 2001 में पद्म श्री और 2008 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।