Modi Government Debt : केन्द्र सरकार घाटे को पाटने के लिए लेगी 1 लाख करोड़ रुपए का कर्ज, सरकार पहले ही बना चुकी है यह रिकॉर्ड
Modi Government Debt : मामले से जुड़े सूत्रों ने कहा कि इस कर्ज से ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती से होने वाले नुकसान की कुछ हद तक भरपाई हो जाएगी। साथ ही जीएसटी के उच्च संग्रह से भी कुछ हद तक मदद मिलेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ते कर्ज का बोझ शायद भारत के बॉन्ड बाजार को हिला देगा, जहां पिछले एक महीने में बेंचमार्क 10-वर्षीय बॉन्ड पर प्रतिफल बढ़ गया है...
Modi Government Debt : पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क कम करके मोदी सरकार ने आम जनता को तो तात्कालिक तौर पर राहत तो दे दी है, लेकिन सरकार को यह राहत इतनी महंगी (Modi Government Debt) पड़ रही है कि घाटे की भरपाई के लिए करीब एक लाख करोड़ रुपये (13 अरब डॉलर) का कर्ज लेने पड़ रहे हैं। सरकार ने इसकी तैयारी भी कर ली है।
बता दें पेट्रोलियम उत्पादों की लगातार बढ़ती कीमतों के कारण आम जनजीवन पर पड़ रहे असर (Modi Government Debt) को देखते हुए सरकार ने शनिवार को पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क में क्रमश: आठ रुपये एवं छह रुपये प्रति लीटर तक की कटौती की घोषणा की थी। इससे कई राज्यों में पेट्रोल-डीजल के दाम घटे हैं, जिससे उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिली है।
मामले से जुड़े सूत्रों ने कहा कि इस कर्ज से ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती से होने वाले नुकसान (Modi Government Debt) की कुछ हद तक भरपाई हो जाएगी। साथ ही जीएसटी के उच्च संग्रह से भी कुछ हद तक मदद मिलेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ते कर्ज का बोझ शायद भारत के बॉन्ड बाजार को हिला देगा, जहां पिछले एक महीने में बेंचमार्क 10-वर्षीय बॉन्ड पर प्रतिफल बढ़ गया है।
रिजर्व बैंक जो पहले से ही एक रिकॉर्ड उधार योजना का प्रबंधन कर रहा है, ने इस महीने ब्याज दरों में अचानक इजाफा कर सबको चौंका दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि राजस्व हानि ऐसे समय में आई है जब रेटिंग एजेंसियां सरकार को रिकॉर्ड उधार कार्यक्रम की वजह से राजकोषीय घाटा बढ़ने को लेकर आगाह कर रही हैं। माना जा रहा है कि शुल्क कटौती से महंगाई में थोड़ी राहत मिलेगी।
आपको बता दें कि नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली वर्तमान केंद्र सरकार देश को सबसे ज्यादा कर्जदार (Modi Government Debt) बनाने वाली सरकार साल 2020 में ही बन गयी थी। जून 2020 के अंत तक सरकार की कुल देनदारियां बढ़कर 101.3 लाख करोड़ रुपये हो गयी थी। आपको बता दें कि उस समय सार्वजनिक ऋण (Debt) पर सरकार की तरफ से जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आयी थी। गौरतलब है कि इससे सालभर पहले यानी जून 2019 के अंत में मोदी सरकार का कुल कर्ज 88.18 लाख करोड़ रुपये था।
सार्वजनिक ऋण प्रबंधन की ओर से साल 2020 के सितंबर महीने में अपनी एक त्रैमासिक रिपोर्ट जारी की थी इसके अनुसार जून 2020 के अंत में सरकार के कुल बकाए में सार्वजनिक ऋण का हिस्सा 91.1 प्रतिशत था। इस बारे में एक खबर बिजनेस स्टैंडर्ड समाचारपत्र में प्रकाशित की गयी थी।
इस रिपोर्ट के मुताबिक जून 2020 के अंत तक सरकार की देनदारी (Modi Government Debt) बढ़कर 101.3 लाख करोड़ हो गई थी। मार्च 2020 तक यह कर्ज 94.6 लाख करोड़ रुपए था, जो कोरोना के बाद से लगातार बढ़ता गया। 2019 के जून महीने में यह कर्ज 88.18 लाख करोड़ रुपए था।