अलीगढ़ पहुँचे मोदी ने राजा महेंद्र प्रताप सिंह के सहारे चली सियासी चाल, जाट नेताओं को साधने की कोशिश

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर सभी दलों ने जाट वोटों को लेकर सक्रियता बढ़ा दी है, खासतौर से भाजपा ने। दूसरी तरफ रालोद भी किसान आंदोलन के बहाने अपनी खोई जमीन हासिल करने की कोशिश कर रही है...

Update: 2021-09-14 11:33 GMT

(सियासत के बीच राजा की विरासत भूले मोदी)

जनज्वार, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को एक यूनिवर्सिटी और डिफेंस कॉरिडोर की सौगात दी है। जाट नेता और स्वतंत्रता सेनानी राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर बनने वाली यूनिवर्सिटी के लिए शिक्षा विभाग से 101 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं।

घोषणा के मुताबिक 92 एकड़ जमीन पर इसका निर्माण होगा। माना जा रहा है कि इसके जरिए मोदी सरकार ने जाटों को साधने की कोशिश की है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजा महेंद्र प्रताप सिंह (Raja Mahendra Pratap Singh) के नाम पर 2019 के उपचुनाव में यूनिवर्सिटी बनाने की घोषणा की थी। लेकिन किसान आंदोलन के बीच जाट नेता के नाम पर यूनिवर्सिटी की आधारशिला रखना सियासी तौर पर काफी महत्वपूर्ण कदम है। 

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गौरतलब है कि, तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर पिछले कई महीनों से आंदोलन कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों पहले मुजफ्फरनगर में की गई किसान महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) में बड़ी संख्या में किसान जुटे थे। किसानों ने यहां से भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया था। ऐसे में किसान महापंचायत और किसान आंदोलन की धार को कम करने के लिए पीएम का यह कदम जरूरी माना जा रहा है।

120 विधानसभाओं पर असर

जानकार कहते हैं, जाट मतदाताओं (Jaat Voters) ने जिस पर मेहरबानी कर दी उसी के हाथ जीत लग गई। वैसे तो पूरे उत्तर प्रदेश में जाटों की आबादी छह से आठ फीसद के आसपास है, लेकिन पश्चिमी यूपी में जाट 17 फीसदी से ज्यादा हैं। पश्चिमी यूपी में जाटों की मुस्लिम और दलितों के बाद सबसे बड़ी आबादी है। इस इलाके के पांच मंडलों आगरा, अलीगढ़, मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद और आंशिक रूप से बरेली में जाट बेहद प्रभावी है।

इसके अलावा सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, बिजनौर, गाजियाबाद, मुरादाबाद, संभल, अमरोहा, बुलंदशहर, हाथरस, अलीगढ़, नगीना, फतेहपुर सीकरी और फिरोजाबाद में जाट आबादी किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए एक बड़ा वोट बैंक है। जाटों का असर करीब 120 विधानसभा सीटों पर भी है।

ऐसे में आगामी यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Vidhansabha 2022) को लेकर सभी दलों ने जाट वोटों को लेकर सक्रियता बढ़ा दी है, खासतौर से भाजपा ने। दूसरी तरफ रालोद भी किसान आंदोलन के बहाने अपनी खोई जमीन हासिल करने की कोशिश कर रही है।

युवा वोटर को लुभाने का प्रयास

युवाओं को शिक्षा, देश की रक्षा। इस टैग लाइन के साथ ही आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन (Kisan Protest) से नाराज युवाओं और जाटों को मनाने के लिए यूनिवर्सिटी और डिफेंस कॉरिडोरी की सौगात दी, जिससे यह संदेश जाए कि भाजपा सरकार युवाओं के शिक्षा और रोजगार को प्राथमिकता दे रही है।

इससे केवल यूपी ही नहीं बल्कि हरियाणा और राजस्थान के जाट समुदायों को भी साधा जा सकेगा। भाजपा यूपी में रोजगार और युवाओं के मुद्दों को प्राथमिकता दे रही हैं। बताया जा रहा है कि इन्हीं मुददों के साथ भाजपा चुनावी मैदान में उतरेगी। 

सियासत में विरासत भूले मोदी

खंडहर में बदल गया राजा का किला

शाहिद नकवी लिखते हैं, जो सियासत आज जाट राजा महेंद्र प्रताप सिंह को याद करते थक नहीं रही है, उनके नाम के अलीगढ़ (Aligarh) में राजनीतिक लाभ तलाशे जा रहे हैं। चित्र में उन्हीं राजा महेंद्र प्रताप सिंह की विरासत उजड़ी दिख रही है। ये उनका हाथरस (Hathras) में किला है। जाट राजा महेंद्र प्रताप सिंह एक पढ़ें लिखे राजा तो थे ही वह एक अच्छे लेखक और पत्रकार के रूप में भी जाने जाते थे। उन्हें भारत की पहली निर्वासित सरकार के राष्ट्रपति के तौर पर भी पहचाना जाता है।

बताया जाता है कि आज राजा महेंद्र प्रताप सिंह के किले के चारों ओर जंगल जैसा नजारा है। जर्जर हाल में इमारत दिन पर दिन नीचे गिर रही है‌। सीढ़ियों के रास्ते किले की प्राचीर पर जाना भी मुश्किल है। एक-एक ईंट किले की बदहाली की गवाही दे रही है।

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