Miserable Cow Shelters of UP : उत्तर प्रदेश की गोशालाओं से गायें ही गायब, क्या उनकी तस्करी की जा रही है?

Miserable Cow Shelters of UP : दीवारों और बोर्ड पर तो योगी सरकार की ओर से तमाम दावे किए गए है, पर जमीन पर हकीकत कुछ और ही है। गोशाला तो है पर कहीं गायें नजर नहीं आती है। आपको बता दें कि बीते उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान उत्तर प्रदेश की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने लोगों से खासकर किसानों से वादा किया था कि किसानों की फसल को आवारा पशुओं से नुकसान से बचाने के लिए गोशालाओं का निर्माण कराया जाएगा। गोशाला निर्माण के लिए बड़े-बड़े प्रोजेक्ट बनाए गए पर...

Update: 2022-06-11 06:39 GMT

Miserable Cow Shelters of UP : उत्तर प्रदेश में फिलहाल गायों से सहानुभूति रखने वाली पार्टी की सरकार है। गौ कल्याण को लेकर तमाम बड़े-बड़े वादे किया जाते हैं, पर सच्चाई यह है कि गोशालाओं से गायें ही गायब हैं। जिन गौशालाओं में गाएं हैं भी वो भी बस बदहाली और बदइंतजामी (Miserable Cow Shelters of UP) के बीच दिन काट रही हैं। उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के सकरौंहा गोशाला का हाल तो यही बयां कर रहा है। जनज्वार की टीम जब इस गोशाला में पहुंची तो केवल गोशाला की दीवारों पर उकेगी गयी गाय ही दिखी। असर में वहां कोई गाय नहीं देखी। आखिर अगर गोशाला है तो फिर फिर वहां कि गायें कहां गयी।

दीवारों और बोर्ड पर तो योगी सरकार की ओर से तमाम दावे किए गए है, पर जमीन पर हकीकत कुछ और ही है। गोशाला तो है पर कहीं गायें नजर नहीं (Miserable Cow Shelters of UP) आती है। आपको बता दें कि बीते उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान उत्तर प्रदेश की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने लोगों से खासकर किसानों से वादा किया था कि किसानों की फसल को आवारा पशुओं से नुकसान से बचाने के लिए गोशालाओं का निर्माण कराया जाएगा। गोशाला निर्माण के लिए बड़े-बड़े प्रोजेक्ट (Miserable Cow Shelters of UP) बनाए गए पर।

गोशाला के नाम पर आम जनता पर गोशाला सेस (Miserable Cow Shelters of UP) का भार भी दिया गया, पर गोलाशालाओं के नाम पर काम कुछ नहीं हुआ। केवल शेड बना दिए गए, पेंटिंग कर दी गयी पर हकीकत में गायें अब भी नदारद हैं। इस बात को लेकर स्थानीय लोगों में भी काफी रोष है। उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश की वर्तमान योगी सरकार केवल योजनाओं की घोषणा करती है। उसे जमीन पर उतार पाने की चेष्टा नहीं कर पाती है। नतीजा यह होता है कि इन योजनाओं का लाभ आम आदमी को नहीं मिल पाता है। यही हाल सरकार की मत्वाकांक्षी गोशाला योजना (Miserable Cow Shelters of UP) की भी है।

चित्रकूट समेत सूबे के अधिकतर जिलों में गोशालाओं के नाम पर प्रोजेक्ट तो शुरू कर दिए गए हैं, पर वहां गायें ही गायब (Miserable Cow Shelters of UP) हैं। ऐसे में यह सवाल पूछा जाना लाजिमी है कि आखिर गायें कहां गयी? क्या उनकी तस्करी की जा रही है? गोशालाओं का हाल देखकर एक बड़ा सवाल यह भी पैदा होता है कि क्या गायों के कल्याण के नाम पर वोट लेकर सत्ता में आयी सरकार वास्तव में गो कल्याण के लिए कुछ कर भी रही है या सिर्फ योजनाओं के नाम पर हवाबाजी की जा रही है और सरकारी पैसों का बंदरबांट हो रहा है।

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