यूपी-बिहार से काम पर लौटने लगे प्रवासी श्रमिक, महानगरों को जाने वाली 64 स्पेशल ट्रेनें फुल

उत्तर प्रदेश व बिहार में रोजगार की अच्छी संभावना नजर नहीं आने की वजह से लाॅकडाउन में घर लौटे हजारों श्रमिक फिर वापस औद्योगिक शहरों को लौटने को तैयार हैं, डाउन रूट की स्पेशल ट्रेनों में वेटिंग लिस्ट बनने लगी है...

Update: 2020-06-27 02:30 GMT

file photo

जनज्वार। कोरोना संक्रमण के बाद अपने गांव-घर लौटे प्रवासी श्रमिकों का फिर से महानगरों एवं औद्योगिक शहरों की की ओर जाने का सिलसिला शुरू हो गया है। लाॅकडाउन के तीन महीने गुजर जाने और अनलाॅक की प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद इन्हें फिर से औद्योगिक शहरों में खुद के लिए रोजगार की संभावनाएं दिख रही हैं। रेलवे भले ही अभी नियमित यात्री ट्रेनों का परिचालन नहीं कर रहा है, लेकिन विशेष ट्रेनें चलायी जा रही हैं।

यूपी-बिहार के शहरों से औद्योगिक नगरों व महानगरों को जाने वाली विशेष ट्रेनों की सीटों की फुल बुकिंग हो रही है। अमृतसर, हावड़ा, सिकंदराबाद, दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद जैसे प्रमुख शहरों में जाने वाली ट्रेनों की सीटें 26 जून से 30 जून के बीच न सिर्फ पूरी तरह बुक हो गईं, बल्कि वेटिंग लिस्ट भी बन गया। रेलवे के डाटा से पता चलता है कि 64 ट्रेनों की सीटें पूरी तरह भर गईं. यह स्थिति देश के विभिन्न राज्यों को सबसे बड़ी संख्या में कामगार उपलब्ध कराने वाले उत्तरप्रदेश व बिहार के कामगारों के वापस लौटने का संकेतक है।

दरअसल, घर लौटे इन कामगारों को यह भरोसा नहीं है कि पिछड़ेपन के कारण उन्हें उनके राज्य में निकट भविष्य में कोई रोजगार मिल पाएगा, इसलिए वे वैसे शहरों को लौट रहे हैं जहां उनके पास काम करने का पुराना अनुभव है और वहां उन्हें अपने लिए संभावनाएं नजर आती हैं। 

उत्तरप्रदेश व बिहार जैसे राज्यों में प्रवासियों के लौटने पर मनरेगा को विस्तारित करने के प्रयास किए गए हैं, साथ ही अनाज वितरण व अन्य कार्यक्रम चलाए गए हैं। यूपी ने अब रोजगार से जोड़ने की भी एक नई योजना शुरू की है।

हालांकि श्रमिकों को खुद के लिए राज्य में अच्छी संभावना नजर नहीं आने के कारण वे फिर अपनी पुरानी जगह जाने को तैयार हैं और यात्रा का साधन मिलते ही लौटना भी चाहते हैं।

जिन जगहों से ये श्रमिक लौटे हैं, वहां की कई औद्योगिक इकाइयों कोरोना बंदी के कारण बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। ऐसे में वहां भी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

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