खतरे में MGCU का अस्तित्व, शिक्षा मंत्री भ्रष्ट कुलपति, प्रति कुलपति और प्रोफेसर के खिलाफ मौन क्यों?

शिक्षा मंत्रालय को भेजे शिकायती पत्र में आलोक राज ने लिखा है कि जब से अपराधी कुलपति संजीव शर्मा और उनके गुर्गों द्वारा अवैध रूप से खोले गए 17 नए केंद्रों का खुलासा हुआ है, तब से एमजीसीयू के कुलपति, प्रति कुलपति जी गोपाल रेडी तथा अधिकांश प्रोफेसर विश्वविद्यालय परिसर से लापता हैं।

Update: 2021-12-10 11:38 GMT

गांधी जयंती पर MGCU कैंपस में गांधी जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते नियुक्ति से लेकर तमाम तरह के आरोपों में घिरे VC संजीव शर्मा (photo : twitter)

नवीन/मोतिहारी। बिहार के मोतिहारी स्थित महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय ( MGCU ) के भ्रष्टाचारी कुलपति संजीव शर्मा (  Vice Chancellor Sanjeev Sharma ) की अपने कारनामों की वजह से सुर्खियों में रहना नई बात नहीं है। बावजूद इसके केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय संजीव शर्मा को हटाने के लिए तैयार नहीं है। भ्रष्टाचार (  Corruption )के कई मामलों में लिप्त कुलपति के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के लिए केंद्र सरकार ( Central Government ) राजी नहीं है।

अब बिहार के जानेमाने समाजसेवी आलोक राज ने आज इन मामलों को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ( Union education Minister Dharmendra Pradhan ) को शिकायती पत्र लिखा है। अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि कुलपति, प्रतिकुलपति और कुलपति द्वारा नियुक्त किए गए प्रोफेसर पिछले 10 दिनों से गायब हैं, जिसके चलते विश्विद्यालय की अधिकतर गतिविधियां रुक गई हैं।




केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को भेजे शिकायती पत्र में आलोक राज ( Alok Raj ) ने लिखा है कि जब से इंडियन एक्सप्रेस के द्वारा महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के अपराधी कुलपति संजीव शर्मा और उनके गुर्गों द्वारा अवैध रूप से खोले गए 17 नए केंद्रों का खुलासा हुआ है, तब से एमजीसीयू के कुलपति संजीव शर्मा, प्रति कुलपति जी गोपाल रेडी तथा संजीव शर्मा द्वारा नियुक्त किए गए अधिकांश प्रोफेसर विश्वविद्यालय परिसर से लापता हैं।

राजभवन का चक्कर लगाते देखे गए संजीव शर्मा

खुद कुलपति संजीव शर्मा चौधरी चरण सिंह विश्विद्यालय मेरठ सहित उत्तर प्रदेश के चार अन्य विश्विद्यालयों में चल रहे कुलपति चयन हेतु चल रहे साक्षात्कार में व्यस्त हैं। उन्हें लखनऊ राजभवन का चक्कर लगते हुए भी देखा गया है।

कुलपति, प्रति कुलपति और प्रोफेसरों का गायब होना नई बात नहीं

एमजीसीयू के कुलपति, प्रति कुलपति और प्रोफेसरों का विश्वविद्यालय से गायब होना कोई नई बात नहीं है। जब से कुलपति संजीव शर्मा की कुलपति पद पर अवैध नियुक्ति की खबरें विभिन्न समाचार पत्रों में छपने लगी तथा शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा कुलपति संजीव शर्मा और उनके मूल विश्विद्यालय चौधरी चरणसिंह विश्विद्यालय मेरठ से कुलपति की अवैध नियुक्ति पर जवाब मांगी गई तभी से कुलपति महीना में 20 दिन विश्विद्यालय से फरार रहते हैं। कभी अपनी नौकरी बचाने के लिए तो कभी किसी विश्वविद्यालय में अपनी कुलपति पद के लिए शॉर्टलिस्टिंग कराने के लिए या कभी किसी नेता जी के घर की परिक्रमा करने के लिए एमजीसीयू गायब होते हैं। वह एमजीसीयू की मूल जिम्मेदारियों को पूरा करना जरूरी नहीं समझते। इससे एमजीसीयू का अकादमिक गतिविधियां चरमराई गई है।

समझ से परे है शिक्षा मंत्रालय का रुख

इस मामले में शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के रुख को देखकर ऐसा लगता है कि शिक्षा मंत्रालय ने ठान रखी है कि अपराधी कुलपति संजीव शर्मा से विश्वविद्यालय का ईट ईट बेचवा देना है। ताकि विश्वविद्यालय अपने आप समाप्त हो जाए।

स्थानीय लोगों में भारी रोष

विश्वविद्यालय के नए कुलपति के चयन के लिए 6 महीने पहले साक्षात्कार हुआ था। अभी तक नए कुलपति के नाम की घोषणा नहीं हो पाई है। संभवत: शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी यह नहीं चाहते हैं कि विश्वविद्यालय से संजीव शर्मा जैसे अपराधिक कुलपति की विदाई हो या उनके द्वारा विश्विद्यालय में किए गए भरष्टाचारों पर कोई कार्रवाई हो। इसलिए आज तक कोई नए कुलपति का चयन नहीं हो सका। नए कुलपति की नियुक्ति नहीं होने से चंपारण के आम जनों में भारी रोष है।

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