नागालैंड के मोन जिले का कोरोना से बचाव का मॉडल है सबसे जुदा, जानिए क्यों है चर्चा में
नागालैंड के मोन जिला में अभी महज 83 पॉजिटिव मरीज हैं, पर यहां के प्रशासन का कोरोना से बचाव का नायाब तरीका चर्चा में आ गया है।
जनज्वार। नागालैंड के मोन जिला की आबादी लगभग 2 लाख 80 हजार है। वर्तमान में यहां कोरोना के कुल 83 पॉजिटिव मरीज हैं। यहां के स्थानीय प्रशासन ने एक ऐसा कैंपेन चलाया है, जो चर्चा में है तथा आगे के लिए रोल मॉडल भी हो सकता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नागालैंड के मोन शहर में जिला प्रशासन ने यह कैंपेन चलाया है। इस कैंपेन के तहत सभी को यह मानकर चलना है कि वे एसिमटमेटिक मरीज हैं। अर्थात सभी नागरिकों को अपना आचार-व्यवहार इस तरह का रखना है जैसे वे कोरोना पॉजिटिव हैं, पर उनमें कोई सिम्पटम नहीं है। यह इनोवेटिव स्ट्रेटरेजी वहां के प्रशासन ने बनाया है। इसका लाभ यह है कि कोई पॉजिटिव हो या न हो, सतर्कता वैसी ही रखनी है, जैसी कोई पॉजिटिव मरीज रखता है।
इसके लिए Covid-19 Adaptive Response (CARE) नामक अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत जिला के सभी 2 लाख 80 हजार निवासियों से यह अनुरोध किया जा रहा है कि वे स्वयं को कोविड-19 का एसिम्प्टोमेटिक पॉजिटिव समझते हुए उसी तरह का आचार-व्यवहार करें ताकि घर के अन्य सदस्य और बाहर मिलने-जुलने वाले संक्रमित होने से बचे रहें।
मोन जिला के डीसी थावासिलन के. ने मीडिया से कहा 'कोरोना से लड़ने के लिए CARE एक इनोवेटिव स्ट्रेटरेजी है। इसका मूल उद्देश्य है कि लोगों में गलत धारणाओं को समाप्त कर कोविड-19 के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाय और तदनुरूप लोगों के आचार-व्यवहार में परिवर्तन लाया जाए।'
यह मॉडल लोगों को काफी पसंद भी आ रहा है और स्थानीय लोग इसमें अपना पूरा सहयोग दे रहे हैं।
थावासिलन ने कहा 'CARE कोरोना के बाद की दुनिया की वास्तविकता और उस समय की नॉर्मल लाइफ को दर्शाता है। यह लोगों को बताता है कि पोस्ट कोविड जीवन कैसा हो सकता है। उस समय का सामान्य जीवन भी किस तरह का हो सकता है और हम लोगों को अभी से उसका आदी बना रहे हैं। अगर हम खुद को पॉजिटिव मानकर जीवन जिएं तो हम इस नई वाली दुनिया के आसानी से आदी हो सकते हैं। सोशल डिस्टेंसिंग बनाना, हाथों को बारबार धोना, मास्क पहनना, क्या करें और क्या न करें, इसकी जानकारी रखना, यही निकट भविष्य की दुनिया होनेवाली है।'
इसके लिए जगह-जगह होर्डिंग्स, बैनर आदि भी लगाए जा रहे हैं। स्थानीय लोग भी होर्डिंग्स-बैनर लगाने में मदद कर रहे हैं। लोगों को यह इनोवेटिव प्रोग्राम बहुत पसंद आ रहा है।