60 खरब की सरकारी संपत्तियों बेचने के फिराक में मोदी सरकार, तैयार हुई लिस्ट- रिपोर्ट
मामले से जुड़े लोगों का दावा है कि आने वाले सोमवार को सीतारमण रोडमैप सार्वजनिक कर सकती हैं, वित्त मंत्रालय पीएम मोदी की लाइन पर काम कर रहा है, वो पहले ही मंशा जाहिर कर चुके हैं कि सरकार कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में ही अपनी मौजूदगी रखने के मूड में है....
जनज्वार। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने साठ खरब की संपत्ति बेचने की तैयारी कर ली है। सरकार अगर इस योजना को अमल में लाती है तो यह सार्वजनिक संपत्ति की बिक्री का सबसे बड़ा मामला होगा। खबरों के मुताबिक सरकार ट्रांसमिशनल लाइन, टेलीकॉम टावर, गैस पाइपलाइन, हवाई अड्डे, पीएसयू समेत सरकारी कंपनियों की कई संपत्तियों को बेचने या लीज पर देने की तैयारी चल रही है। इसे अगले चार सालों के दौरान अमल में लाए जाने की योजना है।
जनसत्ता डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक मामले से जुड़े लोगों ने बताया कि सरकार के थिंक टैंक ने कई मंत्रालयों से बातचीत करने के बाद यह योजना तैयार की है। इस योजना में इस तरह की संपत्तियों की लिस्ट तैयार की गई है। इस सूची में पावरग्रिट की ट्रांसमिशन लाइन्स से लेकर बीएसएनल, एमटीएनएल केटावर, गेल की पाइपलाइन और कई एयरपोर्ट्स शामिल हैं। इन कंपनियों के एसेट्स की बिक्री से मोदी सरकार 60 करोड़ जुटा सकेगी।
बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहले ही साफ कर चुकी हैं कि राजकोषीय घाटा पूरा करने के लिए सरकार इस तरह की संपत्तियों को बेचने की योजना बना रही है। कोरोना की मार से बेहाल सरकार के पास राजस्व जुटाने के विकल्प काफी कम हैं। लिहाजा इन संपत्तियों की बिक्री तय मानी जा रही है।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि बीएसएनएल और एमटीएनएल के टावरों को लीज पर देने के साथ उन्हें बेचा भी जा सकता है। गेल के पाइपलाइ बिजनेस को मूल कंपनी से अलग किया जा सकता है। उसे लॉन्ग टर्म लीज पर दिया जा सकता है या फिर पूरी तरह से बेचा जा सकता है। बीएसएनएल, एमटीएनएल के टावर निजी टेलीकॉम कंपनियों को पहले हीरेंट पर दिए गए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक इसके अलावा सरकार रेल व सड़क से जुड़ी संपत्तियों को भी बेचने की फिराक में है। मामले से जुड़े लोगों का दावा है कि आने वाले सोमवार को सीतारमण रोडमैप सार्वजनिक कर सकती हैं। वित्त मंत्रालय पीएम मोदी की लाइन पर काम कर रहा है। वो पहले ही मंशा जाहिर कर चुके हैं कि सरकार कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में ही अपनी मौजूदगी रखने के मूड में है।
सरकार ने साल 2019-20 में पीएसयू के विनिवेश से 1.05 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। 23 सीपीएसई में रणनीतिक विनिवेश की सैद्धांतिक मंजूरी पहले ही दी जा चुकी है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में इस साल रणनीतिक हिस्सेदारी बिक्री पर भी ज्यादा फोकस होगा क्योंकि सरकार को कुछ कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी कम करनी है।
सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने रविवार 22 अगस्त को अपनी स्टेटमेंट में इशारा किया था कि सीतारमण ने बजट के दौरान जो बातें कही थीं, वो अब अमली जामा पहनने को हैं। सीतारमण 11 मंत्रालयों से जुड़ी संपत्तियों को बेचने की योजना साझा करेंगी। ध्यान रहे कि सरकार पहले ही जीवन बीमा निगम, भारत पेट्रोलियम, एयर इंडिया बेचने की योजना तैयार कर चुकी है।